कोलकाता रेप-मर्डर केस: सुरक्षा पर सख्त हुए बिहार के डॉक्टर, सरकार से कर दी ये मांग, अल्टीमेटम भी जारी
कोलकाता कांड के बाद से बिहार के डॉक्टर सुरक्षा को लेकर चिंतित है। बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ ने सरकार से मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट में 10 वर्ष की सजा का प्रावधान लागू करने की मांग की। 25 अगस्त तक की मोहलत दी है। मांगें नहीं मानने पर कठोर निर्णय लेने की बात कही है।
कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ बर्बरतापूर्वक बलात्कार और फिर हत्या से चिंतित बिहार के डॉक्टरों ने भी अपने लिए सुरक्षा की मांग की है। रविवार को आईएमए भवन में बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ (भासा) की विस्तारित कोर कमेटी की बैठक में संघ ने सरकार से मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट में 10 वर्ष की सजा का प्रावधान लागू करने की मांग की। साथ ही संघ ने चेतावनी दी है। कि अगर 25 अगस्त तक जायज मांगों पर सरकार संतोषपूर्ण निर्णय नहीं लेती है। तो मजबूरन भासा को राज्य स्तरीय कार्य बहिष्कार समेत अन्य कठोर निर्णय लेने को बाध्य होना पड़ेगा।
आपको बता दें कोलकाता कांड के विरोध में डॉक्टरों की 24 घंटे की ओपीडी हड़ताल से शनिवार को बिहार समेत देशभर में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित रहीं। सरकारी के साथ-साथ निजी अस्पताल भी हड़ताल में शामिल हो गए, इससे मरीजों की मुश्किलें और बढ़ गईं। इंडियन मेडिकल एसोशिएशन (आईएमए) ने ओपीडी में कामकाज बंद रखने का एलान किया था लेकिन, इमरजेंसी में भी सिर्फ कुछ ही गंभीर मरीजों का इलाज हुआ।
बिहार में राजधानी पटना से लेकर प्रखंड और जिला मुख्यालयों तक के सभी सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई रहीं। कई शहरों में अधिकतर निजी अस्पताल में भी मरीजों का इलाज नहीं हुआ। इससे बिना इलाज हजारों मरीज लौटने को विवश हुए। मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों ने ओपीडी के साथ ही इमरजेंसी में भी इलाज बंद कर दिया। पटना में पीएमसीएच, एनएमसीएच, एम्स, आईजीआईएमएस सहित सरकारी अस्पतालों से 4 हजार से अधिक मरीजों के बिना इलाज लौटने का अनुमान है।
आईएमए ने भले ही शनिवार सुबह 6 बजे से रविवार सुबह 6 बजे तक ओपीडी सेवा ठप रहने का आह्वान किया था, लेकिन इमरजेंसी में भी जगह नहीं मिलने से मरीज इलाज के लिए दर-दर भटकते रहे। गया के मगध मेडिकल कॉलेज में भी मरीज बैरंग लौट गए। बांका, मुंगेर, जमुई और लखीसराय के अस्पतालों में भी यही स्थिति रही। कोसी क्षेत्र में भी हड़ताल का असर रहा। मधेपुरा में मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित सरकारी व निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवा बंद रही। सहरसा, सुपौल, खगड़िया के अस्पतालों में भी मरीज बेहाल रहे।
वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने की अपील की है। मंत्रालय ने कहा, स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय सुझाने के लिए समिति का गठन किया जाएगा। इधर, आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अशोकन ने कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप का समय आ गया है।