जो पैसा मिला, वो खर्च नहीं कर पाए, मांग रहे विशेष राज्य का दर्जा; प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार को फिर घेरा
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने के मामले पर जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार को घेरा है। और कहा कि जो सरकार को पैसा मिला, वो तो खर्च नहीं कर पाई, 51 हजार करोड़ रूपए सरेंडर कर दिया। और स्पेशल स्टेटस की मांग करते हैं।
जनसुराज के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पूरी तरह से बिहार विधानसभा की तैयारी में जुटे हुए हैं। जिसके लिए वो बीते 2 सालों से पूरे राज्य में पदयात्रा निकाल रहे हैं। इस बीच वो नीतीश सरकार से लेकर बीजेपी और राजद पर भी हमला करने से भी नहीं चूक रहे। इस बीच बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की कई सालों से चली आ रही मांग पर सरकार को आड़े हाथ लिया। प्रशांत किशोर ने कहा कि राज्य सरकार को जो पैसा मिलता है, वो तो खर्च नहीं कर पाती। और ज्यादा पैसा मांग कर रही है।
पीके ने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा मिलने से कुछ नहीं होगा। स्पेशल स्टेटस का मतलब ये है कि जो केंद्र समर्थित योजनाएं चलती हैं। उसमें केंद्र का योगदान अभी 60 फीसदी और राज्य का 40 फीसदी है। अगर विशेष राज्य का दर्जा मिल जाएगा तो फिर केंद्र का 90 फीसदी और राज्य का सिर्फ 10 फीसदी योगदान रहेगा। लेकिन आपको शायद पता नहीं होगा कि पिछले वित्तीय वर्ष में बिहार सरकार ने 51 हजार करोड़ रूपए सरेंडर कर दिया। क्योंकि खर्चा नहीं कर पाए थे। जो पैसा आया है वो खर्चा नहीं कर पाए। 51 हजार करोड़ सरेंडर कर दिया। वो पैसा आया ही नहीं। यहां के ब्यूरोक्रेट्स इतने लेजी हैं कि उन्हें कोई मतलब नहीं।
प्रशांत किशोर ने कहा कि मनरेगा में बिहार को 10 हजार करोड़ मिलना था। लेकिन 39 फीसदी ही मिला। अगर एक लाख पीएम आवास गरीबों को मिलना है। तो यूपी वाले सवा लाख लिया है। और बिहार में 20 हजार ही लिए हैं। जो पैसा मिल सकता है, वो तो ले नहीं रहे हैं। अगर केंद्र 90 फीसदी पैसा दे रहा और आप 10 फीसदी दे रहे, तो उससे भी करप्शन थोड़े ही खत्म हो जाएगा। बाल्टी में अगर छेद है, तो चाहे मोटे पाइप से पानी डालो या पतले से पानी तो बह ही जाएगा। इसी तरह अगर विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए, 10-20 हजार करोड़ रूपए ज्यादा आएगा तो यहां का अफसर और नेता और चोरी करेगा। इसलिए विशेष राज्य के दर्जे से कोई फायदा नहीं है।
पीके ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश कुमार बताते हैं कि बिहार में तो कुछ बचा ही नहीं, सिर्फ लालू और आलू बचा है, सब तो झारखंड में चला गया। लेकिन ये बताइए चीनी मिल लगाने के लिए कौन से खनिज की जरूरत पड़ती है। गन्ना का खेत को झारखंड में नहीं गया, तो चीनी मिलें कैसे सब बंद हो गईं। कहते हैं यहां समंदर नहीं है, तो मध्यप्रदेश, पंजाब, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में कौन समंदर है। सत्ता में 19 साल रहने के बाद पता चला है कि यहां समंदर नहीं है। ये बेवफूक बनाने का तरीका है।
आपको बता दें प्रशांत किशोर की जनसुराज का 2 अक्टूबर को राजनीतिक दल बनने का औपचारिक ऐलान होगा। वहीं जनसुराज बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जिसके तैयारी संगठन स्तर पर तेजी से चल रही हैं। कई सियासी दलों के दिग्गज नेता भी जनसुराज में शामिल हुए हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।