बिहार विधानसभा चुनाव से पहले दल-बदल शुरू, आरजेडी और जेडीयू में मची होड़; प्रशांत किशोर भी पीछे नहीं
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं का दल-बदल अभियान शुरू हो गया है। आरजेडी और जेडीयू में एक-दूसरे के नेताओं को अपने खेमे में शामिल करने की होड़ मची हुई है। वहीं, प्रमुख पार्टियों के नेता टिकट की संभावनाओं को देखते हुए प्रशांत किशोर के जन सुराज से भी जुड़ रहे हैं।
बिहार में विधानसभा चुनाव में अभी एक साल का वक्त बचा है। इससे पहले ही नेताओं का दल-बदल शुरू हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि नेताओं का एक पार्टी छोड़कर दूसरे दल में जाने का सिलसिला आने वाले समय में और तेज होगा। राज्य की दो प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियां जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के कई नेता अब तक पाला बदल चुके हैं। ये दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे के अंदर सेंधमारी करने की कोशिश में जुटी हुई है। वहीं, आगामी 2 अक्टूबर को नई पार्टी बनाने की घोषणा करने वाले प्रशांत किशोर के जन सुराज संगठन से भी बड़ी संख्या में नेता जुड़ रहे हैं। इससे सभी प्रमुख पार्टियां और खासकर आरजेडी में खलबली मची हुई है।
इस महीने की शुरुआत में समस्तीपुर से आरजेडी कई नेताओं ने पाला बदलकर जेडीयू का दामन थामा था। अब मंगलवार को आरजेडी ने जेडीयू में सेंधमारी की और नालंदा से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के कई नेता लालू एवं तेजस्वी यादव के खेमे में चले गए। नालंदा सीएम नीतीश का गृह जिला है, यहां जेडीयू के अंदर टूट होने से सियासी गलियारे में हलचल तेज है।
इससे पहले 4 अगस्त को झारखंड के दिग्गज नेता सरयू राय ने औपचारिक रूप से जेडीयू की सदस्यता ली थी। उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी नेताओं में से एक माना जा रहा है। सरयू राय कभी झारखंड में बीजेपी के कद्दावर नेता थे और मंत्री भी रहे, लेकिन बाद में बागी होकर उन्होंने खुद की अलग पार्टी भारतीय जनता मोर्चा बना ली थी। झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने जेडीयू का दामन थाम लिया।
दूसरी ओर, लालू एवं तेजस्वी यादव अपनी पार्टी में टूट से चिंतित हैं। पिछले कुछ दिनों में पार्टी के कई नेता एवं पदाधिकारी आरजेडी छोड़कर प्रशांत किशोर के जन सुराज से जुड़ गए। आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने अपनी पार्टी के नेताओं को सचेत करते हुए जन सुराज से दूर रहने के लिए दो बार पत्र भी लिखे। जन सुराज बिहार की राजनीति में एक नए विकल्प के तौर पर उभर रहा है। ऐसे में आरजेडी जैसे प्रमुख दलों में टिकट चाहने वाले नेता पीके की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
पिछले दो सालों से बिहार में जन सुराज पदयात्रा निकाल रहे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके आगामी 2 अक्टूबर को अपने संगठन को राजनीतिक पार्टी में बदलने वाले हैं। जन सुराज बिहार विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर लड़न का ऐलान कर चुका है। पीके अपने संगठन का तेजी से विस्तार कर रहे हैं। जन सुराज का दावा है कि दूसरी पार्टियों के बड़ी संख्या में नेता पीके के अभियान से जुड़ रहे हैं, इससे आरजेडी, बीजेपी, कांग्रेस और जेडीयू में खलबली मच गई है।
पिछले हफ्ते, पूर्व मंत्री श्याम रजक ने भी आरजेडी छोड़ दी और उनके जेडीयू में शामिल होने की संभावना है। रजक ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत आरजेडी से ही की थी, लेकिन बीच में वे जेडीयू में शामिल हो गए थे। हालांकि वे नीतीश के साथ लंबे समय तक नहीं टिके और 2020 के चुनाव से पहले वे लालू यादव के खेमे में वापस लौट गए। अब श्याम रजक ने फिर से लालू का साथ छोड़ दिया। उनके जल्द ही जेडीयू में शामिल होने की संभावना है।
बीते दो दशकों से बिहार की सत्ता के केंद्र में रहने वाले जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने इसी साल महागठबंधन छोड़कर एनडीए में वापसी की थी। बिहार विधानसभा में एनडीए सरकार के फ्लोर टेस्ट के दौरान सीएम नीतीश आरजेडी के कुछ विधायकों को अपने पाले में करने में भी सफल हुए थे। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बिहार एनडीए में अहमियत और बढ़ गई है। चुनाव नतीजों के बाद सहयोगी पार्टियों के नेताओं ने मान लिया है कि अगले साल होने वाला असेंबली इलेक्शन नीतीश के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा।
हाल ही में एके-47 केस में बरी होकर जेल से बाहर आए बाहुबली नेता अनंत सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। उनकी पत्नी नीलम देवी ने फ्लोर टेस्ट के दौरान क्रॉस वोटिंग करते हुए एनडीए को वेट दिया था। अनंत सिंह लोकसभा चुनाव के दौरान भी 15 दिनों के लिए पैरोल पर बाहर आए थे और मुंगेर लोकसभा में जेडीयू के ललन सिंह के समर्थन में माहौल बनाया था।
दूसरी ओर, भाजपा बिहार में अपने संगठन को मजबूत करने की योजना पर काम कर रही है। हिंदी पट्टी में यह एकमात्र राज्य है, जहां उसे अपने दम पर सरकार बनाने में संघर्ष करना पड़ा है। भाजपा की योजना एक करोड़ सदस्य बनाने और एनडीए का विस्तार करने की है। फिलहाल बीजेपी की नजर एनडीए से अलग-थलग चल रहे पशुपति पारस गुट वाली रालोजपा और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) पर भी है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस से मुलाकात की, जिन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान के कारण नजरअंदाज कर दिया गया था। इसके बाद पारस सोमवार को दिल्ली में उन्होंने सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह से भी मिले।
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में चीजें ठीक करने में लगी है। इस साल होने वाले चार सीटों पर उपचुनाव में बीजेपी अपने संबंधों को मजबूत कर सकती है। भोजपुर जिले की तरारी सीट से विधायक रहे बाहुबली सुनील पांडेय पारस की पार्टी छोड़कर हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए। इससे पशुपति पारस खुश नहीं हैं। बीजेपी के सामने लोजपा के दोनों गुटों को साथ लेकर चलने की चुनौती है।
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