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शारदीय नवरात्र : 9 दिन की नवरात्र पर महाअष्टमी व नवमी की पूजा एक ही दिन

शारदीय नवरात्र : 9 दिन की नवरात्र पर महाअष्टमी व नवमी की पूजा एक ही दिनशारदीय नवरात्र : 9 दिन की नवरात्र पर महाअष्टमी व नवमी की पूजा एक ही दिनशारदीय नवरात्र : 9 दिन की नवरात्र पर महाअष्टमी व नवमी की...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफTue, 3 Sep 2024 04:08 PM
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शारदीय नवरात्र : 9 दिन की नवरात्र पर महाअष्टमी व नवमी की पूजा एक ही दिन इसबार चतुर्थी तिथि की वृद्धि तो नवमी तिथि का हो रहा क्षय नौका पर सवार होकर आएंगी मां शेरावाली, मुर्गा पर होगा गमन फोटो मां दुर्गा- सिंगल कॉलम फोटो बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। शारदीय नवरात्र शुरू होने में अभी कुछ दिन शेष हैं। लेकिन अभी से ही पूजा की तैयारी में श्रद्धालु जुट चुके हैं। पूजा समितियों द्वारा पंडाल और मां की प्रतिमाओं का निर्माण शुरू कर दिया गया है। इस बार शारदीय नवरात्र तीन अक्टूबर (गुरुवार) से कलश स्थापन के साथ शुरू हो रही है। 12 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) है। विभिन्न पंचांगों के हवाले से ज्योतिष के जानकार प.मोहन कुमार दत्त मिश्र और सोहसराय श्रीदुर्गा मंदिर के पुजारी पं. सुरेन्द्र कुमार दत्त मिश्र बताते हैं कि इसबार चतुर्थी तिथि की वृद्धि तथा नवमी तिथि का क्षय होने पर भी पूरा पक्ष 15 और नवरात्र नौ दिनों की होगी। भक्तजन नौ दिन पाठ करेंगे। परंतु, 10 अक्टूबर को आतर है। 11 अक्टूबर को महाअष्टमी और नवमी की पूजा होगी। शास्त्रों के अनुसार सप्तमी और अष्टमी मिला रहने पर महाअष्टमी का व्रत निषेध माना गया है। 10 को सप्तमी और अष्टमी दोनों है। इसलिए श्रद्धालु अष्टमी की पूजा न कर सिर्फ महागौरी का दर्शन करेंगे। इसबार आदिशक्ति मां दुर्गे इस वर्ष नौका (नाव) पर सवार होकर आएंगी और मुर्गा पर बैठ प्रस्थान करेंगी। मां के नौका पर आगमन काफी शुभफलदायक है और जल की अधिकता का सूचक है। वैसे मुर्गा (चरणायुध) पर प्रस्थान अशांति का सूचक माना गया है। 8 को विल्वा निमंत्रण तो 9 को प्रतिमा की स्थापना :- निर्णय सिंधु के अनुसार खास यह भी कि इस वर्ष चतुर्थी तिथि की वृद्धि तथा नवमी तिथि का क्षय होने पर भी पूरा पक्ष 15 और नवरात्र नौ दिनों की होगी। आठ अक्टूबर को षष्ठी तिथि है। इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र में शाम 5.50 बजे तक विल्वा निमंत्रण की पूजा होगी। नौ अक्टूबर को मूल नक्षत्र में प्रात: 7.40 बजे के बाद से रात्रि 1.45 बजे तक पंडालों में मां दुर्गे की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। पूजा अर्चना के बाद भक्तों के दर्शन के लिए मां के पट खुल जाएंगे। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त आश्विन शुल्क पक्ष प्रतिपदा दिन गुरुवार तीन अक्टूबर को कलश स्थापन प्रात:काल से दिन में 3.20 तक होगा। जबकि, अभिजीत मुहूर्त में मध्याह्न 11.36 से 12.24 बजे तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है। शुभ मुहूर्त में ही कलश स्थापन करनी चाहिए। यह शुभ फलदायक माना गया है। शुभ मुहूर्त में करें पूजा :- 1. कलश स्थापना : - प्रतिपदा तिथि में प्रात:काल से 3.20 बजे तक अभिजीत मुहूर्त में मध्याह्न 11.36 से 12.24 तक 2. विल्वा निमंत्रण : - दोपहर बाद से संध्याकाल 5.50 बजे तक 3. प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा : - मूल नक्षत्र दिन में प्रात:काल 7.40 बजे के बाद से रात 1.45 बजे तक याद रखें तिथियां कलश स्थापना 03 अक्टूबर (गुरुवार) विल्वा निमंत्रण(षष्ठी) 08 अक्टूबर (मंगलवार) सप्तमी 09 अक्टूबर (बुधवार) महाअष्टमी/महानवमी 11 अक्टूबर (शुक्रवार विजयादशमी 12 अक्टूबर(शनिवार)

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