नीतीश सरकार का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार शराबबंदी, JDU नेता उठा रहे फायदा; आंकड़े बताकर तेजस्वी का हमला
राज्य में शराब से मौत के मामले पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर हमला बोला है। उन्होने शराबबंदी को सरकार का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार बताया। और कहा कि शराब के नाम पर अवैध कारोबार के रूप में लगभग 𝟑𝟎 हजार करोड़ की समानांतर अर्थव्यवस्था चलाई जा रही है
बिहार में शराब से मौत के मामले पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर हमला बोला है। शराबबंदी को सरकार का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार बताया है। तेजस्वी ने कहा कि जहरीली शराब से हजारों जानें लेने वाले मुख्यमंत्री अब महात्मा बनने का ढोंग कर रहे है। सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए तेजस्वी ने शराबबंदी के आंकड़े भी बताए हैं।
तेजस्वी यादव ने पोस्ट में लिखा कि बिहार के हर चौक-चौराहे पर शराब की दुकानें खुलवाने वाले और शराबबंदी के नाम पर जहरीली शराब से हजारों जानें लेने वाले मुख्यमंत्री अब महात्मा बनने का ढोंग कर रहे है। अपने शुरू के 𝟏𝟎 वर्षों में बिहार में शराब की खपत बढ़ाने के हर उपाय किए और अब अवैध शराब बिकवाने के हर उपाय कर रहे है। क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मेरे इन तथ्यों को झुठला सकते है? 𝟐𝟎𝟎𝟒-𝟎𝟓 में बिहार के ग्रामीण इलाकों में 𝟓𝟎𝟎 से भी कम शराब की दुकानें थीं, लेकिन 𝟐𝟎𝟏𝟒-𝟏𝟓 में उनके शासन में यह बढ़कर 𝟐,𝟑𝟔𝟎 हो गई। 𝟐𝟎𝟎𝟒-𝟎𝟓 में पूरे बिहार में लगभग 𝟑𝟎𝟎𝟎 शराब की दुकानें थीं जो 𝟐𝟎𝟏𝟒-𝟏𝟓 में बढ़कर 𝟔𝟎𝟎𝟎 से अधिक हो गईं।
तेजस्वी कहा कि एक आंकड़े के अनुसार बिहार में हर दिन औसत 𝟒𝟎𝟎 से ज्यादा लोगों की शराब से जुड़े मामलों में गिरफ्तारी होती है तथा बिहार पुलिस व मद्य निषेध विभाग की ओर से प्रदेश में हर दिन करीब 𝟔𝟔𝟎𝟎 छापेमारी होती है यानि औसत हर घंटे 𝟐𝟕𝟓 छापेमारी होती है। इसका अर्थ है बिहार पुलिस और मद्य निषेध विभाग हर महीने लगभग 𝟐 लाख तथा प्रतिवर्ष 𝟐𝟒 लाख जगह छापेमारी करता है लेकिन इसके बाद भी अवैध शराब का काला काराबोर बदस्तूर जारी है। जिसका आशय आशय यह भी है कि ज़ब्त शराब को बाद में जेडीयू नेताओं, शराब माफिया और पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से बाजारों में बेच दिया जाता है।
तेजस्वी कहा कि एक आंकड़े के अनुसार बिहार में हर दिन औसत 𝟒𝟎𝟎 से ज्यादा लोगों की शराब से जुड़े मामलों में गिरफ्तारी होती है तथा बिहार पुलिस व मद्य निषेध विभाग की ओर से प्रदेश में हर दिन करीब 𝟔𝟔𝟎𝟎 छापेमारी होती है यानि औसत हर घंटे 𝟐𝟕𝟓 छापेमारी होती है। इसका अर्थ है बिहार पुलिस और मद्य निषेध विभाग हर महीने लगभग 𝟐 लाख तथा प्रतिवर्ष 𝟐𝟒 लाख जगह छापेमारी करता है लेकिन इसके बाद भी अवैध शराब का काला काराबोर बदस्तूर जारी है। जिसका आशय आशय यह भी है कि ज़ब्त शराब को बाद में जेडीयू नेताओं, शराब माफिया और पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से बाजारों में बेच दिया जाता है।
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तेजस्वी ने शराबबंदी को नीतीश कुमार के शासन का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार बताया। बिहार में शराब के नाम पर अवैध कारोबार के रूप में लगभग 𝟑𝟎 हजार करोड़ की समानांतर अर्थव्यवस्था चलाई जा रही है, जिसका सीधा फ़ायदा जेडीयू पार्टी और उसके नेताओं को मिल रहा है। आपको बता दें जहरीली शराब कांड में मौत का आंकड़ा अब 44 पर पहुंच गया है। सीवान में मृतकों की संख्या 28 हो गई है। वहीं, सारण में मरने वालों की संख्या 15 पहुंच गई। गोपालगंज में भी एक व्यक्ति की मौत गुरुवार को हुई थी।