Hindi Newsबिहार न्यूज़Pashupati Paras calls Chirag Paswan a chandaal says LJP R Leader did not allow visiting Ramvilas on death bed

पशुपति पारस ने अब चिराग पासवान को चांडाल कहा, बोले- अंतिम समय में भाई से मिलने नहीं दिया

  • समाजवादी नेता रामविलास पासवान के परिवार में राजनीतिक लड़ाई खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। भाई की पार्टी लोजपा तोड़कर रालोजपा बनाने वाले पशुपति पारस ने अब केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को चांडाल कहा है।

Ritesh Verma लाइव हिन्दुस्तान, पटनाFri, 29 Nov 2024 06:11 PM
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पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को चांडाल कहा है। इस साल के लोकसभा चुनाव से पहले तक नरेंद्र मोदी सरकार में पांच सांसद तोड़कर मंत्री रहे पशुपति पारस को अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के दलों ने मीटिंग-कार्यक्रम में बुलाना छोड़ दिया है। बिहार में दलितों के सबसे बड़े नेता रहे रामविलास पासवान के निधन के चार साल बाद परिवार में राजनीतिक लड़ाई और तीखी हो गई है। रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को तोड़कर पारस ने मोदी सरकार में जगह बनाई थी और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) नाम से अपनी पार्टी बनाई थी। लोकसभा चुनाव में पारस को एनडीए में ना सीट मिली और ना कोई तवज्जो।

पशुपति पारस ने अपने गृह जिले खगड़िया में पार्टी के एक कार्यक्रम में कहा- “पासवान जी हम लोगों के भाई तो थे ही, भगवान भी थे। अफसोस इस बात का है कि तीनों भाई में इतना प्यार-मोहब्बत था लेकिन अंतिम समय में जब वो बीमार पड़े, ये चांडाल व्यक्ति हमारे परिवार के किसी भी सदस्य को उनसे नहीं मिलने दिया। यह सबसे दुखद घटना है। अंतिम समय में पासवान खोजते रहे कि पारस कहां है, प्रिंस कहां है। घर के तमाम लोगों को खोजते रहे। इन लोगों ने कोरोना के नाम पर बहाना किया और परिवार के किसी सदस्य को नहीं मिलने दिया। जो जैसा कर्म करेगा, उसको वैसा फल देगा भगवान।”

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पशुपति पारस की पार्टी ने एनडीए के दलों की बेरुखी को महसूस कर लिया है और अब वो 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की बातें करने लगी है। एनडीए से रालोजपा और पारस का रिश्ता अभी औपचारिक तौर पर टूटा नहीं है क्योंकि किसी पक्ष ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की है लेकिन जो हो रहा है, उससे साफ है कि पारस को अब एनडीए के दल अपने साथ नहीं गिन रहे हैं। चिराग ने कहा भी है कि छोड़कर तो वो जाता है जो साथ होता है। पारस एनडीए के साथ हैं ही नहीं तो छोड़ कर जाने का सवाल कहां से पैदा होता है।

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