बिहार में बंद पड़े इन दो चीनी मिलों को खोलने का प्लान, एसबीआई कैप्स करेगी समीक्षा; हजारों किसानों को फायदा
इन दोनों चीनी मिल परिसर में फिर से चीनी मिल और इथेनॉल प्लांट लगाने की उम्मीद बढ़ गई है। बिहार विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया से पहले इस संबंध में कोई फैसला लेने की उम्मीद है। इन दोनों मिलों के चालू होने का फायदा क्षेत्र के हजारों किसानों को होगा।

बिहार की बंद चीनी मिलों को चलाने की कवायद फिर शुरू हुई है। गन्ना उद्योग विभाग ने सकरी और रैयाम चीनी मिल की संपत्तियों का पूनर्मूल्यांकन कराने का फैसला लिया है। इसके लिए जल्द ही सर्वे शुरू होगा। गन्ना उद्योग विभाग ने एसबीआई कैप्स, कोलकाता के जरिए पुनर्मूल्यांकन का निर्णय लिया है। इस संबंध में ईखायुक्त अनिल कुमार झा ने आदेश जारी किया है। इसका मकसद यहां गन्ना आधारित उद्योग स्थापित करना है।
इन दोनों मिल परिसर में फिर से चीनी मिल और इथेनॉल प्लांट लगाने की उम्मीद बढ़ गई है। बिहार विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया से पहले इस संबंध में कोई फैसला लेने की उम्मीद है। इन दोनों मिलों के चालू होने का फायदा क्षेत्र के हजारों किसानों को होगा। बता दें कि इससे पहले भी वर्ष 2006 में एसबीआई कैप्स ने राज्य की 15 मिलों के पुनर्मूल्यांकन का निर्णय लिया गया था।
इनमें से आठ चीनी मिल की जमीन बियाडा को हस्तांतरित की जा चुकी है। शेष सात में से लौरिया और सुगौली एचपीसीएल बायोफ्यूल्स को, मोतीपुर इकाई इंडियन पोटाश लिमिटेड को, बिहटा इकाई पिस्टाइन मगध इंफ्रास्ट्रक्चर, समस्तीपुर इकाई विनसम इंटरनेशनल को हस्तांतरित किया जा चुका है।
यहां उद्योग की स्थापना की जा रही है। रैयाम और सकरी इकाई को तिरहुल इंडस्ट्रीज लिमिटेड को हस्तांतरित की गई थी। लीज की शर्तों को पूरा नहीं करने के चलते इन दोनों इकाइयों के निवेशक से किए गए इकरारनामे को वर्ष 2021 में खत्म किया जा चुका है। अब इन दोनों इकाइयों का फिर से पुनर्मूल्यांकन कराया जा रहा है।
करीब तीस साल से बंद हैं दोनों मिलें
रैयाम चीनी मिल वर्ष 1994 से बंद है। वहीं, सकरी चीनी मिल वर्ष 1997 से बंद है। दोनों चीनी मिलें आजादी से पूर्व स्थापित हुई थीं। सकरी की स्थापना 1933 में जबकि रैयाम की 1914 में हुई थी। सकरी चीनी मिल करीब 47 एकड़ और रैयाम 68 एकड़ क्षेत्र में बनी है। रैयाम चीनी मिल के पास मोकद्दमपुर तक 14 किमी लंबी अपनी ट्रॉली लाइन भी थी।
बिहार राज्य चीनी निगम की आठ चीनी मिलों की जमीन बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार(बियाडा) को हस्तांतरित की जा चुकी है। इनमें हथुआ (डस्टिलरी सहित), वारिसलीगंज, गुरारू, गोरौल, सीवान, न्यू सावन, लोहट, बनमनखी की जमीन शामिल है। सभी आठ इकाइयों को मिलाकर 2442.41 एकड़ जमीन दी जा चुकी है।
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