बेलागंज उपचुनाव में यादव Vs यादव, राजद के सुरेंद्र का गढ़ भेद पाएंगी जदयू की मनोरमा?
मनोरमा देवी के मैदान में उतरने के बाद बेलागंज उप चुनाव दिलचस्प हो गया है। राजद के गढ़ को भेदने जदयू की पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी उतरीं हैं। ऐसे में एक तरफ जातीय गोलबंदी को बचाना राजद के लिए चुनौती होगी। वहीं उसमें सेंध लगाने की हर संभव कोशिश जदयू प्रत्याशी मनोरमा देवी करेंगी।
Bihar Assembly By- Election: बिहार में चार विधानसभा की सीटों पर उपचुनाव होना है। गया के बेलागंज और इमामगंज विधानसभा के लिए भी उप चुनाव होने हैं। 13 नवंबर को मतदान होगा। 23 नवंबर को परिणाम आएंगे। नामांकन की प्रक्रिया 18 अक्टूबर से शुरू है। रविवार को एनडीए और महागठबंधन दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की नामों की घोषणा कर दी है। पहले से तैयार रणनीति के तहत राजद के टिकट पर सांसद डॉ. सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ यादव बेलागंज के चुनावी मैदान में रहेंगे। वहीं, गया जिले में राजनीति के एक ध्रुव माने जाने वाले स्व बिंदेश्वरी प्रसाद यादव की पत्नी पूर्व विधान पार्षद मनोरमा देवी एनडीए गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में मैदान में होंगी। यह परिदृश्य अब साफ हो चुका है।
मनोरमा देवी के मैदान में उतरने के बाद बेलागंज उप चुनाव दिलचस्प हो गया है। राजद के गढ़ को भेदने जदयू की पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी उतरीं हैं। ऐसे में एक तरफ जातीय गोलबंदी को बचाना राजद के लिए चुनौती होगी। वहीं उसमें सेंध लगाने की हर संभव कोशिश जदयू प्रत्याशी मनोरमा देवी करेंगी। इस सीट पर राजद-जदयू की सीधी टक्कर है। इस बार जन सुराज भी फायदा उठाने की तैयारी में है।
पिता के 34 साल का गढ़ बचाना बेटे के लिए होगी चुनौती बेलागंज सीट 1990 से राजद का मजबूत किला रहा है। 1990 से लगातार यह सीट राजद के कब्जे में हैं। इस किले को भेदने के लिए 2005 से जदयू ने जोर आजमाइश करती रही है। कई बार इस विधानसभा सीट का भूगोल बदलता रहा, लेकिन 1990 से कब्जा राजद का ही रहा। लगातार सात बार से राजद के डॉ सुरेंद्र प्रसाद यादव इस सीट पर अपना पताका फहराते रहे हैं। विधायक रहते हुए डॉ सुरेंद्र यादव 2024 में जहानाबाद लोकसभा से चुनाव लड़े और निर्वाचित हुए। सांसद बनने के बाद बेलागंज सीट पर अपने पुत्र विश्वनाथ यादव को उप चुनाव में उतार दिया है।
2005 के बाद मनोरमा ने शुरू किया राजनीति सफर
मनोरमा देवी जिला पार्षद के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत विन्देश्वरी यादव की पत्नी हैं। 2005 के बाद राजनीति सफर शुरू की। दो बार लगातार वह एमएलसी रहीं। 2014 के बाद से जीवन में उतार-चढ़ाव शुरू हुआ। 2020 में वे जदयू से अतरी विस से चुनाव लड़ीं थीं, लेकिन वहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
एमवाई समीकरण रहा हावी
जातीय समीकरण की बात करें तो बेलागंज विधानसभा सीट पर एमवाई समीकरण हावी रहा है। यादव वोटर निर्णायक हैं। जदयू व भाजपा ने मिलकर उनके किले को ध्वस्त करने की कई बार कोशिश। 2005 के बाद से बेलागंज विस सीट पर जदयू ने कई बार उम्मीदवार बदले पर सफलता नहीं मिली। सुरेंद्र यादव लगातार चुनाव जीतते रहे। इस बार जदयू ने महिला प्रत्याशी मनोरमा देवी पर भरोसा जताया है।
● पिता सांसद सुरेंद्र यादव के 35 साल के गढ़ को बचाना बेटे के लिए कड़ी चुनौती●
● राजद के सांसद पुत्र विश्वनाथ यादव से होगी मनोरमा देवी की टक्कर
● जातीय गोलबंदी को बचाना राजद के लिए चुनौती होगी