बिहार-झारखंड सीमा का होगा सर्वे, बॉर्डर वाले इलाकों का नए सिरे से बनेगा खातियान
केंद्र सरकार बिहार और झारखंड की सीमा का सर्वे कराने जा रही है। बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य बनने के बाद भूमि सर्वे नहीं हो पाया है। सीमा पर मौजूद प्रखंडों एवं गांवों के नाम, मौजा, खाता, खेसरा नए सिरे से खतियान में दर्ज किया जाएगा।
भारतीय सर्वेक्षण विभाग (एसओआई) बिहार-झारखंड सीमा का सर्वे करेगा। केंद्र सरकार ने नेशनल जियोस्पेटिकल पॉलिसी 2022 के तहत दोनों राज्यों के सीमांकन का जिम्मा एसओआई को दिया है। एसओआई नेशनल जियोस्पेटिकल पॉलिसी 2022 के तहत दोनों राज्यों की भौगोलिक स्थिति का डाटा तैयार करेगा। सर्वेक्षण विभाग को बॉर्डर जिलों के मानचित्र और अन्य जानकारी देने के लिए जिला स्तर पर राज्य सरकार ने एक नोडल पदाधिकारी बनाने का निर्देश दिया है। इसको लेकर भू-अभिलेख व परिमाप विभाग ने सभी संबंधित जिलों से नोडल पदाधिकारियों के नाम और मोबाइल नंबर मांगा है। सीमावर्ती जिलों के इलाकों का नए सिरे से खातियान तैयार किया जाएगा।
सर्वेक्षण का काम पूरा होने के बाद दोनों राज्य एक-दूसरे से जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) और ऑफिस रिसर्च इंटीग्रिटी (ओआरआई) डाटा साझा करेंगे। इससे दोनों राज्यों को आंतरिक सुरक्षा और खनिज पदार्थ से संबंधित जानकारी साझा करने में सहूलियत होगी। भू-अभिलेख व परिमाप विभाग की निदेशक जे. प्रियदर्शिनी ने संबधित जिलों के समाहर्ताओं को इस बाबत पत्र भेजा है।
राजस्व विभाग के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बताया कि अब सारा सिस्टम डिजिटल बेस हो रहा है। इसलिए सर्वेक्षण के दौरान वर्तमान बोलचाल की भाषा के गांवों के सही नाम ऑनलाइन फीड किए जाएंगे। इससे फायदा यह होगा कि नई परियोजना या भूमि स्थानांतरण की कार्रवाई में भू-अर्जन और अन्य काम में मदद मिलेगी। मैपिंग के दौरान गांव-टोले की स्पेलिंग भी ठीक होगी। निदेशालय के पत्र में बताया गया कि मैपिंग के बाद बिहार-झारखंड से सटे गांवों में आपसी सहमति के बाद पिलर गाड़ा जाएगा। मैपिंग के दौरान ही संबंधित प्रखंड और गांव-टोले की स्पैलिंग ठीक होगी। भागलपुर से झारखंड का गोड्डा और साहिबगंज सटा जिला है।
बिहार के 8 और झारखंड के 10 जिले हैं बॉर्डर पर
बिहार के आठ जिले ऐसे हैं, जो झारखंड बॉर्डर पर हैं। इनमें भागलपुर, बांका, कटिहार, जमुई, गया, नवादा, औरंगाबाद और रोहतास हैं। सर्वेक्षण में संबंधित जिलों के उन प्रखंडों व गांवों के नाम, मौजा, खाता, खेसरा आदि भी नये सिरे से खतियान में दर्ज किया जाएगा। जो राज्य विभाजन के बाद बदल गया है। एडीएम महेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि भागलपुर, बांका, जमुई आदि जिले बिहार-झारखंड सीमा से सटे हैं। झारखंड विभाजन के बाद भागलपुर में पीरपैंती और सन्हौला को बॉर्डर से सटे गांव और मौजे की सूची को ठीक करने में सर्वेक्षण रिपोर्ट से सहायता मिलेगी।
भागलपुर के 16 गांव हैं
झारखंड सीमा पीरपैंती में इशीपुर बाराहाट, कंगालीचौकी, कीर्तनिया, गौरीपुर, मेहंदी पोखर, मदरा सीमानपुर, नवादा, धिमरी, प्यालापुर और नामनगर दादर। सन्हौला में महियामा, गोविंदपुर, रसलपुर, विश्वासपुर, पोठिया व वैसा।
बिहार से सटी है झारखंड के 10 जिलों की चौहद्दी
बिहार के पास झारखंड के कुल 82,129 ग्रामीण मानचित्र हैं। 2016 में बिहार सरकार ने झारखंड का कैडस्ट्रल मैप (भू-कर मानचित्र) दिया था। इस आधार पर झारखंड में राष्ट्रीय भूमि अभिलेख योजना के तहत नक्शों के डिजिटलाइजेशन का काम शुरू हुआ है। बता दें कि बिहार से झारखंड के 10 जिलों की चौहद्दी सटी है। बिहार के सीमावर्ती गढ़वा, डाल्टनगंज, चतरा, हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह, देवघर, गोड्डा, दुमका व साहेबगंज सटा है। 1976 के बाद बिहार में भूमि का सर्वेक्षण नहीं हुआ था। ऐसे में 2000 में झारखंड अलग राज्य बनने के बाद बिहार बॉर्डर का सर्वेक्षण नहीं हो पाया है।