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Bihar Flood News: अगले 24 घंटे में क्या होगा? भोले बाबा जाने, कोसी में लाल पानी दिखने से दहशत में लोग; NH पर बसेरा

Bihar Flood News: मंदिर में गांव की दर्जन भर महिलाएं भोले बाबा को रिझाने के लिए भजन गा रही हैं। इससे इतर आधा दर्जन महिलाएं कोसी किनारे लाल पानी को निहार रही हैं। 95 वर्षीय तारा देवी कोसी के पानी को दिखाकर बताती हैं कि 40-50 साल पहले ऐसा ही लाल पानी सहोरा में दिखा था।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, भागलपुर, संजय कुमारTue, 1 Oct 2024 08:45 AM
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Bihar Flood News: बिहार में अलग-अलग नदियां तबाही मचा रही हैं। भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल मुख्यालय से 10 किमी दूर मदरौनी गांव। बिल्कुल कोसी के कछार पर बसा है यह गांव। यहां करीब 2500 मकान हैं। आबादी तकरीबन 10 हजार के करीब। नेपाल से वीरपुर बराज में एक साथ 56 गेट खोलने से कोसी का पानी 24 घंटे में ही सहोरा-मदरौनी पहुंच गया है। सोमवार सुबह से शाम 5 बजे तक यानी 12 घंटे में एक हाथ (डेढ़ फीट) जलस्तर बढ़ गया है। जिससे मदरौनी और सहोरा के ग्रामीण दहशत में हैं। खौफ यह कि 10 दिन पहले आया पानी रेलवे तटबंध को आधा काट चुका है। जिसे रविवार को जियो बैग और ईंट-रोड़े डालकर बंद किया गया है। यदि पानी ओवरफ्लो हो जाएगा तो पूरा गांव तबाह हो जाएगा। तटबंध के किनारे पानी में ‘भंवरा’ बनने से भी ग्रामीण सशंकित हैं।

पहली बार तटबंध के किनारे बन रहा ‘भंवरा’, दहशत 

तटबंध पर खड़े सहोरा निवासी कौशल यादव बताते हैं, किनारे पर भंवरा बनने का मतलब ही है कटाव होना। आज तक कभी किनारे भंवरा बनते नहीं देखा है। अगले 24 घंटे में क्या होगा? भोले बाबा जाने। उनका इशारा मदरौनी गांव के कॉर्नर पर भोला मंदिर की ओर था। इसी कॉर्नर पर सुबोध ठाकुर आठ-दस लोगों के साथ पानी के करंट पर चर्चा करते मिले। सुबोध बताते हैं, कोसी का पानी यदि मंदिर आ गया तो समझिए काल तय है। 10 दिन पहले हल्की बढ़ोतरी में मंदिर परिसर में करीब आधा फीट पानी घुस गया था।

50 साल पहले घनी सहोरा बस्ती को लील गई थी कोसी 

मंदिर में गांव की दर्जन भर महिलाएं भोले बाबा को रिझाने के लिए भजन गा रही हैं। इससे इतर आधा दर्जन महिलाएं कोसी किनारे लाल पानी को निहार रही हैं। 95 वर्षीय तारा देवी कोसी के पानी को दिखाकर बताती हैं कि 40-50 साल पहले ऐसा ही लाल पानी सहोरा में दिखा था। पूरा सहोरा डूब गया। करीब सतरह-अह्वारह सौ परिवार को रातोंरात भागना पड़ा था। अब लगता है मदरौनी के ऊपर से भी कोसी बहेगी। वहीं सुलोचना देवी बोलीं, दो दिन से हमलोग रातभर जाग रहे हैं। डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने बताया कि तटबंध के कटाव स्थल पर जियो बैग डालकर सुरक्षित किया गया है। सहोरा-मदरौनी में कोसी के जलस्तर की हर घंटे रिपोर्ट ली जा रही है। फिलहाल हालात नियंत्रण में है।

कोसी से सटे गांव के लोग ऊंचे स्थानों पर ले रहे शरण

नवगछिया। कोसी के जलस्तर में हो रही वृद्धि के बाद नदी किनारे के गांव चोरहर, सकूचा, विजय घाट पुल, कोरचक्का, पुनसमा, प्रताप नगर, जहांगीरपुर, बैसी, सहोरा और मदरौनी के लोग भयभीत हैं। अधिकांश लोग ऊंचे स्थानों पर शरण ले चुके हैं। श्री सद्गुरू साईंनाथ सेवा समिति के कार्यकारी अध्यक्ष शुभम यादव ने कहा कि सहोरा के लोग 1987 से कटाव और बाढ़ का दर्द झेलते आ रहे हैं, लेकिन इसका कोई समुचित समाधान नहीं हुआ है। वहीं कोसी में वृद्धि के बाद लगभग 100 पीड़ित कटरिया रेलवे स्टेशन पर शरण लिए हुए हैं।

तटवर्ती इलाकों के लोगों को तबाही की आशंका

कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि के साथ-साथ धारा भी तेज होती जा रही है। इससे तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को तबाही का आशंका सताने लगी है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि नदी शीघ्र स्थिर नहीं हुई, तो पूरा इलाका जलमग्न हो जाएगा। कोसी किनारे बसे चोरहर, ढोड़िया, विश्वपुरिया, कालूचक, लोकमानपुर, सिंहकुंड समेत अन्य गांवों के अस्तित्व पर बाढ़ का संकट मंडराने लगा है। लोकमानपुर की पंचायत समिति सदस्य कविता देवी और ग्रामीणों ने बताया कि नदी की धारा अब धीरे-धीरे गांव की ओर मुड़ने लगी है। जिससे पूरे गांव में बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है।

बाढ़ से प्रभावित लोगों का एनएच 31 बना बसेरा

कोसी में आई बाढ़ के बाद बेघर लोगों ने एनएच 31 किनारे अस्थायी रूप से बसेरा बना लिया है। एनएच 31 के दोनों ओर बाढ़ पीड़ितों की पॉलीथिन टंग गई है। ये लोग घर के जरूरी सामान लेकर मवेशी के साथ आ गए हैं। हालात ऐसे हैं कि मवेशी संग रात बितानी पड़ रही है। मवेशियों के चारा की व्यवस्था डूबी मक्के की फसल है। खेत जलमग्न होने से पहले जितना फसल काट सके। उसे साथ ले आए। दिन भर घर के पुरुष कुट्टी काटने में व्यस्त रहते हैं। जबकि महिलाएं भुट्टा छीलने में। नाव की व्यवस्था नहीं होने से ग्रामीणों ने ड्रम और ट्यूब पर चौखट रखकर नाव का विकल्प तैयार किया है। मवेशी दिनभर एनएच पर विचरण करते रहते हैं। जिससे बड़ी गाड़ियां भी धीमी रफ्तार में चल रही है। नवगछिया भवानीपुर से सधुआ चापर तक एक जैसी स्थिति है।

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