Budget 2025: काशी की तर्ज पर बिहार में विष्णुपद और महाबोधि कॉरिडोर, इन जिलों की चमकी किस्मत
केंद्रीय बजट में विशेष महत्व रखने वाले गया स्थित विष्णुपद मंदिर और बोधगया में मौजूद महाबोधी मंदिर कॉरिडोर बनाने की योजना है। इन दोनों कॉरिडोर को वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इसे विश्वस्तरीय तीर्थ एवं पर्यटन स्थल के तौर पर तैयार करने की योजना बनाई गई है।
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नए वित्तीय वर्ष के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री ने बुद्ध के जीवन से जुड़े सभी स्थलों को विकसित करने की घोषणा की है। इसके अंतर्गत बिहार के गया, बोधगया, राजगीर, वैशाली, केसरिया जैसे कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों को खासतौर से विकसित करने का रास्ता साफ हो गया है। इसके अलावा बुद्ध से जुड़े कई छोटे-छोटे स्थल भी हैं, जो वर्तमान में उतने विकसित नहीं हो पाए या लोग इनके बारे में कम जानते हैं। केंद्र की इस घोषणा से इन सभी स्थानों का भी समुचित तरीके से विकास हो पाएगा। भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण स्थल को जोड़कर बुद्ध सर्किट कहा जाता है। नेपाल में मौजूद इनके जन्मस्थल लुंबिनी से शुरू होकर यह केसरिया, नालंदा, राजगीर, बोधगया, सारनाथ (वाराणसी के नजदीक), कुशीनगर (गोरखपुर के पास), सांची, अमरावती समेत कुछ अन्य प्रमुख स्थल शामिल हैं।
जिसमें जन्मस्थल लुंबिनी और महानिर्वाण स्थल कुशीनगर है। इनमें बोधगया का स्थान सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें लंबी तपस्या के बाद ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यह ऐतिहासिक वृक्ष आज भी मौजूद है और इसके पास ही महाबोधि मंदिर बना हुआ है। यह बौद्ध धर्मावलंबियों में सबसे पूजनीय स्थल के तौर पर स्थापित है। यहां परमपावन दलाई लामा आते हैं और नवंबर-दिसंबर में आयोजित होने वाले कालचक्र पूजा में शामिल होते हैं। पूरी दुनिया से बौद्ध धर्म के लोग यहां आकर प्रार्थना में शामिल होते हैं। राजगीर के वेणु वन में वे अपने शिष्यों को प्रवचन देते थे। बोधगया से राजगीर के बीच आज भी वह पवित्र रास्ता मौजूद है, जिस पर बुद्ध चलकर आते-जाते थे।
बजट में देश के 50 महत्वपूर्ण पर्यटन क्षेत्रों का भी विकास किया जाएगा। इसमें भी बिहार के कई स्थलों के आने की संभावना है। केंद्रीय बजट में विशेष महत्व रखने वाले गया स्थित विष्णुपद मंदिर और बोधगया में मौजूद महाबोधी मंदिर कॉरिडोर बनाने की योजना है। इन दोनों कॉरिडोर को वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इसे विश्वस्तरीय तीर्थ एवं पर्यटन स्थल के तौर पर तैयार करने की योजना बनाई गई है।
हिन्दू, बौद्ध और जैन तीनों धर्मों के लिए महत्वपूर्ण स्थल के तौर पर चिह्नित राजगीर को और विकसित करने की योजना है। पौराणिक जैन कॉम्पलेक्स में मौजूद जैन के 20वें तीर्थंकर मुनि सुवर्ता के मंदिर को विकसित किया जाएगा। गर्म पानी की सात धाराओं और ब्रम्हकुंड समेत यहां मौजूद अन्य सभी प्रमुख स्थलों को समेकित तौर पर विकसित किया जाएगा। वहीं, नालंदा के ऐतिहासिक खंडहर को विरासत के तौर पर संरक्षित करते हुए इसका समुचित विकास किया जाएगा और इसे एक विशेष पर्यटक केंद्र के तौर पर विकसित किया जाएगा।
सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों को विकसित करने के पीछे विशेष मकसद यहां निवेश को बढ़ावा देकर वैश्विक पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित करना है। इसके साथ ही यहां आर्थिक परिदृश्य को विकसित करने के साथ ही रोजगार एवं निवेश की संभावनाओं को भी बढ़ावा देना भी है। केंद्र सरकार के स्तर से इससे पहले पेश किए गए अंतरिम बजट में भी इसके विकास को लेकर विस्तृत घोषणा की गई थी। इस बार के आम बजट में इसे विस्तार दिया गया है।