लालू के नाम खुला पत्र या गुनाहनामा? मोदी के नाम तेजस्वी के खत पर जडीयू ने किया पलटवार
जेडीयू ने लालू यादव के नाम खत लिखकर तेजस्वी के पत्र पर पलटवार किया है। जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता सह सचेतक सत्तारूढ़ दल नीरज कुमार ने लालू के नाम लिखे पत्र को 'गुनाहनामा' करार दिया है।

बिहार में जातीय जनगणना पर तेज हुई सियासत चिट्ठी पत्री तक पहुंच गई है। शनिवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित पत्र लिखा जिसमें कई जातीय आंकड़ों के आधार पर कई सेक्टर में आरक्षण की मांग की। उसके जवाब में जेडीयू ने लालू यादव के नाम खत लिखकर पलटवार किया है। जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता स सचेतक सत्तारूढ़ दल नीरज कुमार ने लालू के नाम लिखे पत्र को 'गुनाहनामा' करार दिया है। पत्र के माध्यम से नीरज कुमार ने 6 बिंदुओं पर लालू यादव पर निशाना साधा है।
लालू प्रसाद को संबोधित करते हुए नीरज कुमार ने कहा है कि यह पत्र "गुनाहनामा" केवल राजनैतिक अभिलेख नहीं बल्कि उन ऐतिहासिक अन्यायों का दस्तावेज है जो राजद की सरकार ने बिहार के अति पिछड़ा वर्ग, ईबीसी के साथ किया। आप सामाजिक न्याय के स्वयंभू ध्वजवाहक रहे, आप जालिम राज व अतिपिछड़ा वर्ग के राजनैनिक संहार एवं नरसंहार के पर्याय रहे हैं।
नीरज कुमार ने अपने पत्र में लिखा है कि लालू यादव ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर का अपमान किया। जब उनके लिए जीप देने की बात आई तो लालू जी ने तेल नहीं होने का बहाना करते हुए कर्पूरी ठाकुर के ताना देकर अपमान किया। नीरज कुमार ने कहा है कि लालू यादव के 15 सालों के शासन काल में अति पिछड़ा समाज के लोगों की हकमारी हुई।मंत्रिमंडल, बोर्ड, निगम, आयोग और प्रशासन में उनकी संख्या नगण्य रही1990 से 2005 के बीच 272 मंत्रियों में मात्र 18 मंत्री अति पिछड़ा समाज के बने जिनका प्रतिशत 6.6 प्रतिशत रहा। राजद के शासन काल में पिछड़ा और अतिपछड़ा विभाग भी नहीं था। उस समय एकल पद और पंचायतों में अतिपिछड़ा को आरक्षण भी नहीं दिया गया।
नीरज कुमार ने आरोप लगाया है कि किंगमेकर की भूमिका रहते हुए भी लालू यादव ने जातीय जनगणना कराने पर बल नहीं दिया। चारा घोटाले में फंसे होने के कारण जाति सर्वे भी नहीं करवाया। उन्होंने कभी महिला और बेटियों का सम्मान नहीं किया लेकिन, अपनी राजनीति चार्जशीटेड बेटा के हवाले कर दिया।