बिहार में निजी मुंशी थाना चलाते हैं? मुजफ्फरपुर में थाने से शराब बिक्री कांड में कई बड़े खुलासे
- आशंका है कि पहले भी जब्त शराब थाने से बाहर निकाली गई है। अब थाने के जब्त स्टॉक और नष्ट शराब के ब्योरे का मिलान कराया जा रहा है। यहां लंबे समय से निजी मुंशी काम कर रहा है। लेकिन वरीय अधिकारी भी ध्यान नहीं देते।

बिहार के मुजफ्फरपुर में थाने से शराब बेचे जाने का मामले में कई खामियां उजागर हुई हैं। बेला थाना में नष्ट करने को रखी गई जब्त शराब धंधेबाज को दे दिए जाने के मामले में चौकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। थाना से बुधवार को शराब धंधेबाज धिरनपट्टी निवासी मो. शहादत कार पर शराब की खेप लादकर निकला तब थानेदार रंजना वर्मा थाने में ही मौजूद थीं। शराब विनष्टीकरण के लिए थाने के निजी मुंशी ने धंधेबाज शहादत से ही जेसीबी और मजदूर लिए थे। मजदूर और जेसीबी के भाड़े के एवज में उसे 17 कार्टन जब्त शराब दी गई थी। वरीय अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान भी निजी मुंशी न सिर्फ मौजूद रहता है बल्कि थाने का दस्तावेज भी पेश करता है लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं होती। इस में सदर अस्पताल की संदेहास्पद भूमिका सामने आई है। आरोपियों को डॉक्टर ने अनफिट बताकर अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी।
आशंका है कि पहले भी जब्त शराब थाने से बाहर निकाली गई है। अब थाने के जब्त स्टॉक और नष्ट शराब के ब्योरे का मिलान कराया जा रहा है। मामले में थानेदार रंजना वर्मा के प्रतिवेदन के आधार पर बेला थाने में एफआईआर हुई है। इसमें थानेदार ने कहा गया है कि मुशहरी सीओ की मौजूदगी में वह शराब विनष्टीकरण करा रही थी। इसी दौरान सूचना मिली कि थाने से शराब लेकर कार निकली है। सूचना पर जब वह धिरनपट्टी पहुंचीं तो वहां एसडीपीओ टाउन वन सीमा देवी पहुंच चुकी थीं। पुलिस टीम शराब लदी कार जब्त कर थाने लाई। शहादत को गिरफ्तार कर लिया गया। उससे पूछताछ के आधार पर थाने के निजी मुंशी सुजीत कुमार की इसमें संलिप्तता पाई गई। इसके बाद बेला छपरा गांव निवासी सुजीत को भी गिरफ्तार कर लिया गया। थाने से ले जाई गई अलग-अलग ब्रांड की 17 कार्टन शराब कार से बरामद हुई।
मिठनपुरा थानेदार को बनाया गया मामले में जांच अधिकारी
बेला थाने से शराब की खेप माफिया को सौंपने के मामले की जांच के लिए मिठनपुरा थानेदार राम इकबाल प्रसाद को जांच अधिकारी बनाया गया है। मिठनपुरा थानेदार यह पता लगाएंगे कि थाने से शराब की खेप माफिया को सौंपने में क्या केवल निजी मुंशी ही जिम्मेवार है। इसमें थानेदार रंजना वर्मा कितनी दोषी हैं।
सदर के चिकित्सक ने दे दी अनफिट की रिपोर्ट
नियम के तहत कोर्ट में पेशी के पूर्व दोनों को सदर अस्पताल ले जाया गया। सदर अस्पताल में दोनों आरोपितों के फिटनेस की जांच की जाती है। सदर के चिकित्सक ने आरोपित मो. शहादत को अनफिट होने की रिपोर्ट दे दी। किसी तरह की कोई गंभीर बीमारी नहीं होने और खुद चलकर आए शहादत को अनफिट करार दिए जाने पर भी सवाल उठ रहे हैं।
अनफिट करार दिए जाने के आधार पर जेल भेजने के बजाय सदर अस्पताल में ही इलाज के लिए भर्ती कराए जाने की दलील दी गई। हालांकि, शहादत को जेल से बचाने का प्रयास काम नहीं आया। उसे कोर्ट में पेशी के लिए लाए मिठनपुरा थाने के दारोगा राहुल कुमार ने बताया कि पेशी के बाद दोनों आरोपितों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया गया है। जरूरत के अनुसार जेल में ही शहादत का इलाज होगा।
