चलती ट्रेन में मासूम बच्चे की मौत, मां ने गोद में शव रख 158 किलोमीटर का सफर किया
सहरसा से नई दिल्ली जा रही ट्रेन में गुरुवार को एक साल के बच्चे की मौत हो गई। उसकी मां ट्रेन से उतरकर वापस बस में बैठे और बच्चे के शव को अपनी गोदी में रखकर 158 किलोमीटर दूर अपने घर वापस लौटी।

बिहार के सहरसा से नई दिल्ली जा रही वैशाली सुपरफास्ट ट्रेन के जनरल कोच में गुरुवार को नाक से खून आने से एक साल के बच्चे की मौत हो गई। बीमार होने पर मां अपने बेटे को इलाज के लिए दिल्ली लेकर जा रही थी। मगर बीच सफर में ही उसने दम तोड़ दिया। मुजफ्फरपुर स्टेशन पर जब डॉक्टर ने बच्चे को मृत घोषित किया, तो महिला अपने मासूम बेटे को लेकर वापस सहरसा के लिए निकल गई। वह अपने बच्चे के शव को गोद में ही रखकर 158 किलोमीटर दूर बस से सहरसा ले गई।
बच्चे का नाम युवराज था। उसकी मां मधुबनी जिले की निवासी रीता देवी उर्फ अहिल्या देवी उसे इलाज के लिए दिल्ली ले जा रही थी। वह सहरसा में ट्रेन में सवार हुई थी। समस्तीपुर से ट्रेन के खुलने के बाद बच्चे की स्थिति बिगड़ने लगी। इसकी सूचना मुजफ्फरपुर जंक्शन के आरपीएफ को दी गई। आरपीएफ ने ट्रेन के पहुंचने से पहले रेल डॉक्टर शालीग्राम चौधारी को बुला लिया था। लेकिन, मुजफ्फरपुर पर जांच के दौरान बच्चा मृत पाया गया।
बच्चे की मां अपनी परिचित महिला के साथ सफर कर रही थी। रीता ने बताया कि वह मूलत: मधुबनी के जयनगर थाना के सेली वेली की रहने वाली हैं। वर्तमान में उसके परिजन सहरसा स्टेशन के पास किराये के मकान में रहते हैं। पति विष्णुदेव महतो उर्फ विष्णु कुमार मजदूरी करते हैं। वह सहरसा से ट्रेन में चढ़ी थीं। जनरल का टिकट भी उनके पास से मिला है।
गोद में शव रख बस से ले गई
रीता ने पुलिस को बताया कि उसका बच्चा बीमार था। वह सहरसा से नई दिल्ली उसके इलाज के लिए जा रही थी। समस्तीपुर से मुजफ्फरपुर तक वह बच्चे को गोद में रखकर ही लाई थी। मौत होने के बाद वह बस में सवार होकर 158 किलोमीटर दूर सहरसा स्थित अपने घर चली गई। इस दौरान वह अपने बेटे के शव को अपनी गोद में ही रखे रही।
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