सैन्य अभियान में महिलाओं का है ऐतिहासिक योगदान : प्रो. मंजू
दरभंगा में भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका पर सेमिनार आयोजित किया गया। प्रो. मंजू रॉय ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के समय से महिलाओं की सैन्य अभियानों में भागीदारी रही है। प्रो....

दरभंगा। भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी का लंबा इतिहास रहा है। 2025 में भारतीय सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति के 32 साल पूरे हो रहे हैं। स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस ने जब आजाद हिंद फौज का गठन किया तो उसमें झांसी की रानी के नाम पर एक महिला रेजिमेंट थी, जिसने बर्मा में इंपीरियल जापानी सेना के साथ लड़ाई में सक्रिय युद्ध देखा था। यह सैन्य अभियानों में महिलाओं के योगदान के महत्व को दर्शाता है। लनामिवि के पीजी अंग्रेजी विभाग में शनिवार को ‘भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका विषयक सेमिनार को संबोधित करते हुए मानविकी संकायाध्यक्ष सह अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. मंजू रॉय ने ये बातें कही।
प्रो. राय ने कहा कि सालों तक दुनियाभर की सेना में सिर्फ पुरुष ही शामिल थे, लेकिन जैसे-जैसे दुनिया आगे बढ़ी, यह चलन बदल गया। महिलाओं ने रूढ़िवादिता को बदला है और बाधाओं को तोड़ते हुए अपने और देश के लिए नया भविष्य बनाया है, अपने काम से दुनिया को अपना महत्व बताया है। इसका ज्वलंत उदाहरण व्योमिका सिंह एवं सोफिया कुरैशी हैं, जिसने पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ा दिए। प्रो. पुनीता झा ने कहा कि सेवा के शुरुआती समय में पुरुष सैनिक और वायु सैनिक महिलाओं के प्रति कुछ सामाजिक पूर्वाग्रह दिखाते थे और उन्हें एक कमजोर जेंडर के तौर पर देखा जाता था। यह स्थिति अब लगभग समाप्त हो चुकी है। जब आप सेना में आते हैं तो अपनी सामाजिक सोच के थोड़े से हिस्से को पीछे छोड़ देते हैं। आप एक सैनिक बन जाते हैं और आपको एक भूमिका निभानी होती है। जेंडर से जुड़ी बाधाएं धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं, लेकिन इसमें अभी और समय लगेगा। उन्होंने कहा कि एक साथ बहुत सारी महिलाएं प्रमुख भूमिकाओं में हैं। वे दूसरों के लिए रास्ता बना रही हैं। उनके प्रदर्शन पर बहुत कुछ निर्भर करता है। ऑपरेशन सिंदूर ने साबित कर दिया है कि महिला किसी से कम नहीं है, चाहे वह लड़ाई का मैदान ही क्यों न हो। डॉ. शाम्भवी ने कहा कि भारतीय सेना को कमांड भूमिकाओं के लिए महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करनी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे प्रभावी ढंग से नेतृत्त्व करने में सक्षम हों। भारतीय सेना में अधिक महिलाओं को सक्रिय रूप से भर्ती करना चाहिए, ताकि योग्य महिलाओं का एक बड़ा पूल हो जो कमांड भूमिका निभा सकें। डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सेमिनार में डॉ. नवीन कुमार सिंह, डॉ. अखिलेश्वर कुमार सिंह आदि ने भी अपने विचाल रखे। कार्यक्रम में विमलेश चौधरी, फाउंडेशन के अनिल कुमार सिंह आदि मौजूद थे। संचालन डॉ. संकेत कुमार झा एवं धन्यवाद ज्ञापन फाउंडेशन के मुकेश कुमार झा ने किया।
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