संजीव हंस पर एक और केस की तैयारी, ED ने गृह मंत्रालय को खत लिख मांगी अनुमति
संजीव हंस पर पद का दुरुपयोग कर अवैध तरीके से करोड़ों की अकूत संपत्ति जमा करने का आरोप है। इस रिपोर्ट में संजीव हंस के काले कारनामों का विस्तार से उल्लेख करते हुए यह बताया गया है कि उन्होंने 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जमा की है।
भ्रष्टाचार के मामले में फंसे आईएएस संजीव हंस के खिलाफ ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) एक और बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्य के गृह विभाग से ईडी ने लिखित अनुमति मांगी है। गृह विभाग के विशेष सचिव को इससे संबंधित पत्र भेजा है। इसके साथ ईडी ने 25-30 पेज की एक रिपोर्ट भी सौंपी है। संजीव हंस पर पद के दुरुपयोग का मुकदमा चलाने की अनुमति ईडी ने मांगी है।
नियमानुसार, राज्य के किसी लोक सेवक पर अगर आईपीसी (अब बीएनएस) की धाराओं में किसी केंद्रीय एजेंसी को मुकदमा दर्ज करना होता है, तो इसके लिए उसे राज्य सरकार से । बीएनएसएस की धारा 197 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति मांगने की जरूरत पड़ती है। यह अनिवार्य प्रक्रिया है। हालांकि आईएएस हंस के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने के लिए केंद्रीय कार्मिक महकमे से अनुमति लेनी पड़ेगी।
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इसके मद्देनजर ईडी ने इस प्रक्रिया का पालन करते हुए रिपोर्ट के साथ यह पत्र लिखा है। संजीव हंस पर पद का दुरुपयोग कर अवैध तरीके से करोड़ों की अकूत संपत्ति जमा करने का आरोप है। इस रिपोर्ट में संजीव हंस के काले कारनामों का विस्तार से उल्लेख करते हुए यह बताया गया है कि उन्होंने 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जमा की है। इन्होंने सरकारी योजनाओं में कमीशनखोरी कर भ्रष्ट तरीके से अकूत काली संपत्ति का साम्राज्य खड़ा किया है।
20 हजार पेज की चार्जशीट
संजीव हंस के मामले में ईडी ने पहली चार्जशीट दायर की है। यह चार्जशीटशीट 20 हजार पन्नों की है। इसमें 8 अभियुक्त बनाए गए हैं। जिसमें संजीव हंस, पूर्व विधायक गुलाब यादव, शादाब खान के अलावा तीन कंपनियों के भी नाम हैं। ये कंपनिया हां पुष्पराज बजार की स्मार्ट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड, धूल इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड और ऊर्जा विभाग में करीब 3 हजार 500 करोड़ रुपये का ठेका लेने वाली जयपुर मूल की कंपनी मेसर्स जिनस पॉवर लिमिटेड