Hindi Newsबिहार न्यूज़Children of Bihar number one in this project Got reward of Rs 50 lakh

बिहार के बच्चों ने किया कमाल, इस प्रोजेक्ट में देश भर में नंबर वन; मिला 50 लाख का इनाम

बिहार के बच्चों ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। किलकारी बाल भवन पटना के बच्चों को आर्सेनिक फिल्टर प्रोजेक्ट को देशभर में प्रथम पुरस्कार मिला है। इन बच्चों को 50 लाख का इनाम दिया गया। इसका आयोजन सैंमसंग कंपनी की ओर से किया जा रहा था।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, पटनाSun, 6 Oct 2024 10:53 AM
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बिहार के बच्चों ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। किलकारी बाल भवन पटना के बच्चों को आर्सेनिक फिल्टर प्रोजेक्ट को देशभर में प्रथम पुरस्कार मिला है। इन बच्चों को 50 लाख का इनाम दिया गया। इसका आयोजन सैंमसंग कंपनी की ओर से किया जा रहा था। कंपनी ने देशभर के विज्ञान प्रोजेक्ट को लेकर एक प्रतियोगिता करवाई थी। इसमें देशभर से आठ प्रोजेक्ट का चयन किया गया था। इसमें किलकारी के बच्चों के आर्सेनिक प्रोजेक्ट को देशभर में बेस्ट प्रोजेक्ट का स्थान मिला है। इसके लिए इन्हें 50 लाख की राशि का चेक दिया गया है।

बता दें कि शनिवार को इस प्रतियोगिता में किलकारी की तीन बच्चों की टीम शामिल हुई थी। इसमें अर्पित, शांभवी और अभिजीत कुमार शामिल थे। इन बच्चों के इस आर्सेनिक फिल्टर को कई पेंटेंट मिल चुके हैं। छात्र अर्पित ने बताया कि अब तक इस फिल्टर को पांच पेंटेंट मिले हैं। इसमें एक भारत सरकार से और एक इंटरनेशनल पेटेंट शामिल है। वहीं तीन पेटेंट भारत सरकार से इसके डिजाइन को मिला हुआ है। किलकारी की कार्यक्रम अधिकारी अनिता कुमारी ने बताया कि यह आर्सेनिक फिल्टर को बच्चों ने खुद तैयार किया है।

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गंगा किनारे के गांवों को आर्सेनिक मुक्त करेगा

पूरे बिहार के उन जिलों में इस फिल्टर को लगाया जाएगा जो गंगा किनारे है और जहां पर आर्सेनिक युक्त पानी है। छात्र अर्पित ने बताया कि हमारा दो करोड़ की आबादी को आर्सेनिक मुक्त पानी उपलब्ध करने का लक्ष्य है। सबसे पहले स्कूलों के चापाकल और नल में इस फिल्टर को लगाया जाएगा। उसके बाद गांव और फिर हर घर तक इस फिल्टर को लगाया जाएगा ताकि इन इलाकों को आर्सेनिक मुक्त किया जा सके। अब तक पटना, भोजपुर, बक्सर के कई गांवों के चापाकल, नल में इस फिल्टर को लगाया जा चुका है। इन इलाकों के हजारों लोगों को आर्सेनिक मुक्त पानी मिल रहा है। इस फिल्टर को किलकारी बाल भवन के चार बाल वैज्ञानिक ने मिलकर तैयार किया है।

चार साल लगा इसे तैयार करने में

छात्र अर्पित ने बताया कि इस फिल्टर को तैयार करने में चार साल लग गये। इस फिल्टर का एक प्रोडक्ट भारत सरकार के जेम पोर्टल पर भी उपलब्ध है। इस पोर्टल से लोग फिल्टर की खरीदारी करते हैं। अब तक सैकड़ों फिल्टर बिक चुके हैं। 40 फिल्टर का ऑर्डर हमें मिला हुआ है। छात्र अभिजीत ने बताया कि इस फिल्टर को बनाने में मॉक्यूलर मैग्नेटिजम तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।

किलकारी बाल भवन की निदेशिका ज्योति परिहार का कहना है कि किलकारी परिसर के लिए यह काफी गौरव की बात है। इन बच्चों ने काफी मेहनत की है। फिल्टर तैयार करने में इन्हें कई रिसर्च भी करने पड़े। यह अब तक का सबसे बड़ी सफलता है।

आबादी के हिसाब से फिल्टर पर आता खर्च

छात्र अर्पित ने बताया कि आबादी के हिसाब से हम फिल्टर तैयार करते हैं। एक हजार से 15 सौ तक की आबादी के लिए एक फिल्टर बनाने में डेढ़ लाख तक का खर्च आता है। पांच हजार की आबादी पर फिल्टर बनाने में साढ़े सात लाख तक का खर्च आता है। आगे तीन तरह का फिल्टर बनाया जाएगा। इसमें घर में इस्तेमाल करने के लिए, समुदाय के लिए और वार्ड स्तर पर रहेगा।

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