HAPPY MOTHRS DAY: मां ने बेटियों को बनाया जांबाज, समूचा देश कर रहा उनपर नाज
HAPPY MOTHRS DAY: मुजफ्फरपुर के पारू फतेहाबाद निवासी नौसेना की पहली महिला पायलट शिवांगी की मां हों, गोशाला रोड निवासी थलसेना में कैप्टन सुमिषा शंकर की मां हों या दरभंगा की भावना कंठ की मां हों, इन्होंने अपनी बेटियों को पंख पसारने का हौसला दिया।

HAPPY MOTHRS DAY: मैं नहीं उड़ सकी तो क्या, तू अपने पंख पसार। मैं नहीं पार कर पाई दहलीज तो क्या, तू नाप पूरा संसार..। एक मां जो खुद के लिए भले ही हार मान ले मगर जब बात बेटी की आती है तो उसे जिताने के लिए वह अपनी पूरी हिम्मत लगा देती है। ऐसी माताएं हैं, जिन्होंने बेटियों को इस कदर जांबाज बनाया कि आज देश उनपर नाज कर रहा है। ऐसी माताओं को सलाम, जिन्होंने बेटियों को देश के नाम किया है।
मुजफ्फरपुर के पारू फतेहाबाद निवासी नौसेना की पहली महिला पायलट शिवांगी की मां हों, गोशाला रोड निवासी थलसेना में कैप्टन सुमिषा शंकर की मां हों या दरभंगा की भावना कंठ की मां हों, इन्होंने अपनी बेटियों को पंख पसारने का हौसला दिया। इन बेटियों को मां ने तराशा और लीक से हटकर काम करने को भी लक्ष्य दिया। वर्तमान स्थिति में भी मां बेटियों को देश के लिए कुछ कर गुजरने का ही मंत्र दे रही हैं। अपनी चिंताओं को मुस्कानों में बदलकर ये घरवालों का भी हौसला बन रही हैं।
बचपन में ही ठान लिया था
शिवांगी की मां प्रियंका कहती हैं कि बहुत छोटी सी उम्र में उसने हवाई जहाज को ननिहाल गांव में उतरते उड़ते देखा तो वहीं से उसके मन में पायलट बनने की ललक जगी। बचपन से ही उसने ठान लिया था कि उसे पायलट बनना है। बेटी के सपने को हमने जिन्दगी बना ली। पता था कि वह नाम करेगी मगर इतिहास बनाएगी, यह नहीं सोचा था। शिवांगी नौसेना में शामिल होने के बाद पायलट बननेवाली पहली महिला हैं।
दिसंबर 2019 में कोच्चि नेवल बेस पर ऑपरेशनल ड्यूटी ज्वॉइन की थी। उस समय वह ड्रोनियर सर्विलांस एयरक्राफ्ट उड़ा रही थीं। शिक्षक पिता हरिभूषण सिंह कहते हैं कि अब वह पीएटआई उड़ाती है। मां कहती हैं कि यह उसकी मेहनत है। मैंने बस हमेशा उसका साथ दिया। आज जब लोग बेटी के बारे में बात करते हैं तो गर्व से सर ऊंचा हो उठता है। आज बेटी के कारण पूरा देश हमें जान रहा है।
भावना का पायलट बनने का था सपना
घनश्यामपुर (दरभंगा)। भारतीय वायुसेना में फाइटर प्लेन उड़ानेवाली पहली महिला पायलट भावना कंठ पर आज पूरा देश नाज कर रहा है। दरभंगा जिले के घनश्यामपुर प्रखंड के बाऊर गांव निवासी तेज नारायण कंठ व गृहिणी राधा कंठ की बेटी भावना कंठ की इस सफलता के पीछे उनकी मां का अहम योगदान रहा है। भावना के पिता आईओसी में इंजीनियर थे। मां राधा कंठ ने पति के साथ मिलकर भावना के हौसले की उड़ान को मुकाम तक पहुंचाया।
राधा कंठ ने बताया कि भावना बचपन से ही पायलट बनने का सपना देखा करती थी। राधा कंठ ने बताया कि जब भारत सरकार ने प्रायोगिक तौर पर भारतीय वायुसेना में महिलाओं के लिए फाइटर स्ट्रीम खोलने का निर्णय लिया तो भावना इसकी तैयारी में जुट गई। अंततः जून 2016 में भावना को देश के तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के हाथों कमीशन मिला। उन्होंने बताया कि भावना ने इस मुकाम पर पहुंचकर पूरे बिहार का नाम रोशन किया। उससे प्रेरणा लेकर देश की कई बेटियां भारतीय वायुसेना में फाइटर प्लेन की पायलट बनीं।
उन्होंने बताया कि बचपन से ही देश के लिए कुछ कर गुजरने के भावना के जज्बे को उन्होंने सिर्फ सही दिशा दी और इसमें उसकी हर संभव मदद की। यह भावना के जज्बे का ही नतीजा है कि आज वह इस मुकाम पर है।
एनसीसी में मां को देख बेटी ने सेना में जाने का सपना देखा
गौशाला रोड निवासी डॉ. पुष्पा प्रसाद कहती हैं कि बेटी सुमिषा ने जब मुझे एनसीसी के लिए काम करते हुए देखा तो वहीं से उसका यह सपना बन गया। आज बेटी जिस ऊंचाई पर है, वह हर मां का सपना और गर्व होता है। एनसीसी से सेना तक के सफर में उसने काफी मेहनत की। मैं जानती थी कि अगर उसे सपने को सच करना है तो अनुशासन को साथी बनाना होगा। चार बजे जागने से लेकर रात 10 बजे तक हर काम उसका तय समय पर होता था। जब लोग कहते हैं कि यह कैप्टन सुमिषा की मां हैं तो लगता है कि एक मां की प्रार्थना सफल हो गई।