Hindi Newsबिहार न्यूज़Bhojpuri film actor Vijay Khare known as Gabbar Singh died at Bengluru

अभिनेता विजय खरे नहीं रहे, भोजपुरी फिल्मों के गब्बर सिंह के रूप में थी पहचान, बेंगलुरु में निधन

बिहार के मुजफ्फरपुर में पहली बार किसी फिल्म की शूटिंग करवाने वाले अभिनेता विजय खरे का निधन हो गया है। इस घटना ने बिहार के कलाकारों से लेकर शहर वासियों को सदमे में डाल दिया है । बेंगलुरु में रविवार सुबह 4:00 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

Sudhir Kumar लाइव हिन्दुस्तानSun, 15 Dec 2024 02:02 PM
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बिहार के मुजफ्फरपुर में पहली बार किसी फिल्म की शूटिंग करवाने वाले अभिनेता विजय खरे का निधन हो गया। इस घटना ने कलाकारों से लेकर शहर वासियों को सदमे में डाल दिया है । बेंगलुरु में रविवार सुबह 4:00 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर मिलते ही उनके पैतृक निवास स्थान मालीघाट में शोक संतप्त कलाकार पहुंचने लगे। भोजपुरी फिल्म उद्योग में गब्बर सिंह के अपने प्रतिष्ठित चित्रण के लिए उन्हें व्यापक रूप से पहचाना गया।

विजय खरे कुछ समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे और उनका इलाज बेंगलुरु के कावेरी अस्पताल में चल रहा था। जानकारी के मुताबिक उन्हें किडनी की समस्या थी जिसका इलाज चल रहा था। रविवार को अचानक उनकी हालत बिगड़ गई और बेंगलुरु में रविवार सुबह 4:00 बजे उनका निधन हो गया। अभिनेता के अनंत यात्रा परचले जाने से उनके प्रशंसक और फिल्म उद्योग सदमे में है। उनके एक पुत्र संतोष खरे दिल्ली में और दूसरे पुत्र आशुतोष खरे मुंबई में रहते हैं। दोनों बंगलोर पहुंच चुके हैं। विजय खरे अपने छोटे बेटे परितोष खरे के साथ बेंगलुरु में रहते थे।

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मिला था लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड

मुजफ्फरपुर के मालीघाट के रहने वाले विजय खरे ने मुंबई में अपना जीवन स्थापित कर लिया था, जहां उन्होंने एक अभिनय स्कूल, विजय खरे अकादमी की भी स्थापना की। वहीं वे नई पीढ़ी को एक्टिंग सिखाते में अपना समय बिताते थे।

विजय खरे ने रायजादा (1976), गंगा किनारे मोरा गांव (1983) और हमरा से बियाह करबा (2003) जैसी फिल्मों में अपने यादगार अभिनय से प्रसिद्धि पाई। उनके दमदार अभिनय ने उन्हें भोजपुरी में एक स्थायी विरासत दिलाई। फिल्म उद्योग में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए 2019 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। पुरस्कार समारोह के दौरान, उन्होंने भोजपुरी सिनेमा के उभरते परिदृश्य पर चर्चा की और भोजपुरी सिनेमा की बढ़ती भागीदारी पर प्रकाश डाला था।

मणिका मन को फिल्म शूटिंग के लिय विकसित करने का किया था प्रयास

मुजफ्फरपुर में विभिन्न परियोजनाओं पर काम करने के बाद, खरे ने संभावित फिल्म शूटिंग के लिए मनिका मैन जैसे स्थानों की भी सिफारिश की। उन्होंने भोजपुरी सिनेमा के पतन पर चिंता व्यक्त की, जो कभी फलता-फूलता था, और इसके पूर्व गौरव को बहाल करने के लिए पुनरोद्धार प्रयासों का आग्रह किया। उनके बेटे आशुतोष खरे ने कहा कि कही भी रहे मगर हर पल मुजफ्फरपुर को याद करते रहे।

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