Hindi Newsबिहार न्यूज़Mithilesh Manjhi claim making IPS in 2 lakhs turned out to be false in Police investigation

2 लाख में IPS वाली कहानी झूठी निकली, वर्दी की तरह मिथिलेश मांझी की बातें भी फर्जी

बिहार के जमुई में पिछले दिनों आईपीएस की वर्दी पहनकर घूम रहे मिथिलेश मांझी को पुलिस ने पकड़ा था। उसने दो लाख रुपये में पुलिस अफसर बनने के झांसे में आकर ठगी की बात पुलिस को बताई थी। पुलिस ने उसे छोड़ दिया था। अब जांच में मिथिलेश के सारे दावे झूठ निकले हैं।

Jayesh Jetawat हिन्दुस्तान, जमुईWed, 2 Oct 2024 12:27 PM
share Share

बिहार के जमुई जिले में आईपीएस की वर्दी पहन कर लोगों की आंखों में धूल झोंकने वाला फर्जी एसपी मिथिलेश मांझी असली पुलिस वालों को भी चकमा देने में कामयाब हो गया। तेज तर्रार पुलिस अफसर भी उसकी मासूमियत भरी और चिकनी-चूपड़ी बातों में आ गए। मिथिलेश ने जो भी बातें पूर्व में पुलिस को बताई थीं, वो सभी जांच में झूठी निकलीं। उसका दो लाख रुपये में आईपीएस बनाने वाली कहानी भी महज एक झूठ थी। दूसरी ओर, फर्जी आईपीएस बनकर चर्चा में आया मिथिलेश अब सोशल मीडिया पर स्टार बन गया है। यूट्यूब पर उसके नाम से भोजपुरी एवं मगही गानें भी बन गए हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इन गानों से पुलिस ही नहीं बल्कि पूरे बिहार की खिल्ली उड़ाई जा रही हैं। इसका सूत्रधार मिथिलेश मांझी सोशल मीडिया पर खुद को वायरल फर्जी आईपीएस अधिकारी बता कर गौरवान्वित महसूस कर रहा है। बता दें कि हलसी थाना क्षेत्र के गोवर्धनबीघा गांव निवासी भगलू मांझी का 18 वर्षीय पुत्र मिथिलेश मांझी बीते 20 सितंबर को सिकंदरा- जमुई रोड स्थित बंधन बैंक के समीप आईपीएस अधिकारी की वर्दी पहन कर घूम रहा था। इस दौरान उसने होलिस्टर में रिवाल्वर भी टांग रखी थी। हालांकि इसकी जानकारी मिलते ही पुलिस उसे हिरासत में लेकर थाने ले आई।

थाने में चेकिंग के दौरान उसकी रिवाल्वर नकली पाई गया। पुलिस पूछताछ में मिथिलेश मांझी ने बताया कि खैरा के किसी मनोज सिंह नाम के शख्स ने उसके साथ ठगी की। कुछ माह पहले उसकी मुलाकात मनोज से हुई थी। उसने ही मिथिलेश को 2.30 लाख रुपये में पुलिस पदाधिकारी बना देने का प्रलोभन दिया था। जिसके बाद मनोज सिंह ने दो लाख रुपया लेकर 20 सितंबर की सुबह खैरा स्थित एक स्कूल में उसे ये वर्दी पहनायी थी। मिथिलेश ने पुलिस को बताया था कि उसने अपने मामा से दो लाख रुपया लेकर मनोज सिंह को दिया था। इस दौरान उसने मनोज सिंह का मोबाइल नंबर भी पुलिस को दिया था। पुलिस ने मिथिलेश मांझी को भोला-भाला युवक समझ कर थाने से रिहा कर दिया।

थाने से रिहा होने के बाद मिथिलेश मांझी अचानक सोशल मीडिया पर छा गया। सैकड़ों यूट्यूबर उसके घर पहुंचने लगे। मिथिलेश के कारनामों से जब बिहार की बदनामी होने लगी तो पुलिस पदाधिकारियों भी हरकत में आए। पुलिस ने जब मिथिलेश द्वारा बताई गई जानकारी की पुष्टि करना शुरू किया तो सारे दावे झूठ साबित होने लगे।

ये भी पढ़ें:IPS की वर्दी में धराया मिथिलेश मांझी हीरो बन गया है, भोजपुरी-मगही गानों की बरसात

मिथिलेश द्वारा पुलिस को दी गई सभी जानकारी मनगढ़ंत साबित हुई। उसने पुलिस को चकमा देने के लिए दो लाख लेकर मनोज सिंह द्वारा आईपीएस की वर्दी देने की पूरी थ्योरी रची थी। इस थ्योरी से वह पुलिस को चकमा देने में कामयाब भी हो गया। मिथिलेश मांझी ने मनोज सिंह को देने के लिए अपने मामा से दो लाख रुपया लेने की बात बताई थी। मगर उसके मामा ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया। मामा ने बताया कि उसने एक बार मिथिलेश की मां के इलाज के लिए 60 हजार, घर बनाने लिए 45 हजार और शादी के समय 50 हजार रुपये दिए थे। मगर नौकरी लगने के नाम पर उसे कभी पैसा नहीं दिया।

इसके बाद पुलिस ने खैरा के आसपास रहने वाले मनोज सिंह नाम के कई लोगों को थाने बुलाया और मिथिलेश से पहचान करवाई। मगर वह किसी भी आदमी को पहचान नहीं पाया। इतना ही नहीं मिथिलेश ने जिस कथित मनोज सिंह का मोबाइल नंबर पुलिस को दिया था. वो भी कई महीनों से बंद पाया गया। यह नंबर भी मिथिलेश के स्वजातीय व्यक्ति के नाम से दर्ज पाया गया।

ये भी पढ़ें:जमुई: जमुई के सिकंदरा में फर्जी आईपीएस अधिकारी बन

जांच के दौरान पुलिस ने जब मिथिलेश के मोबाइल की लोकेशन ट्रेस की तो पता चला कि वह 20 सितंबर की सुबह लखीसराय में था। जहां उसने खुद ही एक दुकान से जूते खरीदे थे। जबकि वो पुलिस के सामने 20 सितंबर की सुबह खैरा स्थित एक स्कूल में मनोज सिंह द्वारा आईपीएस की वर्दी दिए जाने की बात कर पुलिस को गुमराह करता रहा। इस संबंध में थानाध्यक्ष मिंटु कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस की जांच में फर्जी आईपीएस अधिकारी मिथिलेश मांझी द्वारा पुलिस को दी गई जानकारी का सत्यापन किया जा रहा है। पुलिस सत्यापन में उसके द्वारा बतायी बातें निराधार साबित हुई हैं।

अगला लेखऐप पर पढ़ें