गंगा व सहायक नदियों के रौद्र रूप से पलायन शुरू
गंगा व सहायक नदियों के रौद्र रूप से पलायन शुरू बड़हिया, पिपरिया, सूर्यगढ़ा एवं लखीसराय
लखीसराय, हिन्दुस्तान संवाददाता। जिले में गंगा, हरूहर एवं किऊल नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। जिससे लोग डरे-सहमे हुए हैं और ऊंची स्थान पर पलायन को मजबूर हैं। बीते 24 घंटे में गंगा के जलस्तर में हुए अप्रत्याशित वृद्धि से इसकी सहायक नदिया भी उफान पर है। जिससे पिपरिया प्रखंड का दियारा इलाका पूरी तरह बाढ़ की चपेट में आ गया है। कल तक जहां लोग वाहनों से आसानी से आ जा रहे वहां आज दो से तीन फीट बाढ़ का पानी जमा हो चुका है। मजबूरन लोग घरों को छोड़कर ऊंचे एवं सुरक्षित स्थल अपना ठिकाना तलाशना शुरू कर दिया है। एक तरह से कहा जाये कि दियारा के लगभग 50 हजार ज्यादा आबादी बाढ़ की चपेट में आकर जिंदगी बचाने का जद्दोजहद को लेकर परेशान है। एक तरफ जहां लोग बाढ़ की विभीषिका के बीच अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं वहीं मवेशियों के लिए सुरक्षित ठिकाने की तलाश और चारा का प्रबंध करना किसी चुनौती से काम नहीं है। लोगों को पशु चारा के साथ ही पशुओं के आवासन को लेकर खासे परेशानी हो रही है। पशु पालक जान जोखिम में डालकर पशुओं के चारा का इंतजाम कर रहे है। वहीं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों प्रशासनिक सुविधा के नाम पर पदाधिकारी अभी तक मुआयना कर रणनीति बनाने में जुटे हैं और आश्वासन देकर अपनी जिम्मेदारी को खत्म समझ रहे है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का आकलन पदाधिकारी सरकारी आवास एवं जिला मुख्यालय में बैठे बैठे कर रहे है। पिपरिया प्रखंड के पिपरिया, करारी पिपरिया, बसौना, डीह पिपरिया, कन्हरपुर, पथुआ, वलीपुर, मोहनपुर, रामचंद्रपुर, तड़ीपर, राम नगर, मुड़वरिया, हसनपुर के अलावा सदर प्रखंड का रेहुआ गांव बाढ़ की विभीषिका में फंसकर त्राहिमाम कर रहा है।
प्रशासनिक तैयारी की खुली पोल
विगत चार पांच माह पहले से ही बाढ़ से बचाव, आश्रय स्थल का चयन, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराने, नाव की उपलब्धता, पशुओं के लिए चारा की उपलब्धता सहित अन्य कई प्रकार का तैयारी किया गया। हरेक बैठक में तैयारी की समीक्षा की जाती थी और कमियों को दूर करने का नया निर्देश दिया जाता था। लेकिन जब बाढ़ की विभीषिका ने लोगों को परेशान करना शुरू किया तो प्रशासनिक तैयारी की पोल खुलकर सामने आ गई। बाढ़ क्षेत्र में न तो सरकारी नाव कहीं दिखते हैं और ना ही तैयारी की गई कोई अन्य सुविधा। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोग बाढ़ की त्रासदी से बचाने को लेकर शासन प्रशासन की ओर टकटकी लगाए हैं, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ भी उपलब्ध नहीं हो रहा है।
नहीं गए बाढ़ प्रभावित क्षेत्र सड़क से बाढ़ देख लौटे पदाधिकारी
गुरुवार को पदाधिकारियों का काफिला पिपरिया व बड़हिया प्रखंड पहुंचे और सड़क से ही बाढ़ का आकलन कर लिए। अधूरी तैयारी के साथ पहुंचे पदाधिकारी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों को दर्द देखे बिना ही सड़क पर से बाढ़ का आकलन कर वापस लौट गए। निरीक्षण करने पहुंचे एसडीएम चंदन कुमार कहा कि लोगों को हर संभव मदद पहुंचाया जाएगा । यहां के लोगों को रास्तों के जलमग्न हो जाने से आवागमन में काफी परेशानी हो रही है । बाढ़ के पूर्व की तैयारी के दौरान हम लोगों के द्वारा नाव निबंधित किए गए हैं । जिसे मुहैया करने के लिए पिपरिया सीओ को निर्देशित किया गया है। वहीं फसल क्षति के आकलन के लिए जिला कृषि पदाधिकारी और प्रखंड कृषि पदाधिकारी को निर्देशित किया गया है। उन्होंने बताया की फरक्का डैम के कुछ और गेट खोले गए हैं जिससे कल से जलस्तर में कमी देखने को मिलेगी। एसडीओ के साथ एसडीपीओ शिवम कुमार, आपदा प्रभारी सह वरीय उप समाहर्ता शशि कुमार, पिपरिया सीओ प्रवीण अनुरंजन, बड़हिया सीओ के अलावा पिपिरया प्रखंड प्रमुख प्रतिनिधि राम बिलास शर्मा, पूर्व जिप अध्यक्ष रवि रंजन कुमार उर्फ टनटन, जदयू जिलाध्यक्ष रामानंद मंडल सहित जिला प्रशासन की टीम साथ थी।
चरमराई, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था
बाढ़ की विभीषिका झेल रहे लोगों को आफत ने चारों तरफ से घेर लिया है । इस जल प्रलय के बीच तैयारी के अभाव में लोगों के लिए जरूरी सुविधाएं के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरफ से ठप है। विद्यालयों के संपर्क पथ पर पानी जमा हो जाने से पूर्व से जारी अर्धवार्षिक परीक्षा रद्द कर दी गई है। वहीं लोगों के सुरक्षा की जिम्मा उठाने वाला पिपरिया थाना भी अब टापू बन चुका है और उसके अधिकारी और जवान जल कैदी बनने को मजबूर हैं। पिपरिया निवासी भोला यादव बताते हैं कि दियारा क्षेत्र हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका झेलता है। लोग कुव्यवस्थाओं के बीच अपने आप को सुरक्षित रखने को जद्दोजहद करते नजर आते हैं। प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा हर वर्ष मुआयना, बाढ़ के पूर्व तैयारी, समीक्षा आदि की जाती है, लेकिन आपदा की स्थिति में व्यवस्थाएं नदारद नजर आती है। बाढ़ को लेकर की जाने वाली सभी तैयारियां महज कागजी फ़ाइलों तक ही सिमट कर रह जाती है।
बाढ़ के कारण पलायन को मजबूर हो रहे लोग
बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर दियारा के मजदूर और किसान अब पलायन कर रहे हैं। गंगा के विकराल रूप ने उनकी सभी आशाओं और उम्मीदों को लील लिया है। बाढ़ के आगोश में फसलों के समा जाने से छोटे खेतिहर किसान और मजदूरों के सामने जीविकोपार्जन की समस्या हो गई है। बाढ़ के पानी के बीच अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ अन्य जरूरी सामान अपने माथे पर रखकर पलायन करते लोग बाढ़ ने क्या क्या लील लिया है यह बताने के लिए काफी हैं । दरअसल दियारा क्षेत्र मजदूर और किसान पूर्णतः खेती, मवेशी पालन और मजदूरी पर ही आश्रित हैं ।
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