पंचतत्व में विलीन हुए कामेश्वर चौपाल; दिलीप जायसवाल समेत कई दिग्गज अंतिम दर्शन को पहुंचे
- शनिवार की सुबह से ही अंतिम दर्शन के लिए बिहार सरकार के कई मंत्री एवं स्थानीय नेता सहित ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। सभी ने महान आत्मा के शव पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि व्यक्त किया।

राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण में पहला ईंट रखने वाले पूर्व एमएलसी कामेश्वर चौपाल शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उसका अंतिम संस्कार सुपौल जिले के मरौना प्रखंड स्थित कमरैल गांव में हुआ। उसके पुत्र हाजीपुर के बंदोबस्त पदाधिकारी विद्यानंद चौपाल ने मुखाग्नि देकर पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया। देर रात उसके पार्थिव शरीर को पटना से मरौना स्थित कमरैल उसके निज आवास लाया गया। शनिवार की सुबह करीब 8 बजे से ही अंतिम दर्शन के लिए बिहार सरकार के कई मंत्री एवं स्थानीय नेता सहित ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। सभी ने महान आत्मा के शव पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि व्यक्त किया। हालांकि सुबह से शाम तक नेताओं व अधिकारियों के आने का सिलसिला जारी रहा।
अंतिम दर्शन के लिए शामिल होने वाले सभी लोगों का आंखें नम देखा गया। बता दे कि राम जन्मभूमि निर्माण के ट्रस्टी और बिहार के पूर्व एमएलसी कामेश्वर चौपाल का 68 साल की उम्र में गुरुवार की रात दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। पिछले कई दिनों से वो बीमार चल रहे थे। उन्हें किडनी की बीमारी थी। उनकी बेटी ने उन्हें किडनी डोनेट की थी। कामेश्वर चौपाल का जन्म 24 अप्रैल 1956 में सुपौल जिले के मरौना प्रखंड के कमरैल गांव में हुआ था। पहली बार 2002 में वह विधान परिषद के सदस्य बने 2014 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य बने रहे। फिर 2014 में उन्होंने सुपौल से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं मिली। बताया जाता है कि कामेश्वर चौपाल ने ही राम मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखी थी। आरएसएस ने उन्हें प्रथम कारसेवक का दर्जा भी दिया था। राम मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट में बिहार से भाजपा नेता कामेश्वर चौपाल को शामिल किया गया था। कामेश्वर चौपाल ने ही 9 नवंबर 1989 को राम मंदिर निर्माण के लिए हुए शिलान्यास कार्यक्रम में पहली ईंट रखी थी। वो विश्व हिंदू परिषद में बिहार के सह संगठन मंत्री भी रहे थे।
बिहार सरकार के मंत्रियों ने उसके आवास पहुंचकर दी श्रद्धांजलि
कामेश्वर चौपाल के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री दिलीप जायसवाल, ऊर्जा सह योजना विकास विभाग मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, पीएचईडी मंत्री नीरज कुमार सिंह, बबलू, उद्योग मंत्री नीतीश मिश्र, राजद विधायक चंद्रहास चौपाल, भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र ऋषिदेव,जदयू जिलाध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद यादव, सुपौल नप के अध्यक्ष राघवेन्द्र झा , भाजपा नेता कुणाल ठाकुर, दिलीप सिंह, श्याम पोदार ,युवा मोर्चा के जयंत मिश्र सहित कई स्थानीय नेता उसके मरौना स्थित पैतृक आवास पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित किया। वहीं भूमि एवं राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल ने उसके शव पर भारतीय जनता पार्टी के झंडे