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SKMCH मुजफ्फरपुर में हो सकता है यूपी जैसा हादसा? आग बुझाने के इंतजाम को NOC का इंतजार

एसकेएमसीएच अस्पताल प्रबंधक संजय कुमार साह ने बताया कि हाइडेंट का एनओसी अग्निशमन विभाग से मिलना है। इसके लिए आवेदन किया गया है। एनओसी मिलने के बाद ही यह चालू हो सकेगा। उन्होंने बताया कि हाइडेंट का प्रेशर लेबल भी काफी कम हो गया है। इसको दुरुस्त कराने को मरम्मत कराई जाएगी।

Sudhir Kumar लाइव हिन्दुस्तानSun, 17 Nov 2024 10:04 AM
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उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल एसकेएमसीएच में आग बुझाने के इंतजाम को अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) का इंतजार है। एनओसी नहीं मिलने से वहां कई साल पहले आग बुझाने के लिए लगा वाटर हाइडेंट अब तक चालू नहीं हो सका है। ऐसे में अगर यूपी के झांसी की तरह आग लगने की घटना हो जाए तो यहां भर्ती बच्चे और अन्य मरीज भगवान भरोसे होंगे। उत्तर प्रदेश के झांसी में महारनी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल के शिशु विभाग के एसएनसीयू में शुक्रवार की रात आग लग गई जिसमें 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई जबकि खिड़की तोड़कर 37 बच्चे बाहर निकाले गए।

एसकेएमसीएच अस्पताल प्रबंधक संजय कुमार साह ने बताया कि हाइडेंट का एनओसी अग्निशमन विभाग से मिलना है। इसके लिए आवेदन किया गया है। एनओसी मिलने के बाद ही यह चालू हो सकेगा। उन्होंने बताया कि हाइडेंट का प्रेशर लेबल भी काफी कम हो गया है। इसको दुरुस्त कराने को मरम्मत कराई जाएगी। दो साल बाद भी इसे चालू नहीं किया जा सका है।

फायर ब्रिगेड के भरोसे एसकेएमसीएच

एसकेएमसीएच में लगा हाइडेंट इस्तेमाल नहीं होने से खराब हो रहा है। इस बीच इसे चेक करने के लिए चालू किया गया तो प्रेशर वॉल्व ठीक नहीं हो सका था। कई बार मरम्मत भी हुई, लेकिन प्रेशर वॉल्व ठीक नहीं हो सका है। नतीजतन पानी में प्रेशर नहीं बनता। इस कारण आग लगने की घटना होने पर अस्पताल प्रशासन फायर ब्रिगेड के भरोसे रहता है।

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सदर अस्पताल कर्मियों को नहीं आता हाइडेंट चलाना

सदर अस्पताल के पुराने भवनों के वार्ड व विभागों में वाटर हाइडेंट की व्यवस्था नहीं है। एमसीएच में वाटर हाइडेंट लगा है, लेकिन वहां तैनात कर्मियों को इसे चलाना नहीं आता है। सदर अस्पताल के महिला वार्ड में कई जगहों पर बिजली के सर्किट खुले हैं। प्लग को खिड़की के लोहे से लटकाया गया है। दवा स्टोर, आईसीयू, नेत्र ओटी के आसपास बिजली के खुले तारों का जाल है। एनआईसीयू, एमसीएच और पुरानी बिल्डिंग में फायर सेफ्टी उपकरणों का अभाव है। इस्तेमाल नहीं होने से हाइडेंट का वॉल्व खराब हो गया है और इससे पानी का प्रेशर कम हो गया है।

पुरानी बिल्डिंग में भी फायर सेफ्टी उपकरणों की कमी

एसकेएमसीएच की एनआईसीयू, एमसीएच और पुरानी बिल्डिंग में भी फायर सेफ्टी उपकरणों की कमी है। जो अग्निशमन यंत्र उपलब्ध है, उसे भी चलाने की जानकारी कर्मियों को नहीं है। एसकेएमसीएच के कर्मियों को इसका प्रशिक्षण तक नहीं दिया गया है। दूसरी तरफ, एनआईसीयू, एमसीएच और पुरानी बिल्डिंग की सिलिंग में वाटर स्प्रिंकलर लगाए गए हैं, लेकिन इसको अबतक पानी नहीं मिल सका है। इसपर भी लाखों रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

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