Hindi Newsबिहार न्यूज़Giriraj Singh eats fish but not feed others Lalan Singh takes dig in Lok Sabha

गिरिराज सिंह मछली खाते हैं लेकिन खिलाते नहीं, लोकसभा में ललन सिंह ने ली BJP नेता की चुटकी

जेडीयू नेता और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने मोदी कैबिनेट में अपने सहयोगी एवं बीजेपी नेता गिरिराज सिंह की चुटकी ले ली। उन्होंने एक सवाल के जवाब के दौरान लोकसभा में कहा कि गिरिराज मछली खाते हैं, लेकिन दूसरों को खिलाते नहीं हैं।

Jayesh Jetawat लाइव हिन्दुस्तान, पटनाTue, 11 Feb 2025 04:40 PM
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गिरिराज सिंह मछली खाते हैं लेकिन खिलाते नहीं, लोकसभा में ललन सिंह ने ली BJP नेता की चुटकी

संसद के बजट सत्र के दौरान केंद्रीय मंत्री एवं जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता गिरिराज सिंह की चुटकी ले ली। मत्स्य उत्पादन के एक सवाल का जवाब देते हुए ललन सिंह ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का नाम लेते हुए कहा कि वे मछली खाते हैं, लेकिन खिलाते नहीं। इस पर सदन में ठहाके लगने लगे।

लोकसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान सारण से बीजेपी के सांसद राजीव प्रताप रूडी ने बिहार में मछुआरों को सरकारी योजनाओं का लाभ पूरी तरह नहीं मिल पाने का मुद्दा उठाया। रूडी ने कहा कि देश में सबसे ज्यादा मछुआरे बिहार में हैं। यहां लगभग 40 लाख लोग मछली पालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। साल में तीन महीने मछली उत्पादन पर प्रतिबंध होता है। उस समय सरकार मछुआरों को आर्थिक सहायता राशि देती है। मगर बिहार के मछुआरों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि इस योजना के तहत 1500-1500 रुपये केंद्र और राज्य सरकार मिलकर योगदान करती है। वहीं, 1500 रुपये का योगदान लाभार्थी का होता है। कई बार ऐसी परिस्थिति बन जाती है जिसमें लाभार्थी और राज्य सरकार का अंश नहीं मिल पाता है, तब इस योजना का मछुआरों को नहीं हो पाता है।

एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए ललन सिंह ने कहा कि सरकार ने बिहार में मछली उत्पादन और उसकी मार्केटिंग के लिए कई कदम उठाए हैं। बिहार के बाजारों में जो मछली बेची जाती है, उसकी 90 फीसदी बिहार में ही उत्पादित होती है। ललन सिंह ने चुटकी लेते हुए कहा कि जो लोग मछली खाते हैं, उन्हें पता होगा। गिरिराज सिंह भी खाते हैं, लेकिन खिलाते नहीं है। मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ित करने के लिए कोल्ड स्टोरेज समेत अन्य संसाधनों को विकसित किया गया है।

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