Bihar Land Survey: लैंड सर्वे में नई तकनीक का इस्तेमाल, आकाश से बना है जमीन का नक्शा; कड़ी से मापी भी नहीं
जमीन सर्वे में शामिल अमीन भी सामान्य कार्य वाले नहीं है। बल्कि इस बार जूनियर इंजीनियर या सहायक अभियंता को यह जिम्मेदारी दी गई है। तकनीकी मशीन से होगा विशेष सर्वे की तैयारी की गई है। यह जमीन की सही तरीके से पैमाईश कर लेगा।
बिहार में जमीन के सर्वेक्षण का अहम काम चल रहा है। इस भूमि सर्वे के दौरान सरकार की कोशिश है कि जमीन का सही मालिकाना हक दिया जा सके। यूं तो बिहार में भूमि सर्वेक्षण एक बेहद ही जटिल प्रक्रिया है लेकिन सरकार ने इसे एक साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा है। राज्य के करीब 45000 से ज्यादा गांवों में भूमि सर्वेक्षण के इस काम में नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां तक कि सरकार ने जो नक्शा बनाया है वो भी नई प्रणाली से बनाई गई है और जमीन का मापी भी बिल्कुल नए तरीके से होगी।
जमीन सर्वे में शामिल अमीन भी सामान्य कार्य वाले नहीं है। बल्कि इस बार जूनियर इंजीनियर या सहायक अभियंता को यह जिम्मेदारी दी गई है। तकनीकी मशीन से होगा विशेष सर्वे की तैयारी की गई है। यह जमीन की सही तरीके से पैमाईश कर लेगा।
नक्शा जमीन पर माप के आधार पर नहीं हुआ है। बल्कि मशीन ने आकाश से तैयार किया है। जाहिर है इस बार जमीन की पैमाइश व सर्वे का कार्य पुरानी पद्धति के अनुसार नहीं होगा। यानी जरीब, कड़ी आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। बल्कि इसके लिए विशेष मशीन लाई गई है।
यहां आपको बता दें कि जमीन पर दावा करने वाले व्यक्ति को खतियान, लगान की रसीद, बंशावली व जमीन का अगर बंटवारा हुआ है तो उसका कागजात भी देना पड़ेगा। बिहार में जमीन के सर्वेक्षण के लिए 9888 अमीन और कानूनगो समेत अन्य कई पदों पर नियुक्ति की गई थी। इन सभी को सर्वे के लिए बेहतरीन ट्रेनिंग दी गई है।
राज्य सरकार की कोशिश है कि इस सर्वे के बाद वो जमीन का एक ऐसा डायनेमिक नक्शा तैयार करे जिससे भविष्य में बंटवारा, खरीद-बिक्री इत्यादि को लेकर विवाद की स्थिति ना बने। विशेष भू सर्वेक्षण के दौरान जरीब और कड़ी के बदले एयरक्राफ्ट और जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। जमीन का सत्यापन करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन जैसी इंजीनियरिंग मशीनों की मदद ली जा रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हर म्यूटेशन के साथ नक्शे को ऑनलाइन बदलने के लिए जीआईएस रोवर मशीन का इस्तेमाल किया जाएगा।