सैलानियों से गुलजार महाबोधि मंदिर, 13 देशों के बौद्ध श्रद्धालु कर रहे त्रिपिटक सुत्त पाठ
बोधगया के महाबोधि मंदिर में 19वां अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक पूजा में 13 देशों के बौद्ध धर्मावलंबी जुटे हैं। जो त्रिपिटक पूजा कर रहे हैं। 12 दिसंबर को विशेष अनुष्ठान के साथ पूजा समाप्त होगी। बौद्ध धर्म का त्रिपिटक प्रमुख ग्रंथ है। जिसे सभी बौद्ध सम्प्रदाय मानते है।
बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर में प्रारंभ 19वां अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक पूजा में 13 देशों के बौद्ध धर्मावलंबी जुटे हैं। महाबोधि वृक्ष के नीचे त्रिपिटक पूजा के दौरान त्रिपिटक सुत्त के मंत्रों से वातावरण गुंजायमान है। इसके जरिये सत्य, अहिंसा, दया, करुणा और भाईचारे का संदेश दिया जा रहा है। यहां श्रीलंका, लाओस, ताइवान, कम्बोडिया, म्यांमार, बांग्लादेश, नेपाल, थाईलैंड, सिंगापुर, वियतनाम, इंडोनेशिया आदि देशों के बौद्ध धर्मगुरु पहुंचे हैं।
महाबोधि मंदिर के वरीय भिक्खु भंते मनोज ने बताया कि बौद्ध धर्म का त्रिपिटक प्रमुख ग्रंथ है। जिसे सभी बौद्ध सम्प्रदाय मानते है। यह बौद्ध धर्म के प्राचीनतम ग्रंथ है जिसमें भगवान बुद्ध के उपदेश संग्रहित है। यह ग्रंथ पालि भाषा में लिखा गया है और विभिन्न भाषाओं में अनुदित है। इस ग्रंथ में भगवान बुद्ध द्वारा बुद्धत्व प्राप्त करने के समय से महापरिनिर्वाण तक दिए हुए प्रवचनों को संग्रहित किया गया है।
उन्होंने बताया कि मानव दुखों का निवारण करना ही भगवान बुद्ध का लक्ष्य था। उन्होंने कहा भौतिकवादी विकास के बाद भी मनुष्य आज भी अकेला है। हमें तृष्णा, लोभ और मोह से मुक्ति के लिए फिर से बुद्ध के उपदेशों को समझना होगा। 12 दिसंबर को विशेष अनुष्ठान के साथ पूजा समाप्त होगा। पूजा समापन के बाद 13 दिसंबर को सभी बौद्ध भिक्षु जेठियन से पद यात्रा करते हुए वेणुवन राजगीर जायेंगे।