प्रशांत किशोर सिर्फ सपने दिखा सकते हैं, पूरी जिंदगी बिहार के लिए कुछ नहीं किया; जेडीयू का पीके पर वार
जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि प्रशांत किशोर बचकानी बातें कर रहे हैं। उन्होंने पूरी जिंदगी बिहार के लिए कुछ नहीं किया। अब वे लोगों को सपने दिखा रहे हैं। कोई उनपर यकीन नहीं करेगा।
नई पार्टी बनाकर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाले जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने हमला बोला है। जेडीयू के नवनियुक्त राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि पीके सिर्फ सपने दिखा सकते हैं। पूरी जिंदगी उन्होंने बिहार के लिए कुछ नहीं किया। कोई उनके सपनों पर क्यों यकीन करेगा। उन्होंने दावा किया कि पीके ने बिहार के लिए कोई सकारात्मक काम नहीं किया तो जनता उन्हें स्वीकार नहीं करेगी।
जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने गुरुवार को समाचार एजेंसी से बातचीत में जन सुराज अभियान के संस्थापक प्रशांत किशोर के बिहार को लेकर किए जा रहे दावों को 'बचकाना' करार दिया। उन्होंने कहा, "फिलहाल तो बिहार की राजनीति में पीके का कोई भविष्य नहीं है। कोशिश हर व्यक्ति को करनी चाहिए। वह भी कर रहे हैं। लेकिन अभी तक वह चुनावी रणनीतिकार की भूमिका में रहे हैं। पहली बार, खुद को केंद्र में रखकर बिहार में राजनीतिक पार्टी की शुरुआत कर रहे हैं। उनकी बातें बचकानी हैं।"
एनडीए में मतभेद की चल रही अटकलों को जेडीयू प्रवक्ता ने खारिज किया। उन्होंने कहा कि विकसित भारत और विकसित बिहार के संकल्प के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह अविश्वसनीय और सुदृढ़ गठबंधन है। एनडीए देश और बिहार के हित में है। बिहार की उम्मीद नीतीश कुमार की अगुवाई में ही संभव है। इस बार के बजट में जो प्रावधान हैं, उनसे इस उम्मीद को ताकत मिली है।
हालांकि राजीव रंजन ने कहा कि विभिन्न मुद्दों पर एनडीए के घटक दलों के बीच छोटी-मोटी असहमति होना स्वाभाविक है। मगर यह टकराव का कारण नहीं बनेंगी। सभी दलों के नेता मिल-बैठकर इनका भी समाधान निकाल लेंगे। बता दें कि हाल ही में जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी के इस्तीफे के बाद राजीव रंजन प्रसाद को राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया गया है। जेडीयू ने पिछले दिनों आधिकारिक बयान में कहा था कि त्यागी ने निजी कारणों से प्रवक्ता का पद छोड़ा है वे जेडीयू के सलाहकार बने रहेंगे।
हालांकि, सूत्रों का कहना है कि केसी त्यागी पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार की नीतियों की अक्सर निंदा कर रहे थे। इससे जेडीयू और बीजेपी के संबंध असहज हो रहे थे। इसी कारण उन्हें अपना पद त्यागना पड़ा।