प्लस टू विद्यालय तुंगी में बाउंड्री वॉल की है जरूरत, हाल ही में हुई थी चोरी
हिसुआ के तुंगी स्थित प्लस टू विद्यालय ने सुदूरवर्ती इलाकों के लाखों छात्रों का भविष्य संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1952 में स्थापित इस विद्यालय में आधुनिक सुविधाएं हैं, लेकिन बाउंड्री वॉल...

हिसुआ, संवाद सूत्र। हिसुआ के तुंगी स्थित प्लस टू विद्यालय आसपास के छात्र-छात्राओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यहां से अब तक सुदूरवर्ती इलाके के लाखों छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर अपना भविष्य संवार चुके हैं। यह आज भी हिसुआ के इस सीमाई इलाके के लोगों के बीच शिक्षा का अलख जगाने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। विद्यालय का इतिहास काफी पुराना रहा है। तब हाई स्कूल हिसुआ के अलावा प्रखंड में इक्के-दुक्के गिने-चुने उच्च विद्यालय ही हुआ करते थे। तभी गया और नवादा जिले के सीमाई इलाके के बच्चों को पढ़ाई के प्रति जागरूक करने के साथ ही स्थानीय लोगों के बीच शिक्षा का अलख जगाने के उद्देश्य से अढ़मा निवासी समाजसेवी व शिक्षाविद रहे स्वर्गीय रामसेवक सिंह नें स्थानीय लोगों के सहयोग से 1952 में विद्यालाय की स्थापना की थी। तब से लेकर आज तक यह विद्यालय शिक्षा और शिक्षण में लगातार नित्य नई बुलंदियों को छू रहा है। विद्यालय की वर्तमान स्थिति यह है कि यहां कुछेक असुविधाओं को छोड़कर अन्य सुविधाएं तो है, लेकिन विद्यालय के चारों ओर बाउंड्री बॉल का होना नितांत आवश्यक है। विद्यालय में मौजूद वर्तमान सुविधाओं को दिखाते हुए विद्यालय प्रधान संजीत कुमार ने बताया कि विद्यालय में 15 कमरे उपलब्ध है, जिसमें दस कमरे में बच्चे पढ़ाई करते हैं। जबकि 05 अन्य कमरों में कार्यालय, प्रयोगशाला, लाइब्रेरी और जिम का संचालन किया जाता है। विद्यालय के भीतर बच्चों को पानी पीने के लिए मात्र एक चापाकल है। जबकि यहां अलग से बोरिंग, सबमर्सिबल और मोटर की व्यवस्था नदारद है। विद्यालय प्रधान बताते हैं कि मैने विभाग से कई दफा बाउंड्री बॉल और बोरिंग और सबमर्सिबल मोटर लगाने का ऑनलाइन किया है। इसके बावजूद भी आजतक यहां इन सुविधाओं को उपलब्ध नहीं कराया जा सका है, जिस कारण छात्र-छात्राओं के साथ ही शिक्षक और शिक्षिकाओं को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। अपनी व्यथा सुनाते हुए प्रधान संजीत कुमार बताते हैं कि स्कूल कि चहारदीवारी नहीं होने के कारण ही पिछले वर्ष विद्यालय में अज्ञात चोरों ने काफी तांडव मचाया था। उस वक्त स्कूल के एलईडी, साउंड सिस्टम सहित सभी महंगे उपकरनों की चोरी कर ली गई थी। उन्होंने कहा कि स्कूल कि चहारदीवारी नहीं रहने के कारण यहां की शिक्षिकाएं और छात्राएं खुद को असहज महसूस करती हैं। एक तरह से यह कहा जा सकता है कि विद्यालय के चहारदीवारी सहित कुछ बुनियादी सुविधाओं को छोड़कर यहां अन्य सुविधाएं बहाल हैं। स्कूल के छात्रों के लिए जिम, प्रयोगशाला, स्मार्ट क्लास आदि की सुविधाएं उपलब्ध रहना इस विद्यालय को अन्य से अलग करता है। शिक्षकों के लिहाज से देखा जाय तो यहां कुछेक महत्वपूर्ण विषयों को छोड़कर अन्य विषयों की पढ़ाई ठीक-ठाक होती है। भौतिकी, हिन्दी, इतिहास और राजनीति विज्ञान के शिक्षक विद्यालय में नहीं रहने के कारण इन महत्वपूर्ण चार विषयों की पढ़ाई फिलहाल बाधित है। यहां से पढ़ाई करने वाले हजारों बच्चे अपनी मेहनत और लगन के बल पर देश और दुनिया में अपने माता-पिता सहित अपने विद्यालय का नाम रौशन कर रहे हैं। यहां से पढ़ाई करने वाली छात्रा निरमा कुमारी ने भी अन्य छात्रों की तरह ही अपनी लगन और मेहनत से पढ़ाई की लेकिन वह अन्य सबसे अलग रहते हुए आईआईटी कम्प्लीट कर विद्यालय का नाम रौशन कर चुकी है।
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