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शिक्षक बहाली में गड़बड़ी के सामने आये और मामले

समस्तीपुर के विभूतिपुर में बीपीएससी से चयनित शिक्षकों के साथ फर्जी तरीके से आठ लोगों का योगदान कराया गया है। एक व्यक्ति ने अधिकारियों को गुप्त पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की, लेकिन कोई प्रतिक्रिया...

Newswrap हिन्दुस्तान, समस्तीपुरSat, 7 Sep 2024 11:46 AM
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समस्तीपुर, वरीय संवाददाता। जिले के विभूतिपुर में बीपीएससी से चयनित शिक्षक के साथ साथ गलत तरीके से फर्जी लोगों को बहाल करने के मामले में खुलासे का दौर जारी है। अब यह मामला सामने आया है कि बीपीएससी से चयनित अभ्यर्थियों के साथ गलत तरीके से आठ लोगों का योगदान कराया गया था। इस संबंध में एक व्यक्ति ने गुप्त रूप से प्रखंड से जिला तक के अधिकारियों को चयनित व फर्जी तरीके से बहाल लोगों की सूची भेज कार्रवाई करने का आग्रह किया था। लेकिन उसके पत्र पर किसी अधिकारी ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। पत्र भेजने वाले ने तब विभूतिपुर के बीईओ पर सभी को गलत तरीके से योगदान कराने में मुख्य भूमिका निभाने का आरोप लगाया था। पत्र में कहा गया था कि फर्जी लोगों का योगदान लेने के लिए बीईओ ने स्कूलों के एचएम पर भारी दवाब डाला था। उक्त पत्र में बीपीएससी से चयनित व फर्जी तरीके से बहाल हुए शिक्षकों की स्कूल के अनुसार सूची दी गयी थी। जिसमें कहा गया था कि प्राथमिक विद्यालय आलमपुर कोदरिया में पशुपति नाथ, गीतांजलि कुमारी, गुलशा परवीन का नाम था। लेकिन इनलोगों के अलावा ममता कुमारी ने फर्जी तरीके से योगदान किया। इसी तरह प्राथमिक विद्यालय नवटोलिया में चयानित सीमा कुमारी, आरती कुमारी व राजन कुमार के साथ सुघांशु कुमार व शिल्पी कुमारी का, मध्य विद्यालय समर्था में चयनित अनिल कुमार जायसवाल के साथ अमरजीत कुमार का, प्राथमिक विद्यालय संगराहा खैराज में चयनित कोमल कुमारी, संजय कुमार, शशि कुमार सुमन, द्विवेश के साथ अभिषेक कुमार साहा का, प्राथमिक विद्यालय विशनपुर सिसबन्नी में चयनित प्रियश पटेल, पल्लवी पटेल, जितेन्द्र कुमार के साथ फर्जी तरीके से इंदू कुमारी का योगदान कराया गया था। पत्र में यह भी कहा गया था कि इन लोगों के अलावा करीब चालीस अन्य लोगों को भी फर्जी तरीके से योगदान कराया गया है। पत्र में कहा गया था कि उक्त फर्जी शिक्षकों की अनुपस्थिति विवरणी, प्राण संख्या से संबंधित प्रतिवेदन बीईओ कार्यालय में एसएम ने भेजा तो उसकी अधिकृत सूची से बीईओ ने मिलान क्यो नहीं किया। यहां तक कि थंब इम्प्रेशन जांच में बीपीएम व बीईओ की उपस्थिति के बावजूद किस तरह थंब मिलान हुआ कि गड़बड़ी पकड़ में नहीं आयी। थंब की जांच के दौरान बीईओ की उपस्थिति भी संदेहजनक थी। इतना ही नहीं यह भी सवाल किया गया था कि फर्जी शिक्षकों का प्राण संख्या किस तरह बना और उसकीह जांच क्यो नहीं की गयी। इसके अलावा यह भी कहा गया था कि जब उक्त फर्जी लोगों का नाम पदस्थापन सूची में नहीं था तो साप्ताहिक प्रशिक्षण की सूची में उनलोगों का नाम किस तरह प्रखंड लेखापाल ने दर्ज किया।

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