बिहार में हाइवे किनारे खुलेंगे सरकारी मोटल, खाने-पीने और ठहरने की मिलेगी सुविधा
बिहार के नेशनल और स्टेट हाइवे पर पर्यटन विभाग सरकारी जमीन पर मोटल और कैफेटेरिया का निर्माण करेगा। खासकर पर्यटन स्थलों को जोड़ने वाले हाइवे के लिए यह योजना है। इसके लिए सभी जिलों से विभाग ने जमीन मांगी है।
बिहार में हाइवे किनारे अब सरकारी मोटल और कैपेटेरियां खोले जाएंगे। पर्यटन विभाग की योजना राज्य के सभी जिलों से पर्यटक स्थल की ओर जाने वाली नेशनल हाइवे (एनएच) और स्टेट हाइवे (एसएच) के किनारे दो एकड़ सरकारी जमीन पर होटल-रोस्टोरेंट बनाने की है। इसको लेकर पर्यटन विभाग ने सभी जिलाधिकारियों से जमीन मांगी है। राज्य के पर्यटन सचिव के पत्र के आदार पर डीएम ने वैसे सीओ को जमीन ढूंढ़कर रिपोर्ट करने को कहा है, जिनके अंचल क्षेत्र से एनएच और एचएच गुजरती है।
मार्गीय सुविधा बढ़ने से टूरिस्ट नए स्थल जाएंगे जिला पर्यटन पदाधिकारी कुमार मिथिलेश प्रसाद सिंह ने बताया कि विभाग की योजना है कि महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों को जोड़ने के लिए मार्गीय सुविधा मिले। बिहार में कई ऐसे ऐतिहासिक, प्राकृतिक और धार्मिक धरोहर मौजूद हैं। जहां तक नेशनल और इंटरनेशनल टूरिस्ट जानकारी के बाद भी मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते नहीं जा पाते हैं। इसलिए मार्गीय सुविधाओं के तहत विश्राम स्थल (गेस्ट हाउस व पेइंग गेस्ट), रेस्टोरेंट और पार्किंग की सुविधा देने के लिए सरकार होटल-मोटल खोलने की सोच रही है।
पर्यटन नीति के तहत राजमार्ग किनारे संचालित निजी होटलों को सरकार अनुदान भी देती है। पिछले दिनों सरकार ने पीपीपी मोड पर कैफेटेरिया आदि के संचालन के लिए ऑनलाइन आवेदन भी मांगे थे लेकिन कम संख्या में राजमार्ग किनारे के निजी होटलों ने रुचि दिखाई। इसलिए सरकार अब खुद होटल-मोटल खोलना चाह रही है।
सरकार ने माना, एनएच-एसएच किनारे होटलों की कमी
सचिव ने पत्र में कहा कि पर्यटन विभाग द्वारा राज्य के पर्यटन प्रक्षेत्र के व्यापक विकास एवं संवर्धन के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। इस क्रम में प्रदेश के महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों को जोड़ने वाले राष्ट्रीय-राजकीय राजमार्गों पर पर्यटकों की सुविधा के लिए मार्गीय सुविधाओं का विकास किया जाना आवश्यक है। इनमें विश्राम एवं आवासन के लिए कमरे, रेस्टोरेंट-कैफेटेरिया व पार्किंग की व्यवस्था आदि का विकास किया जाना है। जिन राष्ट्रीय-राजकीय राजमार्गों के समीप इन सुविधाओं की कमी है। वैसे महत्वपूर्ण मार्गों के किनारे न्यूनतम 2 एकड़ सरकारी भूमि उपलब्ध कराये जाने की आवश्यकता है। ताकि गुणवत्तापूर्ण एवं आधुनिक सुविधायुक्त मार्गीय सुविधाओं का निर्माण किया जा सके।
निवेशकों को अनुदान भी दिया जाएगा
पत्र में आगे कहा गया है कि बिहार पर्यटन नीति 2023 के अन्तर्गत भी नई मार्गीय सुविधाओं के निर्माण और कार्यरत सुविधाओं के उन्नयन के लिए निवेशकों को अनुदान दिये जाने का प्रावधान किया गया है। इन प्रावधानों के अनुरूप संभावित निवेशकों को आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इसलिए सभी डीएम से उम्मीद है कि एनएच किनारे न्यूनतम 2 एकड़ सरकारी भूमि की विवरणी उपलब्ध कराने के अलावा पर्यटन नीति का भी प्रचार-प्रसार कराएंगे।
जानिए होटल और मोटल में अंतर
होटल को लोगों के रुकने के लिए बनाया जाता है। होटल की इमारत काफी बड़ी होती है, जिसे बनाने में खर्च ज्यादा आता है। होटल में बहुत सारे कमरे होते हैं। उनमें लोगों की लग्जरी का खास ख्याल रखा जाता है। वाहन पार्किंग की अलग से व्यवस्था हो भी सकती है और नहीं भी हो सकती है। होटल में खुद का किचन या रेस्टोरेंट भी होता है।
वहीं, मोटल दो शब्दों मोटर और होटल से मिलकर बना है। इन्हें खासकर हाइवे पर बनाया जाता है। ताकि लंबा सफर करन वाले यात्रियों को दिन या रात में विश्राम मिल के। यहां यात्रियों के रुकने के लिए यहां कमरे होते हैं। ये ज्यादा बड़े नहीं होते हैं। कमरे के पास ही पार्किंग की सुविधा होती है। अगर कोई वाहनचालक या यात्री कम खर्च में कुछ घंटे आराम करना चाहे तो वह मोटल में रुक सकता है।