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Bihar Flood: भूख से बिलबिलाते बच्चे और खुले आकाश के नीचे विस्थापित, त्रासदी के बीच बोले पीड़ित- ऐसी बाढ़ कहीं नहीं देखी

Bihar Flood: कोसी पश्चिमी तटबंध के टूटने से विस्थापित हजारों परिवार कोसी पश्चिमी तटबंध व बिरौल-गंडौल हाईवे पर पिछले 24 घंटे से भूखे-प्यासे खुले आसमान के नीचे शरण लिये हुए हैं। प्रशासन की ओर से न तो अब तक कहीं सरकारी नाव का परिचालन शुरू किया गया है और न ही कहीं सरकारी राहत शिविर लगाया गया है।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, दरभंगाTue, 1 Oct 2024 12:05 PM
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Bihar Flood: बिहार में बाढ़ ने बड़ी त्रासदी लाई है। दरभंगा जिले के किरतपुर प्रखंड के भुवौल में रविवार की देर रात पश्चिमी कोसी तटबंध टूटने से क्षेत्र में भयावह स्थिति बन गयी है। बाढ़ पीड़ितों में हाहाकार मचा हुआ है। वे जान बचाने के लिए घर व सामान की चिंता किये बिना ऊंचे स्थान पर चले गए हैं।कई बाढ़ पीड़ित छत पर खुले आसमान के नीचे वर्षा व धूप में समय काट रहे हैं। कई बाढ़ पीड़ितों को घर में ही चौकी के ऊपर रात गुजारनी पड़ी। सुबह होते ही एनडीआरएफ की टीम के सहयोग से उन्हें ऊंचे स्थान पर पहुंचाया गया। 

खैंसा के बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि मध्य रात्रि में कोसी तटबंध टूटते ही लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। जिसको जहां जगह मिली, शरण लेनी शुरू कर दी। फूलो देवी, अनवरी खातून व अनिशा खातून ने कहा कि घर में चावल- दाल सहित सभी सामान छोड़कर बाल-बच्चों के साथ बगल के घर की छत पर शरण लिए हुए हैं। बाढ़ में घर का सभी समान बह गया।

पूर्व प्रमुख अब्दुल सलाम ने बताया कि गांव की स्थिति भयावह हो गयी है। हर घर में बाढ़ का पानी घुस गया है। जान बचाकर लोग ऊंचे स्थान पर जा रहे हैं। गांव के कई परिवार जमालपुर कोसी तटबंध पर रात से ही रह रहे हैं। मो. इजहार ने बताया कि प्रशासन की ओर से सुबह तक राहत व बचाव की कोई व्यवस्था नहीं की गयी थी। दिनभर लोग बरसात में खुले आकाश के नीचे रहे। बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं। 

एसएच 17 पुनाछ चौक पर शरण लिए बाढ पीड़ित रेशमा देवी ने बताया कि रातभर घर के छप्पर पर समय गुजारने के बाद सुबह में चौक पर आकर ऊंचे स्थान पर शरण लिए हुए है। पशुओं को भगवान भरोसे छोड़ दिये हैं। चतरा चौक पर शरण लिए पीड़ितों ने बताया कि ऐसी बाढ़ कहीं नहीं देखी थी। नाव नहीं मिलने पर सिर पर पेटी व कपड़े लेकर बांध पर शरण लिए हुए हैं। प्रशासन की ओर से धूप व पानी से बचाव व राहत की कोई व्यवस्था नही की गयी है। इसके कारण लोग परेशान हैं।

दाने-दाने को मोहताज बाढ़ पीड़ित

कोसी पश्चिमी तटबंध के टूटने से विस्थापित हजारों परिवार कोसी पश्चिमी तटबंध व बिरौल-गंडौल हाईवे पर पिछले 24 घंटे से भूखे-प्यासे खुले आसमान के नीचे शरण लिये हुए हैं। प्रशासन की ओर से न तो अब तक कहीं सरकारी नाव का परिचालन शुरू किया गया है और न ही कहीं सरकारी राहत शिविर लगाया गया है। पश्चिमी कोसी तटबंध स्थित किरतपुर अंचल के मुसहरिया चौक के पास खुले आसमान के नीचे शरण लिए भागवत यादव अपने परिवार में शामिल दुधमुंहे बच्चे की ओर इशारा करते हुए कहते हैं, रविवार की रात कोसी बांध टूटने का हल्ला सुनकर सपरिवार हेलते-डूबते कोसी तटबंध पर पहुंचा।

यहां खुले आसमान के नीचे रात गुजारने के बाद सोमवार को दिनभर निराहार रहा। बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं। शुद्ध पेयजल भी नहीं है जो उनके सूखे गले को तर कर सकूं। परिवार की महिलाएं बच्चों के साथ धूप और बारिश के बीच सरकारी राहत की बाट जोह रही थी। मुसहरिया चौक से टूटान स्थल भुवौल चौक तक विस्थापितों की भीड़ बढती ही जा रही है। 

टूटान स्थल से निकले पानी की निकासी का रास्ता आगे संकीर्ण है सो जलस्तर नीचे उतरने के बदले ऊपर ही बढ़ता जा रहा है। इससे बाढ़ से घिरे लोगों की परेशानी बढ़ती ही जा रही है। आगे बढ़ने पर जमालपुर थानाध्यक्ष के साथ किरतपुर के सीओ थाना कार्यालय में बैठे मिले। पूछने पर बताया कि 17 सरकारी नावें चलाई जा रही हैं। सामुदायिक किचन के जरिये लोगों के बीच भोजन परोसने की व्यवस्था की जा रही है।

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