Hindi Newsबिहार न्यूज़Mukhiya Panchayat Samiti Zila Parshad not giving utilization of 20 thousand crore in Bihar

मुखिया, पंचायत समिति और जिला पार्षद 20 हजार करोड़ गटक गए क्या? नहीं दे रहे हिसाब

  • पंयायती राज विभाग की बार-बार हिदायत के बाद भी उपयोगिता प्रमाण पत्र (हिसाब) नहीं दिया जा रहा है। अब विभाग ने कड़ी चेतावनी दी है कि उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने वाले पंचायती राज संस्थाओं को 15वें और छठे राज्य वित्त आयोग की राशि नहीं दी जाएगी।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, पटना, हिन्दुस्तान ब्यूरोFri, 7 March 2025 10:03 AM
share Share
Follow Us on
मुखिया, पंचायत समिति और जिला पार्षद 20 हजार करोड़ गटक गए क्या? नहीं दे रहे हिसाब

बिहार की विभिन्न पंचायती राज संस्थाओं ने 20 हजार करोड़ से अधिक की राशि का हिसाब नहीं दिया है। पंयायती राज विभाग की बार-बार हिदायत के बाद भी उपयोगिता प्रमाण पत्र (हिसाब) नहीं दिया जा रहा है। अब विभाग ने कड़ी चेतावनी दी है कि उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने वाले पंचायती राज संस्थाओं को 15वें और छठे राज्य वित्त आयोग की राशि नहीं दी जाएगी। पंचायती राज संस्थाओं से जुड़े अधिकारियों पर भी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

दरअसल, ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद में विकास कार्य मद में ये राशि आवंटित है। उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजने के लिए विभाग लगातार जिलों को पत्र भेज रहा है। इस संबंध में सभी जिलाधिकारी, डीडीसी सह जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी से उपयोगिता प्रमाण पत्र और डीसी बिल जमा कराने के लिए कहा गया है। उपयोगिता प्रमाण पत्र जल्द जमा हो, इसके उपयोगिता प्रमाण पत्रों पर हस्ताक्षर की शक्ति पहले ही जिला पंचायत राज पदाधिकारी को दे दी गई है। इसके पहले महालेखाकार की रिपोर्ट में सहायक अनुदान मद में वित्तीय वर्ष 2002-03 से लेकर 2022-23 तक आवंटित राशि में 26 हजार 182 करोड़ की राशि का उपयोगिता प्रमाण लंबित रहने की बात कही गई थी।

ये भी पढ़ें:महागठबंधन सरकार बनी तो बिहार में खत्म होगी शराबबंदी, कांग्रेस विधायक का ऐलान

लगातार बैठक और हिदायत के बाद इनमें से लगभग एक तिहाई राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र मिला। मगर बाद में दी गई राशि का भी उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित हो गया है। इस कारण वर्तमान में 20 हजार करोड़ से अधिक आवंटित राशि की उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित हो चुकी है। पुरानी योजनाओं बीआरजीएफ, आरएसवीवाई, 12वें वित्त आयोग, 13वें वित्त आयोग, तृतीय राज्य वित्त आयोग, चतुर्थ राज्य वित्त आयोग की राशि भी शामिल है।

ऑनलाइन भेजा जाता है उपयोगिता प्रमाण पत्र

एक अप्रैल 2019 के बाद उपयोगिता प्रमाण पत्र कोषागार के माध्यम से महालेखाकार को ऑनलाइन भेजा जाना है, जबकि उसके पहले का उपयोगिता प्रमाण पत्र महालेखाकार को मूल में उपलब्ध कराया जाना है। जमा किए गए ऑनलाइन और फिजिकल प्रमाण पत्रों की फोटो कॉपी मासिक रूप से उपलब्ध कराना है।

ये भी पढ़ें:तेजस्वी ही होंगे महागठबंधन के सीएम कैंडिडेट, कांग्रेस और वाम दलों ने भरी हामी

आवंटित राशि से पंचायती राज संस्थाओं में विकास कार्य नली, गली, सड़क आदि बनाने का प्रावधान है। राशि मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के अनुरक्षण और रखरखाव के लिए, सार्वजनिक कुओं के जीर्णोद्धार, छठ घाट निर्माण, छूटे हुए टोलों के लिए ग्रामीण पेय जलापूर्ति योजना, हर खेत को पानी देने के लिए पक्की सिंचाई नालियों के भी निर्माण पर खर्च किया जा सकता है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें