Holika Dahan 2023 Importance of Auspicious Timing Amid Bhadra Shadow होलिका दहन पर भद्रा का साया, 14 मार्च को रंगोत्सव, Katihar Hindi News - Hindustan
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होलिका दहन पर भद्रा का साया, 14 मार्च को रंगोत्सव

कटिहार में होलिका दहन का आयोजन 13 मार्च को होगा, लेकिन इस बार भद्रा का साया रहेगा। आचार्य अंजनी कुमार ठाकुर के अनुसार, शुभ मुहूर्त रात 10:44 बजे के बाद होगा। भद्रा काल में शुभ कार्यों का निषेध है,...

Newswrap हिन्दुस्तान, कटिहारWed, 5 March 2025 03:42 AM
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होलिका दहन पर भद्रा का साया, 14 मार्च को रंगोत्सव

कटिहार। इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया रहेगा, जिससे सही समय पर दहन करना महत्वपूर्ण होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, 13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और 14 मार्च को रंगों का त्योहार होली मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है, क्योंकि इस समय किए गए कार्यों का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक है। होलिका दहन के मुहूर्त के बारे में चर्चा करते हुए आचार्य अंजनी कुमार ठाकुर ने बताया कि इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त एक घंटा चार मिनट है। उन्होंने बताया कि 13 मार्च की रात्रि 10:02 बजे से पूर्णिमा की तिथि प्रारंभ होगा। जबकि भद्रा की समाप्ति 10:44 बजे होगी। इस हिसाब से होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात्रि के 10:44 बजे के बाद होगा। उन्होंने बताया कि इस वर्ष 13 मार्च को शाम को भद्रा की छाया होने के कारण होलिका दहन के शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना होगा।

शास्त्रों के अनुसार, भद्रा काल में किए गए कार्य शुभ फल नहीं देते और इससे अशुभ परिणाम हो सकते हैं। यही कारण है कि इस समय विवाह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। विशेष रूप से होलिका दहन को भद्रा में करने से अनिष्टकारी प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए इसे टालना ही बेहतर माना जाता है।

होलिका दहन को लेकर धार्मिक महत्व और मान्यता: होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। पौराणिक कथा के अनुसार, भक्त प्र“ाद को मारने के लिए उसकी बुआ होलिका ने उसे आग में बैठाने का प्रयास किया था, लेकिन विष्णु जी की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जलकर भस्म हो गई। तभी से यह पर्व हर साल मनाया जाता है। होलिका दहन से पहले परिवार के बड़े-बुजुर्गों से सही मुहूर्त की जानकारी लें। लकड़ियों और उपलों के साथ होली सजाएं और परंपरागत रूप से पूजा करें। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए हानिकारक सामग्री जैसे डीजल, मोबिल, अलकतरा, पटाखा आदि ज्वलनशील पदार्थ को जलाने से बचें।

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