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देवताओं के शिल्पी व सृजन के देवता भगवान विश्वकर्मा की पूजा आज

भगवान विश्वकर्मा की जयंती मंगलवार को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाएगी। इस बार, महंगाई के बावजूद, निर्माण कार्य से जुड़े स्थलों पर पूजा का आयोजन धूमधाम से किया जाएगा। मूर्तिकारों के पास भीड़ जुटी...

Newswrap हिन्दुस्तान, छपराMon, 16 Sep 2024 03:31 PM
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प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे हुए थे मूर्तिकार पूजा को ले बाजारों में दिखी भीड़ फोटो- 20- पूजा करने के लिए सजायी गयी भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति छपरा, नगर प्रतिनिधि। देवताओं के शिल्पी, निर्माण व सृजन के देवता कहे जाने वाले भगवान की जयंती मंगलवार को श्रद्धा, उल्लास से मनाई जाएगी। महंगाई के बाद भी इस बार संयंत्रों, संस्थानों, प्रतिष्ठानों व निर्माण कार्य से जुड़ी कार्यशालाओं में हर्षोल्लास के वातावरण में पूजन-अर्चन किया जाएगा। शहर के अलावा औद्योगिक क्षेत्र के कल कारखानों में पूजन-अर्चन किया जाएगा। छपरा जंक्शन के यांत्रिक विभाग में भी विशेष पूजा की जाएगी। इसके अलावा आईटीआई, मोटर गैराज, प्रिंटिंग प्रेस , वाहन एजेंसी समेत कई कारखानों में विश्वकर्मा जयंती धूमधाम से मनायी जाएगी। विभिन्न पूजा पंडालों को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। पूजा पंडालों में भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित की जायेगी। मूर्तिकारों के पास जुटी रही भीड़ भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को ले जाने के लिए शहर के कई स्थानों पर मूर्तिकारों के पास सोमवार को दिन भर भीड़ जुटी रही। शहर के श्यामचक में सबसे अधिक भीड़ देखी गई। श्यामचक में जिले के अलावा उत्तर प्रदेश से भी काफी संख्या में लोग प्रतिमा की खरीदारी के लिए आते हैं। एक मूर्तिकार ने बताया कि इस बार खुशी है। इस साल काफी संख्या में भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा के लिए ऑर्डर मिले थे।बाजारों में भी विश्वकर्मा पूजा को लेकर भीड़ रही। पूजन सामग्री की खरीदारी श्रद्धालु कर रहे थे। विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त पंचांग में बताया गया है कि विश्वकर्मा पूजा के दिन कई शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है। पंचांग के अनुसार इस साल विश्वकर्मा पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह में ही है क्योंकि दोपहर के समय में भद्रा है। ऐसे में आप विश्वकर्मा पूजा सुबह 06 बजकर 07 बजे से दिन में 11 बजकर 43 बजे के बीच कर सकते हैं। इस बार की विश्वकर्मा पूजा रवि योग का निर्माण हो रहा है। मंगलवार को विश्वकर्मा पूजा के दिन रवि योग सुबह 6 बजकर 7 मिनट से शुरू हो रहा है, जो दोपहर अल बजकर 52 मिनट तक रहेगा। शुभ मुहूर्त में पूजा करने से भक्तों को मनवांछित कार्य भी होता है । संस्थान व घर - परिवार में भी खुशी का माहौल हमेशा बना रहता है। वास्तुदेव व अंगिरसी के पुत्र हैं भगवान विश्वकर्मा पौराणिक कथा के अनुसार, जब सृष्टि अपने प्रारंभ अवस्था में थी तब भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग की शय्या पर प्रकट हुए थे। उनकी नाभि से कमल निकला, जिस पर चार मुख वाले ब्रह्मा जी प्रकट हुए। ब्रह्मा जी के पुत्र धर्म थे और उनके बेटे का नाम था वास्तुदेव। वास्तुदेव अपने पिता के सातवीं संतान थे, जो शिल्पशास्त्र के आदि प्रवर्तक माने जाते थे। उनका विवाह अंगिरसी नामक कन्या से ​हुआ था, जिससे भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ। अपने पिता के समान ही भगवान विश्वकर्मा वास्तुकला के महान विद्वान बने।

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