जमीन विवाद निपटारे में लापरवाही? 50 फीसदी केस में भी समय से फैसला नहीं, सर्वे पर कितना असर ?
डीसीएलआर के पद पर राजस्व सेवा के अनुभवी पदाधिकारियों की तैनाती होनी चाहिए जो 7-8 साल की सेवा पूरी कर चुके हों, खासकर सीओ के पद पर 3 साल या इससे अधिक सेवा दे चुके हो। वर्तमान में सभी डीसीएलआर के पद पर बिहार प्रशासनिक सेवा के नव चयनित पदाधिकारियों की तैनाती की गई है।
बिहार में जमीन विवाद का निपटारा करने के लिए बिहार भूमि सुधार अधिनियम (बीएलडीआर एक्ट) के तहत डीसीएलआर (भूमि सुधार उप-समाहर्ता) को विशेष अधिकार दिए गए हैं। लेकिन इनके ही स्तर पर हजारों की संख्या में ये मामले लंबित पड़े हुए हैं। आलम यह है कि तय समय में जमीन विवाद तथा दाखिल-खारिज के 50 फीसदी मामलों का भी निपटारा नहीं हो रहा है। 101 डीसीएलआर कार्यालयों में आधे से अधिक में निर्धारित समय में जमीन विवाद से जुड़े मामलों के निष्पादन की दर 60 फीसदी से भी कम है। शेष में यह इससे भी पीछे है। इससे सर्वे का का प्रभावित हो रहा है
बीएलडीआर एक्ट में इन्हें कोर्ट लगाकर मामलों की सुनवाई करनी है। महीने में कम से कम 16 दिन कोर्ट लगाने का प्रावधान है। हाल में हुई समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई थी कि राज्यभर में सिर्फ 11 डीसीएलआर ही ऐसे हैं, जिन्होंने सितंबर महीने में 16 दिन कोर्ट लगाए थे। इसी तरह आधा दर्जन ऐसे हैं, जिन्होंने 13 से 15 दिन कोर्ट लगाया है। बचे हुए अधिकांश ने आधा या इससे कम दिन भी कोर्ट नहीं लगाए। इससे ही स्पष्ट हो जाता है कि जमीन विवाद के मामलों की सुनवाई की रफ्तार क्या है? इसी तरह दाखिल-खारिज के जिन मामलों का निपटारा सीओ स्तर पर नहीं हो पाता, वे अपील के लिए डीसीएलआर के पास आते हैं। वर्तमान में ऐसे लंबित मामलों की संख्या एक लाख के आसपास है। सीओ स्तर पर ऐसे लंबित मामलों की संख्या 5 से 7 लाख है।
विभागीय जानकारों का कहना है कि डीसीएलआर के पद पर राजस्व सेवा के अनुभवी पदाधिकारियों की तैनाती होनी चाहिए। जो 7-8 साल की सेवा पूरी कर चुके हों, खासकर सीओ के पद पर 3 साल या इससे अधिक सेवा दे चुके हो। लेकिन वर्तमान में सभी 101 डीसीएलआर के पद पर बिहार प्रशासनिक सेवा (बिप्रसे) के नव चयनित पदाधिकारियों की तैनाती की गई है। इन्हें जमीन विवाद के मामले का निपटारा करने का कोई खास अनुभव नहीं होता है।
हाल में हुई पोस्टिंग में भी बिप्रसे के पदाधिकारियों की तैनाती कर दी गई है। इस मामले को लेकर यूनाइटेड बिहार राजस्व सेवा संघ ने कई बार आपत्ति भी जताई है। संघ के उपाध्यक्ष एसएस गुप्ता ने कहा कि डीसीएलआर के पद पर उनकी सेवा के पदाधिकारियों की तैनाती नहीं होने के मुद्दे पर आंदोलन करने की भी चेतावनी दी गई है।
तीन माह का समय है निर्धारित
बीएलडीआर एक्ट में जमीन विवाद से जुड़े मामलों का निपटारा अधिकतम 90 दिनों में कर देना है। इससे अधिक समय लगने पर पदाधिकारी को इसका कारण स्पष्ट रूप से बताना होता है। इसी तरह दाखिल-खारिज से जुड़े जो मामले सीओ के पास से निरस्त होकर आते हैं, उनका निष्पादन अधिकतम 30 दिनों में कर देना है। बिना किसी ठोस कारण के ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का भी प्रावधान है।