Hindi Newsबिहार न्यूज़Pashupati Paras had to vacate the government bungalow now where will the RLJP office be shifted

आखिरकार पशुपति पारस को खाली करना पड़ा सरकारी बंगला, एस्बेस्टस की छत भी उखाड़े ले गए

  • तमाम प्रयासों के बावजूद आखिरकार आरएलजेपी के अध्यक्ष पशुपति पारस को पटना स्थित सरकारी बंगला खाली करना पड़ रहा है। जिसमें पार्टी का कार्यालय भी है। सामान के साथ-साथ ऑफिस में लगी एस्बेस्टस की छत भी उखाड़ कर ले गए हैं।

sandeep लाइव हिन्दुस्तानMon, 11 Nov 2024 04:27 PM
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राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति पारस को आखिरकार पटना स्थित सरकारी बंगाल खाली करना पड़ा रहा है। जिसमें पार्टी का दफ्तर भी है। सोमवार को बंगला खाली करने का काम शुरू हो गया है। सारे सामान को बाहर ले जाया जा रहा है। सामान के साथ-साथ ऑफिस में लगी एस्बेस्टस की छत भी उखाड़ कर निकाल ली गई है। आपको बता दें बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग ने कार्यालय को खाली करने का नोटिस दिया था। हालांकि पशुपति पारस की याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने 13 नवंबर तक बलपूर्वक बंगला खाली कराने पर रोक लगा दी थी।

बिहार सरकार ने केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के गुट वाली लोजपा (रामविलास) को ये बंगला आवंटित कर दिया था। इस मामले पर आरएलजेपी के प्रवक्ता ने कहा कि हम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं, और बंगला खाली कर रहे हैं। लेकिन हमारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुजारिश है, हम अपना कार्यालय सड़क पर लेकर कहां जाएंगे, इसलिए 14 नवंबर तक पटना में हमें कहीं भी कार्यालय के लिए जगह उपलब्ध कराएं।

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सरकारीबंगले को लेकर पशुपति पारस ने पटना हाईकोर्ट से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक से मुलाकात की थी। लेकिन कुछ काम नहीं आया। आपको बता दें पटना एयरपोर्ट के पास शहीद पीर अली खान रोड पर स्थित कार्यालय परिसर 30 जून, 2006 को रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) को आवंटित किया गया था। हालांकि, इस साल हुए लोकसभा चुनाव से पहले पारस के गुट वाली लोजपा को बीजेपी ने दरकिनार करते हुए उनके भतीजे चिराग पासवान के गुट को तरजीह दी थी।

इसके बाद पशुपति पारस ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसी दौरान नीतीश सरकार की ओर से उनके कार्यालय का आवंटन रद्द कर दिया गया था। वहीं भवन निर्माण विभाग के मंत्री जयंत राज ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि राष्ट्रीय राज्य स्तर की मान्यता प्राप्त पार्टियों से संबंधित नियमों के अनुसार ही कार्यालय का आवंटन किया जाता है। चुनाव आयोग से पार्टी की संबद्धता खत्म होने के बाद आवंटित कार्यालय वापस ले लिया जाता है।

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