बिहार उपचुनावः नीतीश कार्ड खूब चला, पिट गया तेजस्वी कार्ड; एनडीए के आगे नहीं टिका इंडिया
आलम यह रहा कि महागठबंधन के आधार वोट भी खिसके नजर आए। तरारी में माले तो बेलागंज में राजद का गढ़ ढह गया। रामगढ़ में तो विपक्षी गठबंधन को बुरी पराजय झेलनी पड़ी है। प्रमुख विपक्षी दल राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र अजीत कुमार सिंह यहां तीसरे स्थान पर चले गये।
बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले हुए चार सीटों के अहम उपचुनाव में एनडीए गठबंधन की एकजुटता के आगे इंडिया गठबंधन टिक नहीं पाया। एनडीए का ‘नीतीश’ कार्ड खूब चला, जबकि ‘इंडिया’ का तेजस्वी कार्ड पिट गया। उपचुनाव में एनडीए ने इंडिया गठबंधन की तीन सीटों पर कब्जा जमाकर चारों विधानसभा सीट अपने नाम कर लिया।
आलम यह रहा कि महागठबंधन के आधार वोट भी खिसके नजर आए। तरारी में माले तो बेलागंज में राजद का गढ़ ढह गया। रामगढ़ में तो विपक्षी गठबंधन को बुरी पराजय झेलनी पड़ी है। प्रमुख विपक्षी दल राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र अजीत कुमार सिंह यहां तीसरे स्थान पर चले गये। लोकसभा चुनाव की तरह एनडीए गठबंधन विधानसभा उपचुनाव में भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में एकजुटता के साथ चुनाव मैदान में उतरे। हर सभा में इस घटक के सभी दलों के नेताओं ने साझा चुनावी सभाएं कीं। सभी दलों के प्रदेश अध्यक्ष भी साथ-साथ गये।
मुख्यमंत्री ने खुद की सभा खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी सभी चारों विधानसभा क्षेत्रों में एक-एक चुनावी सभाएं कर एनडीए प्रत्याशियों के लिए वोटों की गोलबंदी में महती भूमिका निभाई। राज्य सरकार द्वारा नौकरी और रोजगार को लेकर किये गये वादों पर उन्होंने आश्वस्ति दी। 2025 विधानसभा चुनाव के पहले इसे पूर्ण करने का भरोसा दिया। राजद के दो दशक पुराने राज के दौरान की खौफ की याद दिलाई। वोट देने को लेकर लोगों को आगाह किया कि उधर वोट देंगे तो ये लोग फिर गड़बड़ करेंगे। मुख्यमंत्री ने दो बार महागठबंधन के साथ जाने को भूल करारा तथा कहा अब राजद के साथ नहीं जाने का प्रण भी हर सभा में दोहराया।
तेजस्वी ने झारखंड चुनाव को दिया ज्यादा तवज्जो
बात इंडिया गठबंधन की करें तो इसके नेता तेजस्वी यादव ने ज्यादा तवज्जो झारखंड चुनाव दो दिया। हालांकि उन्होंने अंतिम कुछ दिनों में ताबड़तोड़ सभाएं कीं और लोगों को अपने 17 महीने के कार्यकाल की भी याद दिलाई। इस दौरान मिली नौकरियों को लेकर भी उन्होंने खुद श्रेय लेने की कोशिश की, लेकिन शायद यह वोटरों को रिझाने में बहुत कारगर नहीं हो पाया। इस गठबंधन के अन्य दलों की ओर से जनसमम्पर्क और सभाएं की गईं, लेकिन एकजुटता के प्रदर्शन के मौके कम ही नजर आए।
चुनौती से निपटने का उपाय इंडिया को खोजना होगा
बिहार में हुए चार सीटों के उपचुनाव ने फिर साबित किया नीतीश कुमार के नेतृत्व में एकजुट एनडीए गठबंधन को हराना विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती है। दरअसल वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान इंडिया गठबंधन से बागी हो गये थे। उन्होंने खासतौर से जिन सीटों पर जदयू चुनाव लड़ रहा था, वहां इस गठबंधन के वोटबैंक में निर्णायक सेंधमारी कर दी और इसका खामियाजा जहां करीब तीन दर्जन सीटों पर जदयू को उठाना पड़ा वहीं, राजद और महागठबंधन प्रत्याशियों को बैठे-बिठाये लाभ मिल गया। इतना ही नहीं, एनडीए गठबंधन ने इस चुनाव में किसी तरह बहुमत पाया और उसकी सरकार बनी। मगर 2024 के लोकसभा चुनाव में जब चिराग एनडीए के साथ थे तो तीन चौथाई सीटें एनडीए की झोली में आ गईं। उपचुनाव में एकबार फिर नीतीश कार्ड और एनडीए की एकजुटता का सिक्का चला। 2025 चुनाव में इस चुनौती से निपटने के उपाय इंडिया गठबंधन को खोजने होंगे।