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उपचुनाव ने छीन लिया तेजस्वी का तेज, 2025 में कैसे लगेगी आरजेडी महागठबंधन की नैया पार?

इन सीटों के परिणाम सामने आने के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का तेज कम हो गया है। इस प्रदर्शन के बाद सवाल यह भी उठ रहे हैं कि साल 2025 में आरजेडी महागठबंधन की नैया पार कैसे लगेगी?

Nishant Nandan लाइव हिन्दुस्तान, पटनाSat, 23 Nov 2024 02:49 PM
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बिहार मेें चार सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद घोषित हुए नतीजों में राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। राष्ट्रीय जनता दल किसी भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई है। इन सीटों के परिणाम सामने आने के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का तेज कम हो गया है। इस प्रदर्शन के बाद सवाल यह भी उठ रहे हैं कि साल 2025 में आरजेडी महागठबंधन की नैया पार कैसे लगेगी?

बिहार उपचुनाव के परिणामों को महागठबंधन की महाहार के तौर पर भी देखा जा रहा है। दरअसल इस महागठबंधन में अपनी पूर्व में जीती हुई तीनों सीटें गंवा दी हैं। तरारी सीट भाकपा माले के कब्जे में थी। इस सीट से विधायक सुदामा प्रसाद के सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हो गई थी और भाकपा मालने अपने नेता राजू यादव को टिकट देकर बड़ा दांव चला था। लेकिन बीजेपी के प्रत्याशी विशाल प्रशांत ने इस सीट पर जीत हासिल कर सबको चौंका दिया। यह पहला मौका है जब तरारी में कमल खिला। विशाल प्रशांत ने इस सीट पर 10612 वोटों से जीत हासिल की है। महागठबंधन में शामिल भाकपा माले के लिए चिंता की बात यह भी है कि पहली बार चुनाव लड़ रहे विशाल प्रशांत ने उन्हें हराया है।

यादव-मुस्लिम वोट में सेंध

गया की बेलागंज विधानसभा सीट को राजद का मजबूत किला माना जाता था यहां राजद नेता सुरेंद्र यादव का दबदबा था। सुरेंद्र यादव सात बार यहां से चुनाव जीतकर विधायक बने थे। इस बार उनके बेटे विश्वनाथ यादव मैदान में थे। इस सीट पर खुद लालू प्रसाद यादव ने भी चुनाव प्रचार किया था। एनडीए गठबंधन की उम्मीदवार मनोरमा देवी के उतरने के बाद यहां मुकाबला बेहद दिलचस्प माना जा रहा था। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस सीट पर मनोरमा देवी ने इस सीट पर यादव और मुस्लिम वोटरों में सेंध लगा कर राजद को जोर का झटका दिया है।

बीजेपी ने राजपूतों को साधा

इसी तरह रामगढ़ विधानसभा सीट की बात करें तो यहां भाजपा ने राजद के राजपूत और बसपा ने मुस्लिम-यादव मतदाताओं को साधा था। राजद के वोटर के बंटने और विपक्ष के परिवारवाद का मुद्दा ही यहां हार का कारण बना। रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के अशोक कुमार सिंह ने 1362 मतों से जीत दर्ज की है। इन्होंने बसपा प्रत्याशी सतीश कुमार सिंह को हराया है। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के छोटे पुत्र अजीत कुमार सिंह तीसरे स्थान पर रहे।

तेजस्वी से हुई चूक

गया के इमामगंज विधानसभा उपचुनाव में एनडीए से हम की उम्मीदवार दीपा कुमारी ने राजद के रौशन कुमार को 5945 वोट से हराया। दीपा कुमारी को 53435 और रौशन कुमार को 47490 वोट मिले। तीसरे नंबर पर जन सुराज के जितेन्द्र पासवान रहे। जितेन्द्र को 37103 वोट मिले हैं।  हालांकि, इसमें कोई दो राय नहीं कि तेजस्वी यादव की गिनती बिहार के तेज-तर्रार नेताओं में होती है और वो अक्सर अपने विरोधियों पर तीखे हमले करते हैं। 

उपचुनाव से पहले प्रचार के दौरान तेजस्वी यादव लगातार एनडीए गठबंधन पर हमलावर थे और चुनाव प्रचार के दौरान  उन्होंने राजद महागठबंधन के पक्ष में हवा बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। लेकिन बिहार उपचुनाव के परिणाम आने के बाद अब राजद महागठबंधन के लिए यह आत्मचिंतन का समय है कि आखिर दिग्गजों के होते हुए भी इतनी बुरी हार का मुंह क्यों देेखना पड़ा। 

एनडीए की सोची-समझी रणनीति

एक बात यह भी है कि इस उपचुनाव में खुद नीतीश कुमार ने भी प्रचार किया था। एनडीए महागठबंधन ने सोची-समझी रणनीति के तहत  यादव-मुस्लिम समीकरण वाले इलाके में जेडीयू से यादव कैंडिडेट को टिकट थमाया। इससे यादव मतों में बिखराव हुआ। इधर प्रशांत किशोर के जन सुराज के कारण मुस्लिम वोटर भी राजद से अलग हुए। 

 

 

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