रखकर भावपूर्ण श्रद्धांजलि व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि राममंदिर के ट्रस्टी स्वर्गीय कामेश्वर चौपाल के निधन से भाजपा परिवार में शोक की लहर है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री और बिहार सरकार के सभी मंत्री शोक में डूबे हुए हैं। सभी ने गहरी शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने बताया कि रोटी के साथ राम बोलने वाले कोसी के लाल के निधन के बाद एक युग का समापन हो गया है। उसके निधन से परिवार के लोग शोकाकुल है। उन्होंने बताया कि पूरे भाजपा परिवार उसके शोकाकुल परिवार के साथ खड़े है।
रोने लगी गांव की महिलाएं
शनिवार तकरीबन 12 बजे महान विभूति कामेश्वर चौपाल के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए निकाला गया। अर्थी उठते ही गांव की महिलाएं रोने लगी। रो रही महिलाओं का कहना था कि कामेश्वर चौपाल राजनीतिक के साथ-साथ एक बेहतर सामाजिक लोग थे। जब भी समय बचता वह अपने गांव चले आते थे। इस दौरान सभी की दुख दर्द में हमेशा साथ रहते थे। समाज में हर छोटे बड़े लोगों से बेहतर संबंध था लोगों ने बताया कि इसके निधन के बाद पूरे गांव में चूल्हा नहीं जला। उसके अंतिम दर्शन के लिए गांव के महिलाएं व पुरुष बड़ी संख्या में पहुंचे थे। सभी नम आंखों से उसे श्रद्धांजलि दिया। उसके अंतिम संस्कार में तकरीबन 5 हजार से अधिक लोग पहुंचे। सभी ने फूल अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित किया।
राम मंदिर निर्माण में मोदी और योगी का योगदान
उनके पुत्र के बताया कि उनके पिता कामेश्वर चौपाल राम मंदिर के निर्माण में सबसे अधिक योगदान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानते थे। उन्होंने कहा था कि 'नरेंद्र मोदी ने टूटे हुए मन को जोड़ने का काम किया है। इसमें योगी और मोदी दोनों का ही अभूतपूर्ण योगदान है। ''पहले भी सरकारें थीं, जो कहती थी कि राम हैं ही नहीं और राम काल्पनिक हैं, लेकिन मोदी और योगी ने सीना ठोक कर कहा कि राम परम ब्रह्म परमेश्वर हैं और भारत के राम, कृष्ण और शंकर महानायक हैं। राम मंदिर के आंदोलन में कामेश्वर चौपाल की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
100 सालों से लोग कर रहे थे संघर्ष
सुपौल के रहने वाले कामेश्वर चौपाल का कहना था कि 'राम मंदिर बनने से पहले हमारे समय में कम से कम एक दशक तक आंदोलन चल चुका था। 100 सालों से लोग संघर्ष इस आशा और विश्वास के साथ कर रहे थे कि राम के जन्म भूमि पर आज नहीं तो कल भव्य और दिव्य मंदिर बनेगा। हम सत्य की लड़ाई लड़ रहे थे और पता था कि सत्य आज नहीं तो कल सामने आएगा।'
'इसलिए हमारे लोग दृढ़ संकल्पित थे कि उनके सामने राम मंदिर बनाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। उसके मन में निष्ठा पूर्वक यह भाव था कि यदि राम जन्मभूमि सत्य हैं, तो उस पर राम मंदिर आज नहीं तो कल भव्य रूप में बनेगा और वो साकार हो गया।'
बाबर ने जान बुझकर रखा था मस्जिद का नाम बाबरी
परिजनों ने बताया कि कामेश्वर चौपाल ने आगे कहा था कि, 'बाबरी नाम लोग गलत शब्द का इस्तेमाल कर रहे है क्योंकि पूरे विश्व में किसी व्यक्ति के नाम पर आज तक मस्जिद नहीं हैं। मस्जिद तो अल्लाह के नाम पर बनाई जाते है। ये बाबर, औरंगजेब इन सब के नाम से कोई मस्जिद नहीं है। ये बाबरी मंदिर नाम इसलिए रख दिया गया था कि पूरे समाज को सेंटीमेंट में जोड़कर भड़काया जा सके। मस्जिद तो खुदा का होता है। यह सिद्ध करता है कि बाबर ने जान बूझकर उस स्थान पर गलत तरीके से मस्जिद बनवाई थी।