Hindi Newsबिहार न्यूज़Electoral credibility of NDA koeri leaders Samrat Upendra Umesh at stake in by elections for Kushwaha votes

भाजपा, जदयू और रालोमो के कोइरी नेताओं की साख दांव पर, उपचुनाव में क्या करेंगे कुशवाहा?

  • बिहार विधानसभा की चार खाली सीटों के लगभग एक साल के बचे टर्म के लिए बुधवार को हो रहे उपचुनाव में एनडीए के कोइरी नेताओं की साख दांव पर है। लोकसभा चुनाव में मगध से शाहाबाद तक कुशवाहा वोटरों ने राजग को परेशान कर दिया था।

Ritesh Verma लाइव हिन्दुस्तान, पटनाTue, 12 Nov 2024 06:09 PM
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लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीआई-एमएल) और कांग्रेस को मगध से शाहाबाद तक सीट दिलाने वाले कुशवाहा वोटर चार विधानसभा सीट के उपचुनाव में किस तरह झुकेंगे, ये सवाल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के कोइरी नेताओं को परेशान कर रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के लिए चार सीट के नतीजे साख का सवाल बन गए हैं। लव-कुश के निर्विवाद नेता रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी दिखाना है कि लव और कुश उनके नेतृत्व में फिर साथ हो गए हैं।

काराकाट में भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह के निर्दलीय लड़ने से उपेंद्र कुशवाहा पर मंडराया हार भाजपा और जेडीयू को काफी महंगा पड़ा था। संयोग से ये चार विधानसभा सीट उन्हीं इलाकों में है जहां कुशवाहा वोटरों ने अपना दम महागठबंधन के पक्ष में दिखाया था। चार सीटों में तीन सीट तो इंडिया गठबंधन यानी महागठबंधन के विधायकों के सांसद बनने से खाली हुई है जबकि एक सीट एनडीए की है। ऐसे में सबसे ज्यादा तनाव तेजस्वी यादव और सीपीआई-माले के कैंप में है क्योंकि 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले इन चार सीटों के नतीजों से एक बड़ा मैसेज जाएगा जो चुनाव का माहौल तय करेगा।

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प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी रामगढ़, तरारी, बेलागंज और इमामगंज उपचुनाव लड़ रही है लेकिन वो मुकाबले को त्रिकोणीय बना पाती है या नहीं, ये 23 नवंबर को ही पता चलेगा। सुधाकर सिंह की रामगढ़, सुदामा प्रसाद की तरारी, सुरेंद्र प्रसाद यादव की बेलागंज और जीतनराम मांझी की इमामगंज सीट पर मुकाबला कड़ा है। प्रशांत किशोर ने मुस्लिम वोटों पर चोट की जो कोशिश की है उसे काटने के लिए तेजस्वी यादव ने ओसामा शहाब को मैदान में उतार रखा है। ये ओसामा की भी परीक्षा है।

राजद ने रामगढ़ में सांसद सुधाकर सिंह के भाई और प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह को लड़ाया है। बेलागंज में सांसद सुरेंद्र प्रसाद यादव के बेटे विश्वनाथ यादव को मौका मिला है। इमामगंज में राजद ने पूर्व सांसद राजेश मांझी को उतारा है। तरारी में भाकपा-माले ने राजू यादव को लड़ाया है जो सुदामा प्रसाद के आरा जीतने से पहले लोकसभा चुनाव हार गए थे।

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एनडीए कैंप से बीजेपी तरारी और रामगढ़, जेडीयू बेलागंज और हम इमामगंज सीट लड़ रही है। तरारी में भाजपा को बाहुबली सुनील पांडेय का सहारा मिला है जिनके बेटे विशाल प्रशांत उर्फ सुशील पांडेय को बीजेपी ने टिकट दिया है। रामगढ़ में अशोक सिंह को भाजपा ने फिर से मौका दिया है। बेलागंज में जेडीयू ने मनोरमा देवी को लड़ाया है जबकि इमामगंज में मांझी ने अपनी बहू दीपा को टिकट दिया है।

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इन इलाकों में कुशवाहा वोटर के मूवमेंट पर सबकी नजर है। राजद ने औरंगाबाद सांसद अभय सिंह कुशवाहा को कोइरी वोट तोड़ने पर लगा रखा है। जबकि एनडीए की तरफ से कोइरी जाति के सबसे बड़े नेता उपेंद्र कुशवाहा के साथ-साथ सम्राट चौधरी और उमेश कुशवाहा नाराज कोइरी को वापस लाने में जुटे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद राज्य की राजनीति के केंद्र में आ गए कुशवाहा वोटरों का इन चार सीटों पर झुकाव ना सिर्फ अभी के नतीजे तय करेगा बल्कि 2025 की राजनीति में कोइरी नेताओं की मोल-भाव की ताकत पर भी असर डालेगा।

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