Hindi Newsबिहार न्यूज़Congress will not become big brother in Bihar but new formula increased Lalu Tejashwi Yadav tension

बिहार में 'बड़ा भाई' नहीं बनेगी कांग्रेस लेकिन... नए फॉर्मूला ने लालू-तेजस्वी की टेंशन बढ़ाई

बिहार में कांग्रेस ने बड़ा भाई की भूमिका में आने की बात को दरकिनार कर दिया है। मगर पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन (इंडिया अलायंस) के अंदर सीट बंटवारे का जो नया फॉर्मूला दिया है, उसने लालू एवं तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी की टेंशन बढ़ा दी है।

Jayesh Jetawat लाइव हिन्दुस्तान, पटनाTue, 10 Dec 2024 03:33 PM
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बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले बड़े भाई की भूमिका में आने को लेकर कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बीच सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। वैसे तो कांग्रेस ने बड़ा भाई वाली बात से इनकार कर दिया है, लेकिन 2025 चुनाव में सीट बंटवारे का जो फॉर्मूला दिया है उससे लालू एवं तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी की टेंशन जरूर बढ़ गई है। बिहार में कांग्रेस बीते कई सालों से आरजेडी के नेतृत्व में रहकर राजनीति कर रही है। हालांकि, इस साल हुए लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस का जोश हाई हो गया है और बिहार में वह अपने वजूद को फिर से स्थापित करने में जुट गई है।

बीते कई सालों से बिहार में लालू यादव की पार्टी आरजेडी 'बड़े भाई' की भूमिका में रहते हुए महागठबंधन का नेतृत्व कर रही है। कांग्रेस और वाम दल, आरजेडी के नेतृत्व में रहकर ही चुनाव लड़ते आ रहे हैं। हालांकि, 2025 के चुनाव में स्थिति कुछ बदल सकती है। दरअसल, यह चर्चा पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव के एक बयान से शुरू हुई। उन्होंने पिछले महीने एक बयान में कहा था कि बिहार में कांग्रेस बड़े भाई की भूमिका में है। साथ ही 2025 के चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व में ही बिहार में सरकार बनेगी। पप्पू यादव वैसे तो निर्दलीय सांसद हैं, लेकिन खुद को कांग्रेसी बताते हैं और राहुल गांधी को अपना नेता मानते हैं। हाल ही में झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के लिए प्रचार भी किया था।

पप्पू यादव के बयान को कांग्रेस का आधिकारिक बयान नहीं माना जा सकता है, लेकिन फिर भी आरजेडी के खेमे में खलबली जरूर मच गई। हाल ही में बिहार के कांग्रेस प्रभारी शाहनवाज आलम से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि गठबंधन विचारधारा के आधार बना है। इसमें कोई छोटा या बड़ा भाई नहीं है। जो भी फैसला होगा आपसी रायशुमारी से होगा। उनके इस बयान से लालू एवं तेजस्वी की पार्टी को राहत जरूर मिली है। मगर शाहनवाज ने 2025 के बिहार चुनाव के लिए महागठबंधन में सीट बंटवारे का जो फॉर्मूला दिया, उससे आरजेडी की बेचैनी बढ़ सकती है।

क्या है कांग्रेस का सीट बंटवारे का फॉर्मूला?

कांग्रेस प्रदेश प्रभारी शाहनवाज आलम ने सोमवार को खगड़िया में मीडिया से बात करते हुए कहा कि जो आगामी चुनाव होगा, उसमें सीटों का बंटवारा हालिया लोकसभा चुनाव के स्ट्राइक रेट के आधार पर होगा। यानी कि जिस पार्टी का चुनाव जीतने का प्रतिशत अच्छा रहा, उसे उतनी ज्यादा सीटें मिलेंगी। अगर यही फॉर्मूला 2025 के विधानसभा चुनाव में लागू होता है तो आरजेडी एवं कांग्रेस महागठबंधन में बराबर की सीटों का हकदार होंगी।

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लोकसभा चुनाव 2024 में आरजेडी ने बड़े भाई की भूमिका निभाते हुए 40 में से 26 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जबकि 9 सीटों पर कांग्रेस और 5 पर वाम दलों को लड़ाया गया था। बाद में मुकेश सहनी के महागठबंधन में जुड़ने पर तेजस्वी ने आरजेडी के कोटे की तीन सीटें वीआईपी को दे दी थी। यानी आरजेडी के टिकट पर कुल 23 सीटों पर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे। हालांकि, लालू एवं तेजस्वी की पार्टी का स्ट्राइक रेट कांग्रेस के मुकाबले बहुत खराब रहा। इस चुनाव में महागठबंधन ने कुल मिलाकर महज 9 सीटों पर ही जीत दर्ज की। आरजेडी ने 23 पर चुनाव लड़ा और महज 4 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, उसकी सहयोगी कांग्रेस ने 9 पर चुनाव लड़ा और उसमें से एक तिहाई यानी 3 सीटों पर अपना परचम लहराया।

इसके अलावा एक और सीट पूर्णिया पर भी कांग्रेस समर्थित पप्पू यादव ने निर्दलीय चुनाव जीता। पप्पू ने पूर्णिया से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की मांग की थी, मगर आरजेडी ने यह सीट अपने खाते में ले ली और बीमा भारती को मैदान में उतार दिया था। हालांकि, आरजेडी को यहां बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। देखा जाए तो लोकसभा में बिहार से आरजेडी (4) और कांग्रेस (3+1) के लगभग बराबर सांसद हैं। कांग्रेस इसी आधार पर आगामी विधानसभा चुनाव के सीट बंटवारे की डिमांड कर रही है। अगर ऐसा हुआ तो 243 सीटों वाले बिहार में कांग्रेस 100 से ज्यादा सीटों पर अपना दावा ठोक सकती है।

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2020 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो आरजेडी ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 75 पर जीत दर्ज की थी। वहीं, कांग्रेस ने 70 पर प्रत्याशी उतारे थे और महज 19 सीटों पर ही जीत पाई। अन्य सीटों पर तीनों लेफ्ट पार्टियों ने अपने प्रत्याशी उतारे थे। लालू एवं तेजस्वी यादव की पार्टी अगले साल होने वाले बिहार चुनाव में 2020 के फॉर्मूले के आधार पर ही सीट बंटवारे पर जोर डालना चाहेगी। हालांकि, अभी चुनाव में कई महीने बाकी हैं। ऐसे में सीट बंटवारे और गठबंधन के नेतृत्व पर कुछ भी कहना फिलहाल जल्दबाजी होगी।

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