मोबाइल ऐप से DPR, डालनी होगी तस्वीर और गाड़ियों का सही आंकड़ा; गांवों में सड़कों के लिए नया प्लान
घर बैठे ट्रैफिक सर्वे और डीपीआर मंजूर करने का परिणाम यह होता था कि सड़कें बन जाने के कुछ ही महीने बाद वह ट्रैफिक का भार सहन नहीं कर पाती थी और खराब हो जाया करती थीं। विभाग ने इस मसले पर इंजीनियरों को कई बार चेतावनी दी लेकिन उनकी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं हुआ।
नये साल में राज्य की ग्रामीण सड़कों की सेहत सुधरने की उम्मीद है। ट्रैफिक सर्वे (यातायात भार) के बाद ग्रामीण सड़कों की डीपीआर तैयार होगी। ट्रैफिक सर्वे कराने का मूल उद्देश्य ग्रामीण सड़कों की गुणवत्ता को बेहतर करने के साथ ही इसे और टिकाऊ बनाना है। विभाग की ओर से यह सर्वे रियल (वास्तविक) टाइम के आधार पर होगा। ग्रामीण कार्य विभाग ने मोबाइल ऐप से ग्रामीण सड़कों का ट्रैफिक सर्वे करने का निर्णय लिया है। अब तक यह काम मैनुअली होता रहा है। रियल टाइम ट्रैफिक सर्वे के आधार पर ही ग्रामीण सड़कों की डिजाइन तैयार की जाएगी और फिर निर्माण होगा।
विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार अब तक सड़कों के निर्माण के पहले उसकी डीपीआर बनाई जाती है। डीपीआर बनाने के पहले इंजीनियरों को संबंधित सड़कों का ट्रैफिक सर्वे करना जरूरी होता है। लेकिन, अधिकतर कार्य प्रमंडल में यह कागजों में ही हो रहा था। जांच-पड़ताल में कई बार ऐसी बात सामने आई कि इंजीनियरों ने बिना स्थल निरीक्षण के ही एजेंसी की ओर से तैयार डीपीआर को मंजूर कर दिया।
घर बैठे ट्रैफिक सर्वे और डीपीआर मंजूर करने का परिणाम यह होता था कि सड़कें बन जाने के कुछ ही महीने बाद वह ट्रैफिक का भार सहन नहीं कर पाती थी और खराब हो जाया करती थीं। विभाग ने इस मसले पर इंजीनियरों को कई बार चेतावनी दी लेकिन उनकी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं हुआ। इसे देखते हुए विभाग ने तय किया कि अब ग्रामीण सड़कों का ट्रैफिक सर्वे मोबाइल एप के माध्यम से ही होगा। इसके लिए मोबाइल एप विकसित किया गया है।
विभाग ने इस प्रयोग पर अमल शुरू कर दिया है। जिन सड़कों का निर्माण होने वाला है और जिसकी डीपीआर बनाई जा रही है, उसमें मोबाइल ऐप का प्रयोग शुरू कर दिया गया है। एजेंसी के साथ मिलकर इंजीनियर बनने वाली सड़कों की तीन दिनों तक ट्रैफिक सर्वे कर रहे हैं। तीन दिनों तक गाड़ियों की तस्वीर के साथ ही उसकी संख्या भी इंजीनियरों को मोबाइल ऐप पर अपलोड करनी है। इसकी जियो टैगिंग भी की जाएगी। मोबाइल ऐप पर तस्वीर अपलोड और गाड़ियों का आंकड़ा सही होने पर ही उस सड़कों की डीपीआर मंजूर होगी।