बिहार में शराबबंदी के नाम पर सिर्फ ठेके बंद हैं, जहरीली दारू से मौतों पर भड़के प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने कहा कि छपरा और सीवान में कई लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन सीएम नीतीश या सत्ता में बैठे लोग वहां गए तक नहीं। पीके ने कहा कि बिहार में शराबबंदी सिर्फ नेताओं के भाषणों और सरकारी फाइलों तक ही सीमित है। जमीन पर हकीकत कुछ और है।
बिहार के छपरा और सीवान में जहरीली शराब पीने से हुई 30 से ज्यादा लोगों की मौत पर राजनीति गर्मा गई है। जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने एक बार फिर शराबबंदी कानून को फेल करार दिया। पीके ने कहा कि बिहार में शराबबंदी के नाम पर सिर्फ ठेके बंद हैं। जबकि, हकीकत यह है कि घर-घर शराब बन रही है और बिक रही है। उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है।
प्रशांत किशोर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि शराबबंदी से सिर्फ भ्रष्ट अधिकारी, नेता और शराब माफिया का फायदा हो रहा है। जनता का कोई फायदा नहीं हो रहा है। घर-घर शराब बिक रही है। इससे समाज के हर तबके को परेशानी हो रही है। इसलिए जन सुराज पार्टी शराबबंदी को हटाने की बात कर रही है।
पीके ने कहा कि शराबबंदी के बाद इस तरह की व्यवस्था बना दी गई है कि शराब माफिया को देखने वाला कोई नहीं है। राज्य सरकार को 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान अलग से हो रहा है। उन्होंने कहा कि जहरीली शराब से मौतों की यह पहली घटना नहीं है। छपरा में डेढ़-दो साल पहले 70 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। इस बार भी मौत का सही आंकड़ा पता नहीं चल पाया है। स्थानीय लोग बता रहे हैं कि बहुत ज्यादा लोग मरे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सरकार में बैठे लोग वहां जाना तक मुनासिब नहीं समझते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इतनी मौतों के बावजूद नेताओं की आंखें नहीं खुल रही हैं। पैसे कमाने के चक्कर में शराब माफिया को जहरीली और नकली शराब बेचने की खुली छूट मिली हुई है। लोग मर रहे हैं, इससे सरकार का कोई लेना-देना नहीं है।