26 साल पहले फर्जी मुठभेड़ दिखा युवक को मारी थी गोली, 2 पुलिस अफसरों को अब मिली सजा
पुलिस बिहारीगंज थाना क्षेत्र में एक गांव में पुलिस छापेमारी करने गई थी। वहीं पर संतोष कुमार सिंह को पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ दिखाकर गोली मार दी और उनकी मौत हो गई।
सीबीआई की विशेष अदालत सह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार ने मंगलवार को 26 वर्ष पहले हुए फर्जी मुठभेड़ में दोषी पूर्णिया के बड़हरा थाने के तत्कालीन थानेदार मुखलाल पासवान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही तीन लाख एक हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। इसी मामले में बिहारीगंज थाना के तत्कालीन इंस्पेक्टर अरिवंद झा को भी अदालत ने पांच वर्ष कैद व पचास हजार रुपया जुर्माना की सजा सुनायी है।
नई दिल्ली स्थित सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच के विशेष लोक अभियोजक अमरेश कुमार तिवारी ने दोषियों को कड़ी सजा देने का अनुरोध विशेष अदालत से किया था। सीबीआई ने इस मामले में सुनवाई के दौरान 45 अभियोजन गवाह पेश किया था।
गवाहों के बयान ओर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर सीबीआई की विशेष अदालत ने 27 सितंबर को फर्जी मुठभेड़ में संतोष कुमार सिंह की गोली मारकर हत्या करने के मामले में बड़हरा के तत्कालीन थानेदार मुखलाल पासवान और बिहारीगंज के तत्कालीन इंस्पेक्टर अरिंवद झा को भारतीय दंड संहिता की धारा 193 के तहत दोषी करार दिया था।
पुलिस बिहारीगंज थाना क्षेत्र में एक गांव में पुलिस छापेमारी करने गई थी। वहीं पर संतोष कुमार सिंह को पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ दिखाकर गोली मार दी और उनकी मौत हो गई। यह आपराधिक घटना 1998 में हुई थी। इस कांड की जांच नई दिल्ली सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच को सौंपी गई। इस टीम ने चार्जशीट दायर की थी।