सूचक बन गई थानेदार, सामने होंगे कई सवाल
बेला थाने से शराब की खेप माफिया को दे दिए जाने के मामले में बेला थानेदार रंजना वर्मा ने खुद सूचक बन गई हैं। सामान्य तौर पर किसी केस के सूचक व वादी के खिलाफ कार्रवाई काफी मुश्किल होती है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि थानेदार की मौजूदगी में हो रहे विनष्टीकरण के बीच थाने से कार पर 17 कार्टन शराब कैसे लाद ली गई? क्या उन्हें अपने सामने हुई यह गड़बड़ी नजर नहीं आई? मामले में जांच अधिकारी बनाए गए मिठनपुरा थानेदार की जांच के दौरान ऐसे कई सवालों का बेला थानेदार को सामना करना पड़ सकता है।
मिठनपुरा थानेदार को बनाया गया मामले में जांच अधिकारी बेला थाने से शराब की खेप माफिया को सौंपने के मामले की जांच के लिए मिठनपुरा थानेदार राम इकबाल प्रसाद को जांच अधिकारी बनाया गया है। मिठनपुरा थानेदार यह पता लगाएंगे कि थाने से शराब की खेप माफिया को सौंपने में क्या केवल निजी मुंशी ही जिम्मेवार है। इसमें थानेदार रंजना वर्मा कितनी दोषी हैं।
अधिकारियों के निरीक्षण में भी निजी मुंशी पेश करता था रिकॉर्ड
बेला थाने में निजी मुंशी (सहायक) सुजीत कुमार के वर्षों से कार्यरत रहने के मामले से पुलिस महकमे पर सवाल उठ रहा है। बेला ही नहीं जिले के दर्जनों थाने में इसी तरह निजी मुंशी व निजी चालक के भरोसे व्यवस्था है। बेला थाने में सुजीत की मौजूदगी में दर्जनों बार वरीय पुलिस अधिकारियों का निरीक्षण हुआ है। इस दौरान भी निजी मुंशी थाने में मौजूद रहा। सवाल उठ रहा है कि निरीक्षण के दौरान निजी मुंशी के काम करने पर भी वरीय अधिकारियों ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की।
सूत्रों के अनुसार सुजीत ओडी अधिकारियों की भी नहीं सुनता था। किस मामले में एफआईआर होगी और किसमें नहीं, यह सब सुजीत ही तय करता था। ओडी अधिकारी केवल फरियादी का आवेदन लेकर सुजीत को सौंप देते थे। सुजीत उसे थानेदार के समक्ष पेश करता था, जिसके बाद थानेदार तय करती थी कि क्या कार्रवाई होगी। यह भी बताया जा रहा है कि वसूली का सारा हिसाब सुजीत ही रखता था।
बेला थाने से माफिया को जब्त शराब सौंपने की एफआईआर में थानेदार रंजना वर्मा ने सुजीत को लिखित रूप में थाने का निजी सहायक स्वीकारा है। ऐसे में थानेदार को यह भी स्पष्ट करना होगा कि किसके आदेश पर थाने में निजी मुंशी रखा गया था और उसे भुगतान किस मद से किया जाता था। थाने के सीसीटीवी फुटेज में सुजीत के कार्य करने के सारे साक्ष्य मौजूद हैं। निजी मुंशी का इस तरह शराब धंधेबाज से जुड़ाव थाने के अधिकारियों की भूमिका को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि जिले के कितने थाने में इस तरह निजी सहायक और निजी चालक हैं। इनको किसके आदेश पर रखा गया है, इसका कोई लेखा जोखा भी उपलब्ध नहीं है।
छापेमारी से पहले शराब धंधेबाजों तक थाने से पहुंच जाती थी सूचना
बेला की कई बंद फैक्ट्रियों में शराब का गोरखधंधा होता है। पूर्व में भी उत्पाद विभाग और जिला एएलटीएफ ने छापेमारी कर बेला की बंद फैक्ट्रियों में शराब की खेप बरामद कर चुकी है। कुख्यात चुन्नू ठाकुर के सिंडिकेट का बेला इलाके में शराब के गोरखधंधे का नेटवर्क है। बताया जा रहा है कि बेला थाने में सूचना देकर जब भी पुलिस टीम ने छापेमारी की शराब की खेप बरामद नहीं हुई। छापेमारी से पहले ही माफिया तक छापेमारी की सूचना पहुंच जाती थी। आशंका जताई जा रही है कि निजी सहायक सुजीत धंधेबाजों को छापेमारी की सूचना लीक कर दे रहा था।
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