Hindi Newsबिहार न्यूज़DP Ojha openly clashed with Lalu Yadav Rabri Devi during his tenre as Bihar DGP

बिहार ने लफंगों के हाथ में सत्ता सौंप दी, डीजीपी रहते लालू-राबड़ी से खुलकर भिड़ गए थे डीपी ओझा

बिहार के पूर्व डीजीपी डीपी ओझा ने पद पर रहते हुए तत्कालीन आरजेडी सरकार की मुखिया राबड़ी देवी और पूर्व सीएम पति लालू यादव से खुलकर भिड़ गए थे। उन्होंने कहा था कि बिहार ने लफंगों के हाथ में सत्ता सौंप दी है।

Jayesh Jetawat लाइव हिन्दुस्तान, पटनाFri, 6 Dec 2024 12:40 PM
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बिहार के चर्चित आईपीएस अधिकारी रहे डीपी ओझा ने डीजीपी रहते पूर्व सीएम लालू यादव एवं राबड़ी देवी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। सीवान से पूर्व सांसद एवं दिवंगत बाहुबली शहाबुद्दीन को जेल भिजवाने में ओझा ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने सार्वजनिक मंचों पर यह तक कहना शुरू कर दिया था कि बिहार के लोगों ने लफंगों के हाथ में सत्ता दे दी। इससे पहले किसी भी डीजीपी ने सत्ताधारी नेताओं के खिलाफ इतना मुखर होकर बोलने की हिम्मत नहीं की थी। 2003 में तत्कालीन राबड़ी सरकार ने उन्हें डीजीपी के पद से हटाकर डब्लूएच खान को बिहार पुलिस की कमान सौंप दी थी। इसके बाद डीपी ओझा ने आईपीएस की नौकरी ही छोड़ दी और राजनीति में आ गए। हालांकि, राजनीति में उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी। उन्होंने 2004 में बेगूसराय से निर्दलीय लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। डीपी ओझा का 5 दिसंबर 2024 की रात लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया।

भूमिहार जाति से आने वाले डीपी ओझा 1967 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। उनका झुकाव वाम विचारधारा की तरफ रहा। जनवरी 2003 में राबड़ी देवी के नेतृत्व वाली तत्कालीन आरजेडी सरकार ने उन्हें वरीयता के आधार पर बिहार के डीजीपी पद पर नियुक्त किया। हालांकि, उनकी आरजेडी के शीर्ष नेता लालू यादव से बिल्कुल नहीं बनी।

पुलिस महानिदेशक रहते हुए उन्होंने सीवान से तत्कालीन सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन पर शिकंजा कसना शुरू किया। शहाबुद्दीन के खिलाफ हत्या, अपहरण, फिरौती जैसे कई संगीन आपराधिक मामले दर्ज थे। ओझा के नेतृत्व में शहाबुद्दीन के ठिकानों पर पुलिस ने छापेमारी और गिरफ्तारी अभियान चलाए।

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साल 2003 खत्म होते-होते डीपी ओझा सत्ताधारी नेताओं और खासकर शहाबुद्दीन की आंखों में खटकने लगे। शहाबुद्दीन जब जेल में बंद थे तो आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव उनसे मिलने जेल में पहुंच गए। इस पर तंज कसते हुए डीपी ओझा ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कह दिया कि बिहार के लोगों ने लफंगों के हाथों में सत्ता डाल दी। सत्ताधारी नेता भी अपराधियों के चरण छूने पहुंच जाते हैं।

इसके बाद राबड़ी देवी सरकार ने दिसंबर 2003 में डीपी ओझा को पद से हटा दिया। वे फरवरी 2004 में रिटायर होने वाले थे। पद से हटाए जाने से आहत होकर ओझा ने रिटायरमेंट से पहले ही भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया था।

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