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हाई कोर्ट ने तैयार किया कमजोर गवाहों के लिए दिशा-निर्देश

पटना हाई कोर्ट ने कमजोर गवाहों के साक्ष्य को कलमबंद करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में बनाए गए हैं और बिहार के सभी न्यायालयों और किशोर न्याय बोर्ड...

Newswrap हिन्दुस्तान, पटनाWed, 16 April 2025 09:38 PM
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हाई कोर्ट ने तैयार किया कमजोर गवाहों के लिए दिशा-निर्देश

सुप्रीम कोर्ट के स्मृति तुकाराम बडाडे बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य केस में जारी आदेश के बाद पटना हाई कोर्ट ने कमजोर गवाहों के साक्ष्य को कलमबंद करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार किया है। कमजोर गवाहों के सुरक्षित और अनुकूल वातावरण में साक्ष्य दर्ज करने के लिए हाई कोर्ट की ओर से इसे बनाया गया है। यह हाईकोर्ट की ओर से अधिसूचित की गई तिथि से बिहार के सभी न्यायालयों और किशोर न्याय बोर्ड पर लागू होगा। सुप्रीम कोर्ट ने नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के तहत दर्ज मुकदमों में ब्यान दर्ज करने के लिए देश के सभी हाई कोर्ट को दिशा निर्देश जारी करने का आदेश दिया था। इसी आदेश के आलोक में पटना हाई कोर्ट ने कमजोर गवाहों के साक्ष्य की रिकॉर्डिंग के लिए दिशा-निर्देश, 2025 जारी किया है। यह कमजोर गवाहों के साक्ष्य रिकॉर्ड करने के लिए दिशा-निर्देश के नाम से जाना जाएगा। जबतक यह दिशा-निर्देश प्रभावी रहेगा तब तक दूसरा कोई प्रावधान लागू नहीं होगा। यह दिशा-निर्देश कमजोर गवाहों की जांच को नियंत्रित करेंगे जो किसी भी मामले में पीड़ित या गवाह हैं। कमजोर गवाहों का तात्पर्य कोई भी पीड़ित बच्चा या गवाह जिसने 18 वर्ष की आयु पूरी नहीं की है। पॉस्को कानून के तहत अपराध का कोई भी पीड़ित कमजोर गवाह माना जाएगा। भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 64(1), 64(2), 65(2), 66, 67, 68, 70, 71, 74, 75, 76, 77 और 78 के तहत अपराध का कोई भी पीड़ित। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 2(एस) के तहत परिभाषित कोई भी दिव्यांग व्यक्ति और संबंधित न्यायायलयों द्वारा घोषित व्यक्ति को कमजोर गवाह माना जाएगा। भारतीय स्वास्थ्य अधिनियम, 2023 की धारा 124 के साथ पठित मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 की धारा 2(एस) के तहत परिभाषित मानसिक बीमारी से पीड़ित कोई भी गवाह इसमें शामिल होगा। नये दिशा-निर्देश में कमजोर गवाहों के लिए एक सुरक्षित स्थान होगा, जहां वे प्रतीक्षा कर सकते हैं। कमजोर गवाह को स्वतंत्र रूप से और सुरक्षित, सुलभ और आरामदायक वातावरण में गवाही देने में सक्षम बनाने के लिए कौन से विशेष उपाय किए जाएंगे, इस बारे में भी निर्देश दिया गया है।

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