दिघलबैंक के धनतोला में जंगली हाथियों ने कई घरों को किया क्षतिग्रस्त
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दिघलबैंक, एक संवाददाता। नेपाल के जंगलों से आने वाले हाथियों के उत्पात से सीमावर्ती इलाकों के किसानों सहित आमलोगों का दर्द रोज रोज बढ़ता जा रहा है। लोग त्राहिमाम कर रहे हैं लेकिन हाथियों का झुंड है कि वापस लौटता हीं नहीं है। हर बढ़ते हुए दिन के साथ दो चार एकड़ मक्के की फसल को रौंद डालता है। रही सही कसर तब पूरी हो जाती है जब झुंड से भटककर कुछ हाथी रिहाइशी इलाकों में पहुंच कर घरों पर आक्रमण कर देता है। शनिवार की रात भी इसी तरह झुंड से भटककर कुछ हाथी धनतोला पंचायत के हाथीडुब्बा, बिहार टोला और कामत गांव में घुस गया और कुल तीन घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया। इस दौरान हाथियों के झुंड ने हाथीडुब्बा गांव में शिव लाल के घर को क्षतिग्रस्त करते हुए बिहार टोला एसएसबी कैंप को भी आंशिक नुकसान पहुंचाया। जबकि आगे बढ़ते हुए हाथियों के झुंड ने बिहार टोला गांव के बुद्धिन मरांडी बिहार टोला कामत गांव के मैना मुर्मू के पक्के मकान को क्षतिग्रस्त कर दिया। यही नहीं इस दौरान हाथियों ने घरों के अंदर रखे अनाज व अन्य समानों को भी बरबाद कर दिया। पिछले करीब 25 दिनों से लगातार हाथियों का झुंड अलग-अलग जगहों पर एकड़ के एकड़ मक्का के फसलों को बरबाद करते हुए मक्का के खेतों में डेरा डाले हुए है और जमकर मक्के की फसल को नुकसान पहुंचा रहा है। हाथियों के कारण हो रहे मक्के की बरबादी से त्रस्त किसान द्वारा प्रति दिन तो वन विभाग के कर्मी व वोलेंटियर्स द्वारा कभी-कभी अपने-अपने स्तर से हाथियों को नेपाल की ओर ड्राइव करने का प्रयास किया जा रहा है। बड़े हो चुके मक्के के पौधों के बीच हाथियों को सैकड़ों एकड़ में लगे मक्के के खेतों से निकालकर सीमापार करवा पाना इन लोगों के लिए संभव नहीं दिख रहा है। वहीं हाथियों को अपने अपने खेतों से भगाने के चक्कर में ज्यादा नुकसान हो रहा है। धनतोला पंचायत भवन में अपने सहकर्मियों व वोलेंटियर्स के साथ कैंप डाले वनकर्मियों ने भी शायद अब यह सोचकर लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया है कि पिछले तीन चार वर्षों के हीं तरह इसबार भी एकबार फिर से मक्का में दाना लगते हीं हाथियों ने सीमावर्ती ईलाकों को अपना ठिकाना बना लिया है और पिछले वर्षों की तरह मक्का का सीजन समाप्त होने के बाद हीं संभवत: हाथियों की झुंड नेपाल के जंगल की ओर वापस लौटे। ऐसे में सीमावर्ती लोग और गरीब किसान फिलहाल भगवान भरोसे हैं।
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