प्रदूषण पर प्रहार! बिहार के सभी थर्मल पावर प्लांट पर सख्ती, एफजीडी संयत्र लगाना ही होगा
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि राज्य में वायु प्रदूषण में पीएम 2.5 एवं पीएम 10 जैसे सूक्ष्म धूल कण मानक से अधिक हैं, जो वायु गुणवत्ता सूचकांक को प्रभावित करते हैं।
वायु प्रदूषण की मौजूदा स्थिति को देखते हुए सूबे के सभी छह नेशनल थर्मल पावर प्लांट पर सख्ती बरतनी शुरू की दी गई है। थर्मल पावर से होने वाले वायु प्रदूषण में कमी लाने के लिए थर्मल पावर प्लांटों को वर्ष 2026 तक फ्यूल गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) संयंत्र लगाना होगा, ताकि वायु में सल्फर डाईऑक्साइड की मात्रा को नियंत्रित किया जा सके।
थर्मल पावर स्टेशन से निकलने वाले सल्फर को लेकर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने राज्य की पर्यावरणीय स्थिति की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। इसमें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने सभी छह नेशनल थर्मल पावर स्टेशन में एफजीडी लगाने का निर्देश दिया है। बैठक में पर्षद् के अध्यक्ष, डॉ.डीके शुक्ला एवं सदस्य सचिव नीरज नारायण उपस्थित रहे।
बैठक में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि राज्य में वायु प्रदूषण में पीएम 2.5 एवं पीएम 10 जैसे सूक्ष्म धूल कण मानक से अधिक हैं, जो वायु गुणवत्ता सूचकांक को प्रभावित करते हैं। राज्य की परिवेशीय वायु में सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे गैसीय प्रदूषकों की मात्रा राष्ट्रीय परिवेशीय वायु गुणवत्ता के मानकों से कम पाई गई है।
राज्य में डीजल वाहन न्यून सल्फर डीजल का उपयोग कर रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु प्रदूषण में कमी लाने के लिए सभी औद्योगिक संस्थानों से अपील की है कि वह सीएनजी, पीएनजी और एलपीजी जैसे स्वच्छतर ईंधन का उपयोग करें। इससे वायु प्रदूषण में काफी कमी आएगी।