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Pitru Paskh Mela: कभी 360 पिंडवेदियां थीं, अब मात्र 54; गया में पिंडदान पर क्या कहता है वायुपुराण?

पंडाजी और साहित्यकार पंडा कान्हू लाल गुर्दा की करीब डेढ़ वर्ष पहली लिखी पुस्तक वृहद गया महात्मय में 360 वेदियों का जिक्र है। समय के साथ वेदियां लुप्त होती गईं। पिंडदान महत्व वाले कई तालाब समतल हो गए।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, सुजीत कुमार, गयाMon, 23 Sep 2024 09:52 AM
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‘गया क्षेत्रे पंचकोसे’ यानी गया तीर्थ पांच कोस में फैला हुआ है। प्रेतशिला से लेकर बोधगया तक। इसका जिक्र वायुपुराण में है। प्राचीन काल में पंचकोस में 360 पिंडवेदियां थीं। सभी पर पिंडदान भी होता था। लेकिन, समय के साथ अतिक्रमण सहित अन्य कारणों से पिंडवेदियां विलुप्त हो गईं। गयाधाम में इस वक्त 360 में महज 54 वेदियां बची हैं। इनमें से उत्तर में 5, मध्य में 45 और 4 वेदियां दक्षिण दिशा में स्थित हैं। पितृपक्ष मेला-2024 में गयाधाम की 54 वेदियों में 45 पर पिंडदान और 9 पर तर्पण हो रहा है।

50 साल पहले तक इन वेदियों पर हुआ पिंडदान

गयापालों ने बताया कि करीब 50 साल पहले 54 से अधिक वेदियों पर गयाश्राद्ध होता था। समय के साथ कुछ अतिक्रमण के शिकार हो गए तो कुछ विलुप्त हो गए। कपिलधारा, ब्रह्मयोनि, तारक ब्रह्म, सावित्री कुंड, सरस्वती सरोवर, गदालोल तालाब, घृतकुलपा, मधु कुलपा, पुण्डरीकाक्ष आदि वेदियों पर वर्षों पहले तक पिंडदान होता था। लेकिन, सब अतिक्रमण के शिकार हो गए। अब मात्र 54 वेदियों पर ही कर्मकांड कराया जाता है जबकि गया में लाखों श्रद्धालु पिंडदान के लिए पहुंचते हैं।

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सिर्फ विष्णुपद मंदिर में हैं 19 पिंडवेदियां

जिन वेदियों पर पिंडदान होता है उनमें प्रमुख हैं फल्गु, जिह्वालोल, विष्णुचरण, विष्णुपद मंदिर में स्थित सोलह वेदी, प्रेतशिला, ब्रह्मकुंड,रामशिला, रामकुंड, सीताकुंड, काकबलि, उत्तर मानस,गया दित्य, उदीची वेदी, कनखल,उत्तर मानस, सूर्र्यकुंड, गदाधर वेदी, गया सिर, गया कूप, मुंडपृष्ठ,धौत पद, आदि गया, गोदावरी सरोवर, मंगलागौरी, वैतरणी सरोवर, ब्रह्म सरोवर, भीम गया, धर्मारण्य,बोधिवृक्ष, अक्षयवट आदि शामिल हैं। सिर्फ विष्णुपद मंदिर परिसर में 19 वेदियां हैं। इनमें सोलह वेदियों के अलावा विष्णुचरण, रूद्रपद व गजकर्ण शामिल हैं।

शहर की प्रमुख पिंडवेदियों में प्रेतशिला शहर के पश्चिमोत्तर दिशा में स्थित प्रेतगिरि पहाड़ी पर है। नारद पुराण में इसकी चर्चा है। यहां तिल मिश्रित सत्तू के पिंडदान की महत्ता है। इस पहाड़ पर पहुंचने के लिए 676 सीढ़ियां हैं।

गया महात्मय में 360 वेदियों का है जिक्र

श्री विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल और सचिव गयापाल गजाधर लाल पाठक ने बताया कि गया श्राद्ध की पुरानी किताब में 360 वेदियों का जिक्र है। पंडाजी और साहित्यकार पंडा कान्हू लाल गुर्दा की करीब डेढ़ वर्ष पहली लिखी पुस्तक वृहद गया महात्मय में 360 वेदियों का जिक्र है। समय के साथ वेदियां लुप्त होती गईं। पिंडदान महत्व वाले कई तालाब भी आज समतल हो गए। कई वेदियां पर घर बन गए। बताया कि 54 वेदियों में अति महत्वपूर्ण वेदियों पर ही तीर्थयात्री पिंडदान करते है। आचार्य नवीनचंद्र मिश्र वैदिक ने बताया कि वायु पुराण में 360 पिंडवेदियों का जिक्र है।

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