अब नया मोड़ पर आ गया शिक्षक प्रोन्नति का मामला
मुंगेर विश्वविद्यालय में शिक्षकों की प्रोन्नति प्रक्रिया को लेकर विवाद बढ़ गया है। शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि तत्कालीन कुलपति ने नियमों का पालन नहीं किया और बिना उचित दस्तावेज के प्रोन्नति दी।...

मुंगेर, हिन्दुस्तान संवाददाता। मुंगेर विश्वविद्यालय में गत वर्ष विभिन्न योजनाओं के तहत अलग-अलग कोटि के शिक्षकों को दी गई प्रोन्नति के मामले में अब नया मोड़ आ गया है। इस मामले में मुंगेर विश्वविद्यालय शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी उत्थान समिति के अध्यक्ष सह वाणिज्य संकाय के डीन व जमालपुर कालेज जमालपुर के प्रभारी प्राचार्य ने विधानसभा की एक समिति के अध्यक्ष को राज्यपाल के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा था। जिसमें उन्होंने प्रोन्नति प्रक्रिया की वैधानिकता पर प्रश्न उठाया था। जिसमें स्पष्ट कहा था कि तत्कालीन कुलपति प्रो श्यामा राय ने प्रोन्नति प्रक्रिया में निर्धारित प्रक्रिया और स्थापित नियमों का पालन नहीं किया है।
साथ ही शिक्षकों को बिना भागलपुर विश्वविद्यालय से मूल दस्तावेज मंगाए बिना ही प्रोन्नति दे दी। इस प्रक्रिया को उन सात लोगों ने मंजूरी दी जो स्वयं प्रोन्नति की कतार में खड़े थे। इस मामले में राजभवन ने शिकायतकर्ता से शपथपत्र मांगा था, जिसे उन्होंने विश्वविद्यालय को उपलब्ध करा दिया है। इसके बाद से ही अनैतिक रूप से प्रोन्नति पाने वाले शिक्षकों के बीच खलबली मची हुई है। नीतिगत निर्णय लेने पर रोक के बावजूद दी स्वीकृति- मुंविवि की तत्कालीन कुलपति प्रो श्यामा राय के नीतिगत निर्णय लेने की शक्ति पर राजभवन ने 10 मई 2024 को रोक लगा दिया था। इसके बावजूद उन्होंने अपने कार्यकाल पूरा होने के महज 17 दिन पहले सिंडिकेट की बैठक कर काफी विवादित रही प्रोन्नति प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया था। प्रोन्नति मामले में कुछ लोगों पर शिक्षकों से अवैध उगाही का भी आरोप लगा था। कुलसचिव को प्रोन्नति प्रक्रिया से रखा गया दूर- प्रोन्नति प्रक्रिया की पूरी अवधि के दौरान कुलसचिव को इससे दूर रखा गया था। साथ ही केवल दबाव डालकर उनसे प्रोन्नति की अधिसूचना प्रकाशित कराई गई। इतना ही नहीं प्रोन्नति प्रक्रिया में सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन तथा राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष के शामिल नहीं होने के बावजूद राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र के शिक्षक को प्रोन्नति दे दी गई। सामाजिक विज्ञान के तत्कालीन डीन ने प्रोन्नति प्रक्रिया की शुरुआत को राजभवन से स्वीकृति नहीं होने का आरोप लगाया था ।इस प्रकरण का एक आडियो भी इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुआ था। शिकायतकर्ता ने जांच टीम पर खड़ा किये सवाल: राजभवन के माध्यम से अपने शिकायत को लेकर शपथपत्र मांगे जाने पर प्रो. एके पोद्दार ने विश्वविद्यालय को अपना शपथपत्र उपलब्ध करा दिया। जिसके दूसरे दिन विश्वविद्यालय की एक टीम ने जमालपुर कालेज जमालपुर का निरीक्षण किया। टीम के निरीक्षण के दौरान कालेज के प्रभारी प्राचार्य सह वाणिज्य के डीन पीजी विभाग में उपलब्ध थे। उन्होंने जांच टीम की मंशा पर सवाल खड़ा किया। इस संबंध में कुलपति को दिए पत्र में प्रो.पोद्दार ने कहा कि विश्वविद्यालय ने ही उन्हें वाणिज्य विभाग का विभागाध्यक्ष बनाया है। संबंधित कार्य को लेकर मैं अपने विभाग में उपस्थित था। जांच समिति ने न तो उनसे संपर्क स्थापित किया और न ही बाद में कभी भी इसकी सूचना ही उन्हें लिखित या दूरभाष से दिया। इस कारण वे अपने महाविद्यालय की जगह मुंगेर विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग में उपस्थित होने की सूचना नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय जांच समिति के बयानबाजी से मैं काफी व्यथित हूं । यह घटना एक षड्यंत्र की ओर इशारा है। गलत और अपूर्ण प्रोन्नति के विरुद्ध मैंने शपथ-पत्र दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि कालेज के चार-पांच सहायक प्राध्यापक बिना सूचना दिए और पठन-पाठन छोड़कर महाविद्यालय के कार्यकारी समय से गायब रहते हैं। व्हाट्सएप के माध्यम से निराधार और निकृष्ट टिप्पणी करते हैं। इन सभी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।