बिहार विधानसभा के उपचुनाव में बंपर जीत से नीतीश और मजबूत, भाजपा और राजद का गैप और बढ़ा
- अगले साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव से लगभग एक साल पहले चार सीटों के उपचुनाव में एनडीए दलों की बंपर जीत ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गठबंधन में और मजबूत बना दिया है।
बिहार विधानसभा की चार सीट रामगढ़, तरारी, बेलागंज और इमामगंज के उपचुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए दलों की बंपर जीत से सदन के अंदर का समीकरण बदल गया है। विधानसभा में पहले ही सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गैप तेजस्वी यादव की राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से और बढ़ गया है। रामगढ़ में अशोक सिंह और तरारी में विशाल प्रशांत की जीत के बाद भाजपा के विधायकों की संख्या 78 से बढ़कर 80 हो गई है। सदन की सदस्य सूची में दर्ज राजद के 77 विधायकों में नीलम देवी, प्रह्लाद यादव और चेतन आनंद भी शामिल हैं जो इस साल फरवरी में नीतीश की एनडीए सरकार के फ्लोर टेस्ट के दौरान सत्ता पक्ष के साथ हो गए थे।
बेलागंज में मनोरमा देवी की जीत से विधानसभा में जेडीयू की ताकत कागज पर 44 से बढ़कर 45 हो गई है जबकि राजद के विधायक नीलम, चेतन और प्रह्लाद भी उनके साथ हैं। जीतनराम मांझी की पार्टी हम के विधायकों की संख्या फिर से 4 हो गई है। 2020 में जब चुनाव हुए थे तब 75 सीट के साथ राजद सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। तब एनडीए कैंप में भाजपा को 74, जेडीयू को 43, हम और वीआईपी को 4-4 सीट मिली थी। विपक्ष में राजद के 75 के अलावा कांग्रेस के 19, सीपीआई-माले के 12, सीपीआई और सीपीएम के 2-2 विधायक थे। भाजपा विधानसभा में इससे पहले सिर्फ एक बार 80 पार गई है जब 2010 के चुनाव में उसे 91 सीट मिले थे। तब जेडीयू के 115 विधायक जीते थे।
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जनवरी में जब नीतीश ने आरजेडी और महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए में वापसी की थी तब फरवरी में विधानसभा में विश्वास मत पर वोटिंग के दौरान उनके पक्ष में 129 वोट गिरे थे। तब एनडीए ने 128 विधायकों के समर्थन का दावा किया था लेकिन दोनों तरफ के कुछ-कुछ एमएलए इधर-उधर हो गए और विपक्ष के बहिष्कार के बीच जब मत विभाजन हुआ तो नीतीश सरकार के साथ 129 विधायक खड़े हुए।